कंपनी के गुंडे मजदूरों की मांओं और पत्नियों को दे रहे धमकियां कि यूनियन में मजदूर न हों शामिल
गुंडों के जरिए धमका रहा है यूनियन से हटो नहीं तो करेंगे मारुति मजदूरों जैसा हाल
जनज्वार, मानेसर। गुड़गांव के मानेसर स्थित एसपीएम आटो कॉम प्रा. लि. के मजदूरों ने अपनी यूनियन का गठन कर रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है, जो प्रबंधन को नागवार गुजर रहा है। मजदूर यूनियन को तोड़ने के लिए प्रबंधन असामाजिक तत्वों को लेकर मजदूरों के घरों में जा रहा है और धमकाया जा रहा है कि उनका हाल भी मारुति मजदूरों की तरह कर दिया जाएगा। मगर मजदूरों ने डरते हुए मजदूर यूनियन ने अपना सामूहिक मांगपत्र भी कंपनी प्रबंधन एवं संबंधित श्रम अधिकारी के समक्ष पेश किया है।
यूनियन से डरकर एसपीएम प्रबंधन ने मजदूरों की एकता तोड़ने के लिए षड्यंत्र, धमकी, गुंडागर्दी का सहारा लेना शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि यह वही कंपनी है जहां इस वर्ष अप्रैल में काम के दौरान एक मजदूर की दर्दनाक मौत हो गई थी। यहां पिछले कुछ सालों में कई मजदूरों की मृत्यु हो चुकी है। दुर्घटनाएं होना यहां आम बात हो चुकी है। काम के दौरान यहां के अनेक मजदूरों की उंगलियां एवं हाथ कटना तो आम जीवन का हिस्सा है। यहां कुशल मजदूरों को भी हेल्पर के न्यूनतम वेतन पर खटाया जाता है। गौरतलब है कि यह आपराधिक कंपनी मारुति, होंडा, टोयोटा, आइसर आदि बड़ी कंपनियों के लिए पार्टस बनाती हैं।
कंपनी के एमडी एवं मालिक डी बतरा को शासन, पुलिस प्रशासन एवं श्रम विभाग का पूरा सहयोग एवं संरक्षण प्राप्त है। ऐसे में एसपीएम आटो के मजदूरों का संघर्ष भी एकदम शुरुआत से ही कंपनी प्रबंधन के साथ-साथ पुलिस, प्रशासन श्रम विभाग, ठेकेदारों, गुंडों सभी के खिलाफ बनना शुरू हो गया।
गुड़गांव में सक्रिय मजदूर नेता श्यामवीर शुक्ला बताते हैं, मजदूरों की एकता तोड़ने के लिए प्रबंधन टुच्ची हरकतों पर तक उतर आया है। एक फैक्ट्री मजदूर जो बहादुरगढ़ के पास रहता है, के घर जाकर एसपीएम प्रबंधन के लोगों ने न सिर्फ उसकी बुजुर्ग मां को धमकाया, बल्कि कहा कि अपने लड़के को समझाए कि वह यूनियन गतिविधियों से अलग हट जाए नहीं तो उसे जेल जाना पड़ेगा।
शुक्ला बताते हैं, प्रबंधन यूनियन से जुड़ रहे सभी मजदूरों के घरों में असामाजिक तत्वों को लेकर जा रहा है। साथ ही मजदूरों को धमकी दी जा रही है कि उनका भी हाल मारुति मजदूरों की तरह कर दी जाएगी।
एसपीएम आटो के मजदूरों ने 8 अक्तूबर को अपनी आम सभा कर कंपनी प्रबंधन के षड्यंत्रों एवं गुंडागर्दी के समक्ष न झुकने एवं मुकाबला करने का संकल्प लिया। उन्होंने गुड़गांव, मानेसर की कई यूनियनों से संघर्ष में समर्थन की अपील की है और उन्हें कई यूनियनों का समर्थन मिल भी रहा है।
मजदूर नेताओं का कहना है कि आज देश-दुनिया का पूंजीपति वर्ग मजदूरों पर लगातार हमलावर है। वह मजदूरों का बेलगाम, निर्मम शोषण कर अपने मुनाफे को अधिक से अधिक बढ़ाना चाहता है। इसके लिए वह श्रम कानूनों की बाधाओं से मुक्त होना चाहता है और यूनियन तो उसको बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है। ऐसे में यूनियन न बनने देने एवं मौजूदा यूनियनों को तोड़ने अथवा पालतू बना लेने के लिए किसी भी हद तक लाने को तैयार है।
मजदूर नेता कहते हैं, केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी की सरकार पूंजीपति वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है। वह देश-दुनिया के पूंजीपतियों के हितों में मुस्तैद है। पुलिस-प्रशासन मजदूरों के दमन के लिए हर पल हाजिर है। मारुति सुजुकी (मानेसर), अरेस्टी (बादल), आइसिन (रोहतक) आदि के उदाहरण सबके सामने हैं। ऐसे में छुट्टे पूंजीवाद के इस दौर में केवल फैक्ट्री स्तर की एकता भिखारी साबित हो रही है। मजदूरों को बतौर वर्ग संगठित होकर पूंजीपति वर्ग का मुकाबला करना होगा।