CAA-NRC के खिलाफ 'नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा' पर निकाल रहे युवाओं को यूपी पुलिस ने किया गिरफ्तार

Update: 2020-02-11 14:52 GMT

चौरी-चौरा से दिल्ली राजघाट तक के लिए नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा निकाल रहे युवकों को गाजीपुर में किया गया गिरफ्तार, सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों के दौरान लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ निकाल रहे थे ये यात्रा...

जनज्वार। उत्तर प्रदेश पुलिस ने देश की राजधानी दिल्ली के गाजीपुर जिले से 'नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा' पर निकले कुछ युवाओं को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी करते वक्त पुलिस ने कहा कि इन लोगों के पास पदयात्रा करने की इजाजत नहीं थी इसलिए इनको गिरफ्तार किया गया है। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें मनीष शर्मा, प्रियेश पांडे, प्रदीपिका सारस्वत, नीरज राय, अनंत शुक्ल, मुरारी, राज अभिषेक शामिल हैं। यह लोग पदयात्रा चौरी-चौरा से शुरू हुई थी और इसे दिल्ली के राजघाट में खत्म होना था।

दयात्रियों के मुताबिक यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई थी क्योंकि यह वो ही जगह थी जहां से 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। उस दिन ऐसे आज़ाद हिंदुस्तान की तासीर तय हो गई थी जहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी। फिर चाहे वो हमारा शोषक, हमारा दुश्मन ही क्यों न हो'

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रीब छह-सात लोगों के इस जत्थे की अकेली महिला सदस्य प्रदीपिका सारस्वत ने गिरफ्तार होने से पहले बताया कि बीते तीन-चार दिनों से पुलिस उनके आसपास मंडरा रही थी। उनसे यात्रा को लेकर सवाल-जवाब भी किए जा रहे थे। प्रदीपिका एक लेखक और पत्रकार हैं और उनके लेख देश के विभिन्न समाचार माध्यमों में छपते रहते हैं।

न्होंने गिरफ्तार होने से पहले अपने फेसबुक पेज पर भी लिखा, ‘कल शाम से लोकल इंटेलीजेंस और पुलिस यात्रियों के चक्कर काट रही है। तस्वीरें खींच रही है। वीडियो बना रही है। राज्य इतना डरा हुआ है कि चंद लोगों को शांति और सौहार्द की बात करते हुए नहीं देख पा रहा है।’

स बारे में पूछने पर गाजीपुर (सदर) के एसडीएम ने बताया कि इन सभी लोगों ने पदयात्रा के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी। जब उनसे पूछा गया कि सिर्फ छह लोगों की पदयात्रा से प्रशासन को क्या समस्या है? तो इस पर उनका कहना था कि फिलहाल तो गिरफ्तारी की जा रही है और मामले में जांच करके आगे की कार्रवाई की जाएगी।

मामले पर बीएचयू के छात्र शंशात ने बताया कि बनारस और बीएचयू में जब 19 दिसंबर को सीएए-एनआरसी के विरोध में जब प्रदर्शन हो रहा था उस समय काफी लोगों को यूपी पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार किए गए लोगों में 15 बीएचयू के भी छात्र भी थे। जिसके बाद लगभग 16 दिन तक वो लोग जेल में बंद रहे। गिरफ्तारी किए जाने के बाद बीएचयू समेत देश की अन्य विश्वविद्यालय के छात्रों ने एक जांच निरीक्षण कमेटी बनाई और पूरे उत्तर प्रदेश में जहां हिंसा की घटनाएं हुई थी वहां का दौरा किया।

Full View ने आगे बताया कि पुलिस का जहां दावा था कि राज्य में किसी तरह की कोई हिंसा नहीं की गई है। लेकिन कमेटी के द्वारा जो रिपोर्ट बनाई गई थी। उसमें पुलिस द्वारा किए गए दावे पूरी तरह से गलत निकले इस रिपोर्ट को दिल्ली के प्रेस क्लब में भी जारी किया गया था। जिसके बाद कमेटी के द्वारा 2 फरवरी को चौरी-चौरा से लेकर राजघाट तक पदयात्रा निकालने का फैसला किया गया था। ये यात्रा राजघाट से बनारस 15 फरवरी को पहुंचनी थी। लेकिन जैसे ही हमारी यात्रा आज दिल्ली के गाजीपुर में पहुंची तो पदयात्रा कर रहे साथियों को यूपी पुलिस ने गाजीपुर से गिरफ्तार कर लिया।

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न्होंने आगे बताया कि हम लोगों ने लगातार एसपी से बात करनी चाही लेकिन किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं की गई। इसके बाद हमें पता चला की पदयात्रा कर रहे लोगों को डीएपी के सामने पेश कर दिया है और इनकी जमानत की याचिका को भी खारिज कर दिया गया है। हम लोग ये मांग करते है कि हमारे साथियों की जल्द से जल्द रिहाई कर दी जाए।

ताते चलें कि नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद देश की आम जनता नागरिकता रजिस्टर, परिचय पत्रों, जन्म प्रमाण पत्र आदि क्या-क्या कागजात तैयार की जदोजहद में फंस गई है।

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