मेट्रो में यौन उत्पीड़न रोकने का नायाब तरीका

Update: 2017-06-09 21:41 GMT

अगर आप भी मेट्रो यात्री हैं तो इस बात से इनकार नहीं करेंगे कि मेट्रो में यात्रा करने वाली लड़कियों—महिलाओं को कई बार मर्दों द्वारा जानबूझकर किए जाने वाले धक्का—धुक्का और शरीर सटाने की हरकतों का शिकार होना पड़ता है। पर भारत में इस तरह के यौन उत्पीड़न को गंभीरता से नहीं लिया जाता। अलबत्ता कई बार विरोध करने वाली औरतों को ही दोषी करार दिया जाता है।

पर दक्षिण अमेरिकी देश मैक्सिको ने इसे गंभीरता से लिया है। तमाम तरह के विज्ञापनों और समझाइस के बाद भी जब मर्द सहयात्री महिला यात्रियों को धक्का देने, औरतों के पीछे खड़ा होकर लिंग सटाने या उनके स्तनों को दहिने—बाएं होकर चोरी—छिपे दबा देने से बाज नहीं आए तो मेट्रो ने एक नायाब तरीका निकाला।

यौन उत्पीड़न रोकने के तरह—तरह के प्रयोग दुनिया भर में हो रहे हैं। मैक्सिको ने सार्वजनिक परिवहन में स्त्रियों के यौन उत्पीड़न रोकने का एक अदभुत प्रयोग किया है। मैक्सिको सिटी की व्यस्ततम मेट्रो में 'पेनिस सीट' लगाई है। पुरुषों के लिए रिज़र्व इस सीट के सामने लिखा है, "यहां बैठना असुविधाजनक है, लेकिन यह उसके मुकाबले कुछ नहीं है, जो महिलाएं अपनी रोज़ाना यात्रा के दौरान झेलती हैं।"

इस प्रयोग कि पुरी दुनिया में भर में सराहना—आलोचना हो रही है। पर इस प्रयोग को आजमाने वाली टीम का कहना है कि मेट्रो में औरतों से सटने या उन्हें छेड़ने या उनके शरीर में धक्का देने से उन्हें कैसा अहसास होता है, उसका अंदाजा मर्दों को लगना ही चाहिए। और यह तरीका सबसे सटीक है।

वीडियो में देखें यात्रियों की प्रतिक्रिया 
 
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