Lockdown के दौरान बढ़ गए बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामले, सरकारी हेल्पलाइन पर आई 92,000 कॉल्स

Update: 2020-04-09 04:58 GMT

बाल-अधिकारों के क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों ने मांग की है कि सरकार 1098 हेल्प लाइन को शुल्क से मुक्त करे और इस हेल्प लाइन नंबर को COVID-19 आपात सेवा में तब्दील कर दे।

जनज्वार: लॉकडाउन के दौरान बच्चों के साथ मस्ती करने वाले वीडियो भले ही सोशल मीडिया खूब वायरल हो रहे हों. लेकिन आंकड़े बताते है कि लॉकडाउन के बच्चों पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। यह बात मुसीबत में फंसे बच्चों के लिए बनाई गई सरकारी हेल्प लाइन 'CHILDLINE 1098' पर 20 मार्च से 31 मार्च के बीच आई 3.07 लाख टेलीफोन कॉल्स से साफ़ हो जाती है।

इनमें से 30 फीसदी फोन कॉल्स बच्चों पर की जा रही हिंसा और शोषण से उनको बचाने को लेकर थीं। यानी कि इस तरह की कुल 92,105 कॉल्स की गई थीं और वो भी मात्र 11 दिनों के भीतर।

ये तथ्य पेश करते हुए चाइल्ड लाइन इंडिया संस्था की उप-निदेशक हरलीन वालिया ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने के बाद से बच्चों पर हिंसा संबंधी कॉल्स में 50 फीसदी का इजाफा हो गया।

गौरतलब है कि ये डाटा 7 अप्रैल को जिला स्तर की बाल सुरक्षा इकाइयों के लिए आयोजित एक कार्यशाला में साझा किया गया था। इस कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। कार्यशाला में लॉकडाउन से जुड़े मुद्दों पर बातचीत हुई और साथ ही इस पर भी बात हुई कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों को तनाव से कैसे बचाया जा सके।

कार्यशाला के दौरान हरलीन वालिया ने यह भी जानकारी दी कि लॉकडाउन के बाद आई बच्चों संबंधी दूसरी कॉल्स में 11 फीसदी बच्चों की सेहत के बारे में, 8 फीसदी बाल श्रम को ले कर, 8 फीसदी गुमशुदा बच्चों के बारे में और 5 फीसदी ऐसे बच्चों के बारे में थीं जिनका रहने का कोई ठिकाना नहीं था। वालिया का सुझाव था कि लॉकडाउन के दौरान इस हेल्प लाइन सेवा को आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में रख दिया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि हाल ही में बाल-अधिकारों के क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिख कर मांग की थी कि सरकार 1098 हेल्प लाइन को शुल्क से मुक्त करे और बच्चों, उनके अभिभावकों तथा उनके केयर टेकर्स के लिए इस हेल्प लाइन नंबर को COVID-19 आपात सेवा में तब्दील कर दे।

उधर 2 अप्रैल को जारी एक साझा व्यक्तव्य में देश के 6 बड़े-बड़े बाल विकास संगठनों के एक गठबंधन ने सरकार से मांग की कि वो सबसे ज़्यादा असुरक्षित बच्चों और उनके परिवारों को बिना रोक-टोक संकटकालीन सेवाएं उपलब्ध कराती रहें।

इस गठबंधन में शामिल संगठन के नाम हैं चाइल्ड फंड इंडिया, प्लान इंडिया, सेव दी चिल्ड्रेन इंडिया, एस ओ एस चिल्ड्रेन्स विलेजेज़ ऑफ़ इण्डिया,टेरे डेस होम्स और वर्ल्ड विज़न इंडिया।

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