जिनके सिर थी बच्चियों के संरक्षण की जिम्मेदारी, वही मासूम जिस्म के सौदागर निकले

Update: 2018-07-24 04:37 GMT

पीड़ित बच्ची ने अदालत को बताया उसके साथ रह रही एक अन्य लड़की का बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी, फिर उसे वहीं परिसर में गाड़ दिया गया...

मुजफ्फरपुर, जनज्वार। बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में 29 लड़कियों के साथ हुए यौन शोषण पर बिहार सरकार के अगुवा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा चुप्पी साधे रखने से उपजे जनाक्रोश और बच्चियों के खिलाफ हुए यौन शोषण के अंतहीन सिलसिले को तोड़ते हुए उसके खिलाफ महिला संगठनों द्वारा आवाज़ उठाये जाने के बाद देर से ही सही पर अब बिहार सरकार कुछ कानूनी कार्रवाईयाँ करती हुई दिख रही है।

मुजफ्फरनगर के आश्रय गृह में 21 लड़कियों से यौन शोषण और एक पीड़िता लड़की की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी। जिसे वहीं शेल्टर होम के परिसर में ही दफन कर दिया गया। खुलासे के बाद अदालत के आदेश और एक अन्य पीड़िता लड़की की निशानदेही वाले स्थान की खुदाई की जा रही है, जिसकी मजिस्ट्रेट खुद न सिर्फ निगरानी कर रहे हैं बल्कि वीडियो रिकार्डिंग भी करवाई जा रही है।

वर्ष 2013 से 2018 के बीच शेल्टर होम से इसी तरह 6 लड़कियाँ गायब कर दी गईं हैं। ताज्जुब ये कि इन लड़कियों के शेल्टर होम से गायब होने का कोई पुलिस रिकॉर्ड भी नहीं है। पीड़िता लड़की ने अदालत में बताया था कि उसके साथ रह रही एक अन्य लड़की का बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी और फिर उसे वहीं परिसर में गाड़ दिया गया।

मामले में सेवा संकल्प एवं विकास समिति के संचालक बृजेश ठाकुर समेत 11 लोगो को आरोपित करके जेल भेज गया है, जिनमें आठ महिलाएँ हैं। जिला बाल कल्याण समिति के एक सदस्य विकास और जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी रवि रौशन को भी गिरफ्तार किया गया है, जबकि जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिलीप वर्मा फरार है।

बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर राजकुमार ने खुलासा करते हुए बताया कि लड़कियों के शरीर पर इंजेक्शन के घाव मिले हैं। लड़कियों का यौन शोषण करने से पहले उन्हें ड्रग्स का डोज दिया जाता था, जिससे लड़कियों का स्वभाव इतना उग्र और आक्रामक हो चला है कि वो आत्महत्या करने या खुद को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करती रहती हैं। अपने आसपास के सामानों को तोड़ने-फोड़ने लगती हैं।

दरअसल, लगातार प्रताड़ित किये जाने के चलते लड़कियों के मानसिक हालात ठीक नहीं हैं। मेडिकल जाँच में इन सभी लड़कियों से बलात्कार की पुष्टि हो चुकी है। वहीं कई लड़कियों के गर्भपात कराये जाने की भी पुष्टि हुई है। पीड़िताओं में सबसे छोटी लड़की की उम्र सात साल बताई जा रही है।

वहीं दूसरी ओर बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सफेदपोश आरोपियों को बचाने का गंभीर आरोप लगाते हुए सरकार से सीबीआई जाँच की माँग की है।

यह मामला इससे पहले 20 जुलाई को काला दिवस के अवसर पर बिहार महिला संगठन की महिलाओं द्वारा एकत्र होकर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन करके उन्हें काला झंडा दिखाकर सीबीआई जाँच की माँग करने के बाद तमाम अखबारों की सुर्खियाँ बनने के गर्माया था। कार्यक्रम की अगुवाई जिलाध्यक्ष भारती सिन्हा, सचिव इंदु ने की थी।

वहीं कॉमरेड निवेदिता शकील, रामपरी देवी, सुशीला सहाय, मोना झा समेत सैंकड़ों औरतों ने रेडियों स्टेशन से जुलूस निकालते हुए डाकबंगला चौराहा को दो घंटे तक जाम करके रखा था और दोषियों पर कार्रवाई न होने पर पबरे बिहार में और उग्र आंदोलन के चेतावनी दी थी।

बता दें कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने मुजफ्फरपुर बिहार के बालिका सुधार गृह में नाबालिग लड़कियों से बलात्कार और गर्भपात का सनसनीखेज खुलासा किया था, जिसके बाद से लगातार बिहार सरकार खामोशी ओढ़ो हुए थी जबकि विपक्षी दल और तमाम महिला संगठन इस गंभीर मसले पर सरकार को घेरते हुए लगातार सीबीआई जाँच की माँग कर रहे हैं। क्योंकि आरोपियों में कई रसूखदार और सत्ताधारी पार्टी से संबंधित लोग हैं। जिन्हें शेल्टर होम की लड़कियां लगातार परोसी जाती रही हैं। अपनी छवि बचाने के लिए कभी राजद से संबंध तोड़ लेने वाले छवि कुमार देखना है, अब अपनी छवि पर लगे इस अमानवीय दाग को कैसे साफ करते हैं।

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