शिक्षण संस्थानों में भर्ती प्रक्रिया में पिछड़ों-दलितों को हो रहा नुकसान : अनुप्रिया पटेल
पहले से ही आरक्षित वर्ग के प्रोफेसर की संख्या है नाममात्र है, यूजीसी के इस फैसले से आरक्षित वर्ग के प्रोफेसर की संख्या घट जाएगी और....
लखनऊ, जनज्वार। कल बुधवार 18 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने से पहले आयोजित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और सर्वदलीय बैठक में अपना दल (एस) की संरक्षक और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा धान के समर्थन मूल्य में 200 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करने के फैसले पर आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर अनुप्रिया पटेल ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रोस्टर प्रणाली के तहत भर्ती प्रक्रिया में दलितों एवं पिछड़े वर्ग को हो रहे नुकसान का मामला भी उठाया। इसके अलावा उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर अखिल भारतीय न्यायिक आयोग के गठन की मांग की।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में 200 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि कर दी है। इसके साथ ही खरीफ की सभी 14 फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ा दिया गया है। पहले किसानों को एक क्विंटल धान के 1550 रुपए मिलते थे, लेकिन अब इसी के लिए उन्हें 1750 रुपए दिए जाएंगे। किसानों के लिए केंद्र सरकार का यह कदम बहुत ही सराहनीय है।
उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में रोस्टर प्रणाली लागू होने से आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों को नुकसान हो रहा है। पहले से ही आरक्षित वर्ग के प्रोफेसर की संख्या नाममात्र है। यूजीसी के इस फैसले से आरक्षित वर्ग के प्रोफेसर की संख्या और घट जाएगी। इसलिए उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की मांग की।
गौरतलब है कि यूजीसी के 5 मार्च 2018 के आदेश के तहत विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से कहा गया है कि वे सभी स्तरों के अध्यापकों के भर्ती मामले में विभाग/विषय को इकाई मानते हुए आरक्षण रोस्टर तैयार करें। इसके तहत जिन विभागों में 14 से कम शिक्षक हैं, वहां पर 13 बिंदुओं का रोस्टर लागू होगा।
ऐसा होने से एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित पदों की संख्या आधे से भी कम हो जाएगी। इसके अतिरिक्त ऐसे विभागों, जहां किसी श्रेणी का एक ही पद है, वहां कोई आरक्षण प्रदान नहीं किया जाएगा।