उत्तर प्रदेश में कश्मीरियों पर हो रहे हमलों के लिए योगी सरकार जिम्मेदार

Update: 2019-03-07 17:43 GMT

ड्राईफ्रूट बेचने वाले 2 कश्मीरियों पर हुए हमले के खिलाफ 8 मार्च को अम्बेडकर प्रतिमा हज़रतगंज लखनऊ पर होगा धरना, कश्मीरियों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश पर प्रदेश सरकार ने बरती भयानक लापरवाही...

लखनऊ, जनज्वार। कश्मीरियों पर हो रहे हमले के ख़िलाफ़ लाटूश रोड स्थित रिहाई मंच कार्यालय पर लखनऊ के नागरिक समाज ने बैठक कर देश में पुलावामा हमले के बाद कश्मीरियों के खिलाफ फ़ैल रही नफरत पर गहरी चिंता व्यक्त की। सभी ने एक स्वर में कहा कि हम कश्मीरियों के साथ हैं। गंगा जमुनी तहजीब पर संघी सरकार समर्थित गुंडों द्वारा किसी भी प्रकार से कश्मीरियों पर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कश्मीरियों पर देशभर में हो रहे हमलों के खिलाफ कल 8 मार्च को शाम साढ़े तीन बजे से अम्बेडकर प्रतिमा हज़रतगंज पर धरना आयोजित किया जाएगा।

गौरतलब है कि 6 मार्च को भगवा गुंडों के दल ने दो कश्मीरी ड्राइफ्रूट बेचने वालों को अपना निशाना बनाया था। राजधानी के डालीगंज पुल पर हुई घटना पुलिसिया प्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करती है। रिहाई मंच ने बयान जारी कर कहा कि ड्राई फ्रूटस बेच रहे कश्मीरी युवकों पर विश्व हिन्दू दल ट्रस्ट के नेताओं द्वारा हमला एक सोची समझी साजिश के तहत हुआ है।

गौरतलब है कि माननीय सर्वोच्च न्यायलय द्वारा पुलवामा घटना के बाद कश्मीरियों पर जगह-जगह हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ देश के तमाम राज्यों को दिशा निर्देश देते हुए नोडल ऑफिसर नियुक्त करने का आदेश 22 फरवरी को जारी किया गया था।

मुख्य सचिव और डीजीपी को भी त्वरित कार्रवाई का निर्देश था कि ऐसी घटनाएं न होने पाएं, लेकिन शासन-प्रशासन ने इस निर्देश के प्रति आपराधिक लापरवाही का रवैया अपनाया। इस पूरी घटना के लिए नोडल ऑफिसर से लेकर मुख्य सचिव और डीजीपी तक ज़िम्मेदार हैं। इस पूरी घटना की जांच माननीय सर्वोच्च न्यायलय के दिशा निर्देशन में हो।

कश्मीरियों पर हमले की यह पहली घटना नहीं है। रोजी—रोटी के लिए वहां से बाहर निकले लोग, यहां तक कि पढ़ाई के लिए बाहर निकले कश्मीरी युवाओं को भी निशाने पर लिया जा रहा है। देहरादून में कश्मीरी छात्रों के साथ मारपीट की घटना के अलावा मुज़फ्फरनगर के खतौली स्थित शुगर मिल में भी कश्मीरी कामगारों के साथ मारपीट कर उन्हें निकाल दिया गया था। तब भी शासन प्रशासन द्वारा उदासीन रवैया अपनाया गया था, जिसके परिणाम लखनऊ में उनके साथ यह हिंसक घटना हुई थी।

रिहाई मंच की बैठक में अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, सृजनयोगी आदियोग, पिछड़ा महासभा के एह्शानुल हक़ मलिक, शिवनारायण कुशवाहा, सचेन्द्र यादव, यादव सेना के शिव कुमार यादव, जगन्नाथ यादव, कृष्ण कुमार यादव, रोबिन वर्मा, शाहरुख़ अहमद, मलिक शाहबाज, अजय शर्मा, विरेन्द्र कुमार गुप्ता, गुफरान चौधरी, समक्ष जायसवाल, मोहम्मद नासिर और राजीव यादव शामिल रहे।

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