महिला दिवस पर उत्तराखण्ड की आधी आबादी ने उठाई अपने हक की आवाज

Update: 2018-03-10 14:08 GMT

दुनिया में महिलाओं ने शानदार ढंग से संघर्ष करके अपने लिये जो भी आधे-अधूरे अधिकार हासिल हैं, उनकी चर्चा न करके मीडिया समाज में महिलाओं की जो छवि बना रहा है उससे समाज में विकृति पैदा हो रही है...

जनज्वार, रामनगर। विश्व महिला दिवस के मौके पर उत्तराखण्ड के रामनगर में महिलाओं ने समाज में महिलाओं के प्रति हो रही गैरबराबरी को खत्म करने की मांग करते हुये समाज के सभी क्षेत्रों में महिलाओं का उचित प्रतिनिधित्व देने की अपील की।

रामलीला परिसर में महिला एकता मंच के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान महिला वक्ताओं ने समाज में महिलाओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि भौतिकवाद के दौर में समाज ने जहां हर क्षेत्र में अकल्पनीय प्रगति की है, वहीं बड़ी संख्या में महिलाएं आज भी घरों की कैद की जकड़न को नहीं तोड़ पाई हैं।

विद्यावती आर्य की अध्यक्षता व ललिता बिष्ट के संचालन में तथा जनवादी गीतो की गूंज के बीच आयोजित सभा में वक्ताओं ने विश्व महिला दिवस के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किये जाने, समान व निःशुल्क शिक्षा दिये जाने, सम्मानजनक रोजगार की गारंटी के लिये लम्बे संघर्ष की वकालत करते हुये कहा कि जब तक समतामूलक समाज की स्थापना व महिलाओं के श्रम का उचित सम्मान नहीं होगा महिलाओं की आजादी सपना ही बनी रहेगी।

महिलाओं ने महिलाओ की मुक्ति के लिये अपनी पूर्ववर्ती नेताओं द्वारा चलाये गये आंदोलनों व संघर्षों को याद करते हुये कहा कि वर्तमान में इन संघर्षो की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। सरकारों पर बरसते हुये वक्ताओं ने कहा कि सरकारें ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के नारे तो अच्छी तरह से लगाने में लगी हैं, लेकिन इन नारों को धरातल में नहीं उतार पा रही हैं।

वक्ताओं ने सरकार की पोल खोलते हुये कहा कि देश के राष्ट्रपति और आम मजदूर महिला का वेतन जब तक एक समान नहीं होगा, तब तक सरकारों द्वारा महिला मुक्ति के दावे हवा हवाई ही रहेंगे।

मीडिया के माध्यम से महिलाओं को उपभोग की वस्तु के रूप में चित्रित कर उनकी छवि को एक माल के रूप में बनाने की कोशिशों की तीखी आलोचना करते हुये वक्ताओं ने कहा कि पूरी दुनिया में महिलाओं ने शानदार ढंग से संघर्ष करके अपने लिये जो भी आधे-अधूरे ही सही अधिकार हासिल किये हैं, उनकी चर्चा न करके मीडिया समाज में महिलाओं की जो छवि बना रहा है उससे समाज में विकृति पैदा हो रही है। महिलाओं ने समाज में बराबरी व आजादी के लिये चलने वाले संघर्षों में अपनी भूमिका निभाने का भी संकल्प लिया।

जनसभा के बाद महिलाओं ने कोसी रोड, ज्वाला लाईन आदि से होते हुये पुरानी तहसील तक ‘लेकर रहेंगे, आजादी’ जैसे जोरदार नारो के साथ जुलूस भी निकाला। कार्यक्रम में सरस्वती जोशी, प्रेमा देवी, पुष्पा देवी, गीता देवी, मुनीष कुमार, मनमोहन अग्रवाल, अज्जू, केसर राणा, फैजल हुसैन, ललित उप्रेती, वसीम मलिक, महेश जोशी, अजीत साहनी, सुहैल मलिक, दीपा देवी, पूजा, शान्ति देवी, विमला देवी समेत अनेक लोग शामिल रहे।

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