योगी राज में मुस्लिम बहुल स्कूली बच्चों का प्लेग्राउंड होगा 'गौशाला' में तब्दील

Update: 2019-02-05 14:07 GMT

जिला प्रशासन ने दी धमकी अगर ग्रामसभा की इस जमीन पर से स्कूल नहीं छोड़ा कब्जा तो स्कूल प्रशासन के खिलाफ की जाएगी एफआईआर, दूसरी तरफ स्कूल प्रबंधन ने कहा 40 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने दी थी यह जमीन दान में नहीं किया है कोई कब्जा

नन्हेलाल की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के एक स्कूल के प्लेग्राउंड को प्रशासन ने गौशाला में तब्दील करने का फरमान जारी कर दिया है। 3 जनवरी को जिला प्रशासन ने स्कूल को सूचित किया कि स्कूल के प्लेग्राउंड को गौशाला बनाया जाएगा, क्योंकि यह सरकारी जमीन है। प्रशासन के इस आदेश का स्कूल मैनेजमेंट ने कड़ा विरोध किया है।

मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद स्थित तुलसीपुर तहसील के पचपेड़वा गांव के फजल-ए-रहमानिया इंटर कॉलेज की 2.5 एकड़ जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ है। जिला प्रशासन के मुताबिक यह जमीन ग्रामसभा की है, जबकि स्कूल प्रशासन दावा कर रहा है कि यह जमीन प्लेग्राउंड के नाम से रजिस्टर्ड है। इसीलिए जिला प्रशासन ने स्कूल प्रशासन को धमकी भी दी है कि अगर उसने जमीन पर गौशाला बनने में कोई अड़ंगा लगाया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।

यह स्कूल सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त है। इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक स्कूल के प्रधानाचार्य मोहम्मद इस्माइल कहते हैं कि इस जमीन को बच्चों के प्ले ग्राउंड के बतौर पिछले 40 वर्षों से स्कूल इस्तेमाल कर रहा है। यह जमीन खसरा-खतौनी के दस्तावेजों में भी स्कूल के नाम से ही दर्ज है। प्रधानाचार्य ने यह भी बताया कि यह जमीन तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने स्कूल के बच्चों से प्रभावित होकर 1977 में दान में दी थी।

बकौल प्रधानाचार्य मोहम्मद इस्माइल स्कूल प्रशासन ने इस मामले में जिलाधिकारी को भी पत्र लिखा है कि इस स्कूल में 1500 बच्चे पढ़ते हैं, जो सभी धर्मों के हैं। यहां मुस्लिम बच्चों की संख्या ज्यादा है। यदि ऐसा हुआ तो बच्चों के खेलने की जगह छिन जाएगी और वे अपने खेलने-कूदने के अधिकारों से वंचित हो जाएंगे। यहां तक कि इस सिलसिले में हमें पहले से सूचित भी नहीं किया गया है कि स्कूल प्ले ग्राउंड को अब गौशाला बनाया जाएगा।

इसके उलट पचपेड़वा गांव के लेखपाल का कहना है कि स्कूल प्लेग्राउंड ग्रामसभा की जमीन है और इसे मापा भी गया है। जिला प्रशासन की तरह लेखपाल ने भी स्कूल प्रशासन को धमकी दी है कि यदि प्लेग्राउंड खाली नहीं किया गया तो स्कूल प्रशासन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।

तुलसीपुर, जो बलरामपुर जिले की नगर पंचायत है, के उपजिलाधिकारी विशाल यादव कहते हैं कि यह जमीन लंबे समय से खाली पड़े रहने के कारण स्कूल इसे अपने प्लेग्राउंड के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, जैसा कि ज्यादातर स्कूल अपने पास खाली जमीन को स्कूल के प्लेग्राउंड के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह जमीन स्कूल की नहीं है। विशाल यादव ने स्कूल प्रधानाचार्य पर आरोप लगाया है कि असल मकसद इस जमीन को हड़पने का है। इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वे इस मामले से अवगत नहीं हैं और इस तरह का विवाद हमारे न्याय क्षेत्र में नहीं आता है।

इस स्कूल में 11 सालों से अध्यापन का कार्य कर रहे अब्दुल काजिम खान कहते हैं, सरकार के इस रवैये के खिलाफ स्कूल के सभी अध्यापकों और छात्रों ने मिलकर 2 फरवरी और 4 फरवरी को हम लोगों ने प्रदर्शन किया है। सरकार को इस तरह बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में बाधा नहीं पहुंचानी चाहिए।

स्कूल प्रबंधक शारिक रिजवी के मुताबिक, इस गांव में और भी खाली प्लाट पड़े हुए हैं। सरकार उनमें से किसी भी जगह गौशाला बना सकती है। हमारे स्कूल के कई बच्चे खेलकूद में राज्य स्तर पर भागीदारी कर रहे हैं। अभी हाल ही में राज्य स्तर पर हमारे दो बच्चे वॉलीबाल में पहुंच गए हैं। प्रशासन हमारे स्कूल के बच्चों के कैरियर के साथ खिलवाड़ क्यों करना चाहता है? जबकि इस मामले में जिलाधिकारी कृष्ण करुणेश ने कोई जवाब नहीं दिया।

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