गैर सरकारी संगठन एजीएपीई संचालित कर रहा था एड्स पीड़ितों के इस अनाथालय को
एचआईवी पॉजीटिव लोगों के साथ हमारा समाज किस हद तक निर्मम हो सकता है, इसका जीता—जागता उदाहरण मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में दिखा। समाज में तो उनके साथ भेदभाव और उत्पीड़न की घटनाएं देखने को मिलती ही हैं, उनके संरक्षण के लिए बनी जगहों पर भी उनके साथ कम दुर्व्यहार नहीं किया जाता। वीडियो में दिखा कि हैदराबाद के एक अनाथालय के सुपरवाइजर और वॉर्डन ने एचआईवी पॉजीटिव बच्ची को किस तरह सीवर साफ करने के लिए मजबूर किया।
हिन्दुस्तान टाइम्स के हवाले से छपी एक खबर के मुताबिक इस घटना के सोशल मीडिया पर छा जाने के बाद हैदराबाद पुलिस ने अनाथालय के सुपरवाइजर और वार्डन को गिरफ्तार किया। वीडियो में दिखा कि एक एचआईवी पीड़ित बच्ची मेनहोल साफ करने के बाद किस तरह गंदगी से भरे एक डिब्बे के साथ अपने हाथ बाहर निकाल रही है। उससे जल्दी से गंदगी साफ करने का निर्देश दिया जा रहा है, साथ ही मेनहोल के पास उसकी मदद के लिए चार—पांच अन्य बच्चियां भी दस्ताने पहने दिखाई दे रही हैं। इस घटना के बाद आरोपों—प्रत्यारोपों का दौर—दौरा शुरू हो चुका है। बाल अधिकार कार्यकर्ता और राजनीतिक पार्टियां गैर सरकारी संगठन एम्बेसडर आॅफ गुडविल फॉर एड्स पेसेंट एवरीवेयल (एजीएपीई),जिसके संरक्षण में गायत्रीनगर के पास यह अनाथालय चल रहा था, पर कठोर कार्रवाई की मांग करने लगे हैं।
हमारे देश में ऐसी शर्मसार करने वाली घटनाएं तब दिखाई दे रही हैं, जबकि देश में पहले से हाथ से गंदगी साफ न करने को लेकर कई कानून पारित कर दिए गए हैं और मैनुअल स्केन्विंगिंग को प्रतिबंधित किया गया है, जिससे कि ऐसी घटनाएं न दिखाई—सुनाई दें और न ही इस तरह कोई किसी को गंदगी साफ करने के लिए मजबूर कर सके।
आंध्र प्रदेश बाल अधिकार संघ ने इस घटना के खिलाफ नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) के साथ मिलकर एक याचिका दायर की है, जिसमें एक एचआईवी पॉजिटिव लड़की को मैनहोल साफ करने के लिए मजबूर करने के लिए अनाथालय के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है।
चाइल्ड राइट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पी आचुता राव के मुताबिक अनाथालय में मौजूद 235 अनाथ बच्चों, जो कि सभी एचआईवी पॉजिटिव हैं, और छात्रावास के अधिकारियों ने बच्चों को मज़दूरी, सफाई कार्यों के अलावा घर के अन्य काम करने के लिए मजबूर किया हुआ था।