सरकार विरोधी माने जाने वाले एनडीटीवी समूह के संपादक प्रणब रॉय के यहां 2010 के एक बैंक फ्रॉड के मामले में हुई छापेमारी के बाद पूरे देश से तीखी प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। भाजपा को छोड़ ज्यादातर पार्टियों ने सरकार की इस कार्यवाही की निंदा की है। देश के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सरकार की हां में हां नहीं मिलाने वाली मीडिया के मुंह पर जाबी लगाने की कायराना हरकत बताया है।
गौरतलब है कि तीन दिन पहले भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा एनडीटीवी अंग्रजी के डिबेट में शामिल होने एनडीटीवी के दफ्तर पहुंचे थे। शो में बहस के दौरान संबित ने एंकर निधि राजदान के एक सवाल पर एनडीटीवी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आपलोगों का एक एजेंडा है, जिसपर आपलोग काम करते हैं।
संबित के कहे पर एंकर ने ऐतराज किया पर संबित ने अपनी बात जारी रखी और एजेंडा वाली बात पर अड़े रहे। ऐसे में एंकर निधि राजदान ने उन्हें शो से जाने को कहा और संबित को शो से जाना पड़ा।
माना जा रहा है कि भाजपा सरकार ने अपने प्रवक्ता की इस बेइज्जती का बदला लिया है और एनडीटीवी को सबक सिखाने के लिए छापेमारी करवाई है। भाजपा की इस प्रतिक्रियावादी कार्यवाही पर ज्यादातर पार्टियों ने भाजपा और मोदी सरकार की आलोचना की है और कहा है कि मीडिया की आवाज को इस तरह से दबाया जाना कहीं से भी लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता है।
सरकार की कार्यवाही से आहत एनडीटीवी के सबसे प्रखर एंकर रवीश कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार देश में सिर्फ गोदी मीडिया को देखना चाहती है।