महिला संगठनों ने किया मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान

Update: 2019-04-04 06:42 GMT

पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने नफ़रत की राजनीति फैलाई है। ये संविधान के लिए खतरनाक है। ये लोग गाय माता और भारत माता के नारे बुलंद करते हैं और इन्हीं के लोग बलात्कार की धमकी देते हैं, ट्रोल करते हैं...

सुशील मानव

2 अप्रैल को दिल्ली स्थित इंडियन वूमेन प्रेस क्लब के कांफ्रेंस हॉल में ‘वीमेन मार्च फॉर चेंज’ की प्रेस कान्फ्रेंस हुई। शबनम हाशमी ने बताया कि हम 100 से ज्यादा महिला संगठनों ने एकजुट होकर वीमेन मार्च फॉर चेंज का आयोजन करने का निश्चय किया है, जिसे हमने नाम दिया है – ‘औरतें नहीं उठ्ठी तो ये जुल्म बढ़ता जाएगा। ये मार्च आज 4 अप्रैल को एक साथ 18 राज्यों में आयोजित हो रहा है। दिल्ली में ये मार्च सुबह 11 बजे मंडी हाउस से शुरु होकर जंतर मंतर तक जाएगा। स्त्रियों का ये मार्च हम हिंसा ओर नफ़रत के खिलाफ़ निकाल रहे हैं, जोकि सरकार द्वारा पिछले 5 साल में किया गया है।

कान्फ्रेंस में बोलते हुए एसएनएस आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने कहा- असमानता बढ़ रही है। 9 परिवारों के पास देश की आधी से ज्यादा संपत्ति है। सरकार की सारी नीतियां क्रोनी कैपिटलिज्म को बढ़ावा देने वाली हैं और इसका सबसे ज्यादा असर औरतों पर पड़ रहा है। राशन, पेंशन जैसे मौलिक अधिकारों में कोई वृद्धि नहीं हुई। एमएननएफसी की धज्जियां उड़ाई गयी हैं। सीबीआई जूडिशरी प्रभावित हुई है। इन्फर्मेशन कमीशन को खत्म करके सरकार क्या छुपाना चाहती है।

पूर्णिमा गुप्ता ने कहा- पिछले पांच साल में नफ़रत की राजनीति फैलाई गई है। ये संविधान के लिए खतरनाक है। ये लोग गाय माता और भारत माता के नारे बुलंद करते हैं और इन्हीं के लोग बलात्कार की धमकी देते हैं, ट्रोल करते हैं। इन्हें किसी के विकास से नहीं बल्कि समाज के डिवीजन से मतलब है क्योंकि इसी के सहारे ये सत्ता में पहुँचते हैं। हमारा ये कार्यक्रम आज 18 राज्यों के 143 जिलों में हो रहा है। आने वाले दिनों में हम गांव गांव ब्लॉक ब्लॉक जाकर महिलाओं को जागरुक करेंगे कि ये सरकार हमारे किचेन और बेडरूम में घुस आई है। अब ये डिसाइड रहे हैं कि महिलाएं क्या खायें, क्या पहनें क्या करें, क्या न करें। हम महिलाओं को समझाएंगे कि इस महिला विरोधी, संविधान विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने में सब साथ आए और भाजपा और उनके सहयोगियों को वोट न करें।

महिलाओं, किसानों और वनवासियों के लिए काम करने वाली सोमा ने कहा – ये सरकार सिर्फ पुरुषों को पहचानती है। तभी तो जिनके नाम पर खेत और जमीन है सिर्फ उन्हीं को 6 हजार रुपए सालाना देने का ऐलान करती है, जबकि 70 प्रतिशत महिलाएं खेती के काम से जुड़ी हैं। जबकि उनके नाम पर खेत नहीं है। सरकारी योजनाओं में महिला किसानों के लिए कुछ नहीं है। किसान कार्ड भी महिलाओं के लिए नहीं है। उज्ज्वला योजना के बाद औरतों को केरोसीन नहीं देती और जंगल की लकड़ियां नहीं लेने देती। सरकार के आंकड़ों और योजनाओं में औरतें की पहचान नहीं की जाती। किसानों द्वारा सुसाइड करने पर सबसे ज्यादा तकलीफ औरतों को उठानी पड़ती है। हम औरतों के संघर्ष आवाज़ और अधिकार के लिए आज खड़े हैं।

