दंगा गाँव स्तर तक भड़का और पुलिस बल इतना था नहीं कि हर स्थान तक पहुंच सके। जहां मुसलमान बाज़ार में कोहराम काट रहे थे तो संघी घर बैठकर सोशल मीडिया पर अफवाहों से उसे भड़का रहे थे...
पंकज चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार
राजनीतिज्ञों के आपसी झगड़े बासिरघाट को शांत नहीं होने दे रहे हैं, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के आपसी जुबानी जंग ने उन हज़ारों लोगों की उम्मीदों और प्रयासों पर पानी फेर दिया है जो चाहते हैं कि सोमवार 3 जुलाई को शुरू हुआ सांप्रदायिक तनाव अतीत की बातें बन जाये।
बसीर हाट, बंगाल के उत्तरी चौबीस परगना जिले का एक बड़ा सब डिविजन है। इसकी आबादी कोई दो लाख है। यहाँ इस्लाम लगभग 12वीं सदी में आया था। यहाँ की पहली मस्जिद 1466 में बनी थी। इस इलाके में मुसलमान सदा से बहुमत में रहे हैं, लेकिन इलाके में सांप्रदायिक तनाव दुर्लभ हुआ है। यहाँ का डिग्री कॉलेज नवम्बर 1974 में शुरू हुआ था। कॉलेज के लिए अपना घर, राय बहादुर अब्दुल रहमान ने दिया और उसका शिलान्यास जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया।
यह सही है कि बगल के बंग्लादेश से लगातार आये घुसपैठियों ने इस इलाके के सौहार्द्र और माहौल को खराब किया हुआ। इस इलाके में जहां बंगलादेशी मुसलमान भड़काऊ हैं तो दक्षिणपंथी सत्ता के लालच में भड़काने वाली हरकतें करते रहते हैं।
यहाँ दंगे का माहौल चैम्पियन ट्रॉफी में पकिस्तान से मैच के बाद ही बनने लगा था। अफवाह उड़ाई गई कि मुसलमानों ने पाकिस्तान की जीत पर खुशियाँ मनाई, लेकिन ऐसा कोई तथ्य सामने आया नहीं, जो काम अफवाह नहीं आकर सकी। वह अनर्थ दसवीं में पढ़ने वाले एक बच्चे के व्हाट्स एप संदेश ने कर दिया, उसने कुछ ऐसा साझा किया जिसमें इस्लाम के विरूद्ध अभद्रता थी, यह बालक सौविक सरकार बदुड़िया कस्बे से चार किलोमीटर दूर रुद्रपुर में रहता है। सौविक के मुस्लिम पड़ोसी कहते हैं कि वह बच्चा इतना तेज नहीं है कि वह फोटोशोप आदि पर काम कर सके, जाहिर है कि उस बच्चे को किसी ने मोहरा बनाया।
सौविक का अतीत जानना जरूरी है। फिलहाल वह पुलिस अभिरक्षा में है। दस साल पहले उसके पिता ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी और वह आज भी जेल में है। वह अपने चाचा बबलू सरकार के संरक्षण में रहता है, क्रिकेट का दीवाना यह किशोर पढाई और संसाधन दोनों में औसत है।
3 जुलाई की रात उपद्रवियों ने सबसे पहले सौविक के रुद्रपुर स्थित घर को आग लगायी। कम संख्या में होने के बावजूद कुछ संघियों ने कोहराम किया, उसके बाद उपद्रवी मुसलमानों की भीड़ ने बदुड़िया, स्वरूपनगर, ताकि, भेवना, बेड़ा, चाम्पा अदि में खूब उत्पात मचाया। बाज़ार लुटे गए, आग लगायी गयी।
दंगा गाँव स्तर तक भड़का और पुलिस बल इतना था नहीं कि हर स्थान तक पहुंच सके। जहां मुसलमान बाज़ार में कोहराम काट रहे थे तो संघी घर बैठकर सोशल मीडिया पर अफवाहों से उसे भड़का रहे थे। उत्पातियों ने भेव्ला रेलवे स्टशन पर गुंडई की और यात्रियों को मारा। रेल यातायात रोक दिया गया। हरिशपुर, मेगिबागान आदि में बसों को फूंका गया।
शर्मनाक है कि जिले कि पुलिस ना तो हालात संभाल पाई और ना ही उसके खुफिया तंत्र ने काम किया। आज बदुड़िया सहित कई कस्बों और गांवों में स्थानीय लोग शांति के लिए एकजुट हो रहे हैं। जुलूस निकाल रहे हैं। वहीं संघी राज्यपाल के साथ और मुसंघी ममता के साथ इस आग को सुलगते रहने देना चाहते हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि लूटपाट और आगजनी करने वाले घुसपैठिये बंगलादेशी मुसलमान हैं।
इस पूरे काण्ड कि निष्पक्ष जांच हो, सौविक को इसके लिए उकसाने वाले का चेहरा बेनकाब हो, दंगाई यदि घुसपैठिये हैं तो उन्हें देश निकाले की कार्यवाही हो, सबसे बड़ी वहां शांति हो।