'गर्मियों में कोरोना के कमजोर पड़ने की बात मात्र 'कल्पना', इसका नहीं कोई अध्ययन'

Update: 2020-04-16 13:37 GMT

प्रो. के. श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि नोवेल कोरोना वायरस एक नया वायरस है, जिसकी मौसमी और गर्म आद्र्र मौसम की प्रतिक्रिया अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आई है...

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. के. श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि कुछ साक्ष्यों में पता चलता है कि नोवेल कोरोनावायरस संक्रमण अन्य कोरोनावायरस की तरह गर्म मौसम में क्षीण हो जाता है, लेकिन यह निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। प्रो. रेड्डी ने सुमित सक्सेना के साथ एक ईमेल साक्षात्कार में यह बात कही।

प्रो. रेड्डी ने आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में बढ़ते तापमान के साथ नोवेल कोरोनावायरस की प्रतिक्रिया के बारे में खुलकर बातचीत की।

दो सप्ताह बाद मई शुरू हो जाएगा। आपको क्या लगता है कि उच्च तापमान और शुष्क परिस्थितियों में कोरोनावायरस के मामले कम होने लगेंगे? उस समय वायरस की प्रतिक्रिया किस तरह की होगी?

नोवेल कोरोना वायरस एक नया वायरस है, जिसकी मौसमी और गर्म आद्र्र मौसम की प्रतिक्रिया अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आई है। कुछ साक्ष्य बताते हैं कि यह अन्य कोरोनावायरस की तरह गर्म मौसम में क्षीण हो जाएगा, लेकिन यह अभी भी एक अनुमान है। इस पहलू पर अभी भी बहस चल रही है।

परीक्षण (टेस्ट) की भारी मांग है। क्या यह अत्यधिक संक्रमण को रोकने में मदद करेगा?

अधिक मात्रा में परीक्षण निश्चित रूप से संक्रमित व्यक्तियों की बेहतर पहचान करने में मदद करेगा। हालांकि शुरुआती लक्षणों की अवधि में भी संचरण की उच्च दरें बताई गई हैं। यह परीक्षण के निर्णय को कठिन बनाता है, क्योंकि पूरी आबादी में सभी संपर्क में आए व्यक्तियों का परीक्षण करना तार्किक रूप से असंभव होगा। इसलिए हमें संपर्क इतिहास और लक्षणों का उपयोग परीक्षण मानदंडों के साथ ही शुरू करना है।

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आपको लगता है कि वैक्सीन के अभाव में कोविड-19 से निजात पाकर दोबारा से इसकी चपेट में आना एक और बड़ी चुनौती है?

हमें अभी तक नहीं पता है कि ये दोबारा से संक्रमित होने वाले मामले ही हैं या फिर से पॉजिटिव टेस्ट की रिपोर्ट सही है या नहीं। अगर वास्तव में दोबारा से संक्रमित होने जैसे मामले सामने आते हैं तो हमें उन्हें उसी तरह से देखना होगा, जैसे हम किसी ताजा संक्रमण के मामले को देखते हैं। चूंकि दोबारा से संक्रमण होने संबंधी मामलों की दर अज्ञात है, इसलिए हम वर्तमान में यह अनुमान नहीं लगा सकते कि यह कितना गंभीर खतरा होगा।

क्या इस घातक वायरल संक्रमण का मुकाबला करने के कोई सीधा उपाय है? अगर नहीं, तो कोविड-19 का मुकाबला करने का क्या उपाय हैं?

वैसे तो सार्वजनिक स्वास्थ्य सिद्धांत मोटे तौर पर सभी के लिए समान हैं। इस दिशा में स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता, परीक्षण किट, सक्षम प्रयोगशालाओं की उपलब्धता और पर्याप्त आपूर्ति महत्वपूर्ण है। अस्पतालों में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, गहन देखभाल, सामाजिक दूरी और व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ ही लॉकडाउन का पालन आवश्यक है।

देशभर के जिला प्रशासन हॉटस्पॉट व क्लस्टरों की कड़ी निगरानी कर रहे हैं और इनके अनुसार बड़ी आबादी पर सर्वेक्षण भी कर रहे हैं। क्या यह रणनीति ठोस परिणाम देगी?

भारत जैसे बड़े देश में यह आदर्श रणनीति है। हमें केंद्रीय स्तर पर समन्वित नीति निर्माण, राज्य स्तर पर बहु-क्षेत्रीय योजना व समन्वय और जिला स्तर पर विशिष्ट नवाचार और अनुकूलन क्षमता के लिए विकेंद्रीकृत कार्यान्वयन की आवश्यकता है। सामुदायिक भागीदारी और बहु-एजेंसी भागीदारी भी जिला स्तर पर सबसे अच्छी तरह से काम करने वाली है।

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क्या आप विषम व्यक्तियों में गलत पॉजिटिव टेस्ट को एक बड़ी चुनौती मानते हैं?

गलत पॉजिटिव परिणाम उन लोगों में अधिक बार होते हैं, जिनमें संक्रमण की पूर्व संभावना कम होती है। खासकर परीक्षण संवेदनशीलता के उच्च स्तर पर। लक्षण वाला ऐसा व्यक्ति जिसका किसी प्रभावित देश में कोई यात्रा इतिहास नहीं है या देश में घरेलू हॉटस्पॉट से उसका कोई नाता नहीं है या किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ कोई संपर्क इतिहास नहीं है तो उसकी गलत पॉजिटिव रिपोर्ट रहने की अधिक संभावना है।

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