खुलासा : मर चुके शिक्षक को यूपी में बनाया 12 परीक्षा केंद्रों का प्रमुख

Update: 2018-03-09 20:43 GMT

योगी सरकार रोकेगी नकल जहां मृत शिक्षक को ही बना दिया जाता है केंद्राध्यक्ष कि न रहेगा बांस और न बजेगी  बांसुरी 

योगी राज में उत्तर प्रदेश के आगरा में एक मृत शिक्षक कागजों में न सिर्फ जीवित है, बल्कि विश्वविद्यालय ने चुना है उसे 12 डिग्री कॉलेजों का केन्द्राध्यक्ष और वहां परीक्षा भी हो रही हैं धड़ल्ले से आयोजित 

आगरा, जनज्वार। बिहार से भी एक कदम आगे निकलते हुए उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे—ऐसे कारनामे हो रहे हैं, जिनके बारे में सुनकर सिर्फ आश्चर्य व्यक्त किया जा सकता है। यहां जब एक मरे हुए शिक्षक को एक केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा संचालित होने वाले 12 कॉलेजों के परीक्षा केंद्रों का केंद्राध्यक्ष चुना जा सकता है, तो बाकी का क्या हाल होगा उसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

योगी राज में उत्तर प्रदेश के आगरा में एक मृत शिक्षक कागजों में न सिर्फ जीवित है, बल्कि विश्वविद्यालय ने उसे 12 डिग्री कॉलेजों में केन्द्राध्यक्ष भी चुना गया है। ताज्जुब की बात है कि इन सब कॉलेजों में बिना डर—भय के ये शिक्षा माफिया परीक्षाएं संचालित करवा रहे हैं।

आगरा के स्ववित्तपोषित महाविद्यालय प्रबन्धन और विश्वविद्यालय कार्यालयों व कर्मियों की मिलीभगत से डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा में मृत शिक्षक आरके उपाध्याय को 12 कॉलेजों का केंद्राध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है। शासन—प्रशासन की मिलीभगत के बिना इतने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

आगरा विश्वविद्यालय के मृत शिक्षक आरके उपाध्याय न सिर्फ विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के 12 डिग्री कालेजों में बतौर प्राचार्य नियुक्त हैं, बल्कि 16 डिग्री कॉलेजों में बतौर बी.एड.प्रवक्ता एवं 20 डिग्री कॉलेजों में उन्हें समाजशास्त्र के प्रवक्ता के रूप में अनुमोदित किया गया है।

गौरतलब है कि 12 कॉलेजों के परीक्षा केंद्रों के केंद्राध्यक्ष नियुक्त किए गए आरके उपाध्याय की 2 महीने पहले ही मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि जब इन कॉलेजों जहां परीक्षाएं संचालित की जा रही हैं, केंद्राध्यक्ष ही नहीं है तो परीक्षाएं हो कैसे सकती हैं। मगर परीक्षाएं धड़ल्ले से आयोजित हो रही हैं।

नियमों के मुताबिक उस कॉलेज को परीक्षा केंद्र बनाया जाता है वहां के उस शिक्षक या प्रिंसिपल को सेंटर सुपरिटेंडेंट नियुक्त किया जाता है जिसके पास आठ से दस साल का अनुभव हो, मगर यहां तो एक मरे हुए शिक्षक को ही सेंटर सुपरिटेंडेंट नियुक्त कर दिया गया, वो भी एक नहीं 12—12 केंद्रों का।

इस मसले पर यूपी और उत्तराखण्ड में एडेड शिक्षक संघ के जोनल सेक्रेटरी रहे राजेश मिश्रा कहते हैं, यह तो सिर्फ एक उदाहरण है कि शिक्षातंत्र किस हद तक शिक्षा माफिया के हवाले है। इस मामले में चूंकि मरे हुए व्यक्ति को केंद्राध्यक्ष नियुक्त किया गया था, इसलिए मामला सामने आ गया, ऐसे न जाने कितने परीक्षा केंद्र होंगे जहां इस तरह या इससे भी बढ़कर धांधली और अंधेरगर्दी हो रही होगी। इन 12 कॉलेजों में भी केंद्राध्यक्ष न होने के बावजूद कॉलेज धड़ल्ले से परीक्षा आयोजित करवा रहे हैं।

पारदर्शी उच्च शिक्षा की डींग हांकने वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस प्रकरण पर चुप्पी साधी हुई है। कोई भी जिम्मेवार अधिकारी इस मसले पर मुंह खोलने को तक तैयार नहीं है।

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