ट्वीटर पर कब क्या सामाजिक सवाल ट्रेंड कर जाए कुछ कहना मुश्किल होता है। पिछले दिनों #MeToo ट्रेंड किया था, जिसमें लड़कियों ने अपने यौन उत्पीड़न की घटनाओं को साझा करते हुए इसका विरोध किया था तो आज शादी की परंपराओं और संस्कारों के मद्देनजर #NotShadiMaterial ट्रेंड कर रहा है।
ट्वीटर पर लड़कियां तरह—तरह के मानकों का मखौल उड़ाते हुए पूछ रही हैं कि क्या मैं गोल रोटी नहीं बना सकती, मैं बोलती हूं या टैटू बनवाती हूं या साड़ी पहनना नहीं जानती तो क्या मैं शादी मैटेरियल यानी शादी के लायक नहीं हूं। #NotShadiMaterial मर्द समाज का बहुत प्रचलित शब्द है जो आधुनिक, फैशनप्रेमी, सही को सही कहने वाली या स्वतंत्र मिजाजी लड़कियों के बारे में आमतौर पर बोला जाता है।
Ankita@ladyGabbar के नाम से ट्वीटर अकाउंट चलाने वाली अंकिता लिखती हैं, 'चूंकि गोल रोटी बनाना एक पारंगत भारतीय लड़की की पहचान है, लेकिन मैं नहीं बना पाती! तो क्या मैं शादी लायक नहीं हूं?'
ट्वीटर पर ट्रेंड कर रही यह बात लोगों को इतनी पसंद आ रही है कि यह तेजी से ट्वीटर के उपर के पायदान पर पहुंच रहा है।
भारत में शादी एक ऐसा मसला है जहां संस्कार, परंपरा और शालीनता खोजी जाती है। पर इस मानक में संकट यह है कि समय—काल की दृष्टि से देश 21वीं सदी में है, समाज, सुविधाएं और व्यवस्थाएं बदल गयी हैं पर शादी के वक्त लड़कियां उन्हें राम—सीता के जमाने की चाहिए, नौकरी चाहे वह फैशन डिजानिंग के क्षेत्र में ही क्यों न करती हो पर उन्हें बहू के रूप में वह 6 गज की साड़ी में ही चाहिए।
इसी के मद्देनजर सेफ मेघना पूछती हैं , 'Just because I don’t know how to wear a saree, does it really mean that I’m #NotShaadiMaterial ?'
लड़कियों की शिक्षा में बेहतर होती स्थिति और रोजगार में बढ़ती भागीदारी के मद्देनजर परिवार और पति चाहते तो हैं कि उनको कमाने वाली बीवी और बहू मिले, जो परिवार की जरूरत के लिए पैसा देती रहे।
पर वह यह नहीं चाहते कि वह पैसे के साथ अभिव्यक्ति, भागीदारी और बराबरी मांगे। यहां वह उसके रक्षक, संभालने वाले बनकर परंपरागत और संस्कारी बनने का नाटक करते हैं, जिससे बीवियों और बहुओं पर धौंसपट्टी दिखाई जा सके।
इस अनुभव पर अपना पक्ष रखते हुए ट्वीटर पर अदिति बिरला लिखती हैं, 'I am opinionated and yes, I have a mouth that makes me communicate everything in my mind... So am I #NotShaadiMaterial।'