इस सरकार में महिलाओं पर हिंसा को लोगों के बीच इस तरह से लाया जाता है कि बार बार इसे करने वालों को सपोर्ट मिले। ये सब कठुआ में दिखा। अपराध दर बढ़ा है। खुद सरकार के आंकड़े कह रहे हैं कि अभी बी 99 प्रतिशत क्राइम रिपोर्ट नहीं हो रहे हैं। बस्तर जैसी जगहों पर औरतों के साथ होने वाले अपराध की सूचना ही लोगों तक नहीं पहुंचती है।

विकास और महिला सशक्तीकरण सेक्टर की दीप्ता ने कहा कि सरकार महिलाओं लड़कियों को बचाने का ऐलान करती है, लेकिन उसका काम महिला विरोधी है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के बजट का 50 प्रतिशत फंड तो इसकी पब्लिसिटी पर खर्च किया गया है। सेक्स रेशियों जो पांच साल पहले था वहीं आज भी है, बल्कि जो कुछ बेहतर थे वो आज और बदतर हुए हैं। इससे ये पता चलता है कि ये योजना फेल है।

मोदी सरकार के समय उच्च शिक्षा के बजट में 35 प्रतिशत तक की कटौती की गई है। पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में सरकार ने भारी कटौती की जिसके चलते बहुत सी गरीब लड़कियों ने दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। सरकार एससी, एसटी, ओबीसी लड़कियों के स्कूल ड्रॉपआउट डाटा रिकॉर्ड ही तैयार नहीं कर रही है। माइनोरिटी के जॉब को लेकर 15 सूत्रीय कार्यक्रम खत्म कर दिया गया सरकार द्वारा। महिलाओं की स्थितियों को लेकर न तो कोई रिसर्च किया जा रहा है न ही कोई डाटा कलेक्ट किया जा रहा है इस सरकार में।

जीडीपी का 3.7 प्रतिशत बजट स्वास्थ्य के लिए होना चाहिए। आयुष्मान भारत योजना इंश्योरेंस में प्राइवेट कंपनियों को फायदा देती है। वो पब्लिक फंड लेकर अपने अस्पताल बनाते हैं। आज देश भर में गाइनोकोलॉजिस्ट और सर्जन की 70 प्रतिशत तक की कमी है। मातृवंदन योजना के प्रावधान के तहत 18 वर्ष से कम की उम्र में मां बनने वाली लड़कियों को इसका फायदा नहीं दिया जाता है। इससे गरीब औरतें वंचित रह जाती हैं जबकि खुद सरकार के आंकड़े बताते हैं कि कई जल्दी विवाह होने के चलते बहुत सी लड़कियां 18 वर्ष से कम की उम्र में मां बनती हैं।

नंदिनी राव ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में औरतों के साथ लगातार बलात्कार हो रहा है। हरियाणा में दलित महिलाओं के साथ लगातार हो रहा है, ट्रांसजेंडर समुदाय का कोई ऑफिशियल डेटा सरकार नहीं कलेक्ट कर रही। हमारे अधिकारों का लगातार इस सरकार में हनन हुआ है, इसलिए हम ये सवाल सिविल सोसायटी के सामने उठा रहे हैं।

महिला संगठनों का कहना है कि सरकार अपने नागरिकों से ही लड़ाई लड़ रही है और अपना अधिकार मांगने और शांतिपूर्ण विरोध करने वालों के खिलाफ़ कानूनों को इस्तेमाल करके उन्हें देशद्रोही, राष्ट्रद्रोही, नक्सली बताकर गिरफ्तार करके जेल में ठूंसकर प्रताड़ित किया गया, बहुतों की तो हत्या भी करवा दी गई। सरकार द्वारा नागरिकों को ही अपराधी बना दिया गया है।

महिलाएं पूछती हैं कहाँ है विकास। रोजगार में गिरावट क्यों आई है, सरकार और संवैधानिक संस्थाओं में औरतों को प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिला। महिला आरक्षण विधेयक क्यों नहीं पास किया गया।

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