सरकारी कंपनी को प्राइवेट किए जाने के खिलाफ कर्मचारियों की हुंकार

Update: 2018-01-08 10:23 GMT

अरबों रुपये की जनता की सम्पत्ति को पूंजीपतियों के हवाले करने की हो रही है कोशिश...

रामनगर, जनज्वार। उत्तराखण्ड में स्थित भारत सरकार के एक मात्र आयुर्वेदिक औषधि कारखाने इन्डियन मेडिसन फार्मास्यूटिकल कारपोरेशन लिमिटेड के विनिवेश के खिलाफ रविवार 7 जनवरी को ठेका मजदूर कल्याण समिति द्वारा नगर पालिका परिषद सभागार में बुलाई गई। बैठक के दौरान 15 जनवरी को कारखाना गेट पर प्रदर्शन का निर्णय लिया गया।

यही वह दिन है, जिस दिन केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने आयुष भवन में इस कारखाने की भूमि, मशीनों व अन्य सम्पत्तियों की वैल्यू का मूल्यांकन करने के लिये टेन्डर मांगे हैं, जिसके बाद इस कारखाने को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया में तेजी लाई जायेगी।

किशन शर्मा व शेखर आर्य के संयुक्त संचालन में आयोजित इस बैठक में वक्ताओं ने कहा कि इस कारखाने से जहां सैंकड़ों कर्मचारियों की आजीविका जुड़ी है, वहीं इसके आसपास की आबादी भी इस कारखाने पर निर्भर है। इस कारखाने के विनिवेश के कारण जहां एक ओर कर्मचारी बेरोजगार होंगे, तो वहीं क्षेत्र में बेरोजगारी के कारण पलायन बढ़ेगा। बैठक में 15 जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लेते हुये तय किया कि इस दिन सभी मजदूर काले फीते के साथ कारखाना गेट पर प्रदर्शन करेंगे।

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने इसी दिन कारखाने की सम्पत्तियों का मूल्यांकन करने के लिये विभिन्न फर्माे से टेन्डर भी मांगे हैं। बैठक में राज्य के सभी सांसदों को पत्र लिखकर उनसे इस मामले की हस्तक्षेप की अपील करने का निर्णय भी लिया गया। इसके साथ ही इस मामले में प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजने का भी निर्णय लिया गया।

आईएमपीसीएल के विनिवेश को लेकर जो चर्चाएं चल रहीं हैं, उन पर भरोसा किया जाये तो उसके अनुसार इस कारखाने को करीब 70 करोड़ में बेचे जाने की योजना है। जबकि दिलचस्प पहलू यह है कि जिस जगह पर यह कारखाना बना हुआ है, उस 40 एकड़ जमीन की कीमत ही करीब दो सौ करोड़ रुपये है। इसके अलावा इस कारखाने की रामनगर में भी शहर से सटे हिस्से में बेशकीमती जमीन है, जिसकी कीमत भी करोड़ों में बैठती है।

70 करोड़ में कारखाने को बेचे जाने की चर्चाएं यदि सही हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि अरबों रुपये की जनता की इस सम्पत्ति को कितनी बेदर्दी से खुर्द-बुर्द कर पूंजीपतियों के हवाले करने का प्रयास किया जा रहा है। बहरहाल कारखाने का भविष्य क्या होगा यह तो अभी भविष्य में ही है, लेकिन मजदूरो ने जिस प्रकार से इसके विनिवेश के खिलाफ मोर्चा खोलने का निर्णय लिया है, उससे साफ है कि सरकार की मोहान के आईएमपीसीएल को निजी क्षेत्र में दिये जाने की डगर इतनी आसान नहीं होने वाली।

इस बैठक में एक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजा बहुगुणा, महिला एकता मंच की ललिता रावत, इंकलाबी मजदूर केन्द्र के सचिव पंकज कुमार, समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार, आईएमपीसीएल कर्मचारी यूनियन के पूर्व अध्यक्ष दीवान सिंह मेहरा, ईको सेंसेटिव जोन विरोधी संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, लालमणि, शिक्षक नेता नवेन्दु मठपाल आदि कारखाने के विनिवेश के खिलाफ आंदोलन का ऐलान करते हुए क्षेत्र की जनता को लामबंद करने का निर्णय लिया है। क्षेत्र की जनता के संघर्ष ने यदि अपना रंग दिखाया, तभी इस कारखाने का विनिवेश की प्रक्रिया को रोका जा सकता है।

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