संबित पात्रा को स्कूल-कॉलेजों की तो फिक्र नहीं, लेकिन मंदिर खुलवाने पहुंच गये सुप्रीम कोर्ट

रथ यात्रा में जुटने वाली भीड़ से कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बहुत ज्यादा है, इसलिए इस पर फिलहाल रोक लगायी गयी है....

Update: 2020-06-22 01:45 GMT

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जनज्वार। देश में कोरोना के लगातार बढ़ रहे खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर रोक लगायी हुई है, मगर खुद कोरोना संक्रमित हो चुके भाजपा नेता संबित पात्रा ने मांग की है कि यह रोक हटा दी जाये और इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पात्रा ने सुप्रीम कोर्ट में इस पर लगी रोक को हटाने के लिए याचिका दाखिल की है।

वहीं पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक स्कूल—कॉलेजों को अगस्त तक बंद रखने के आदेश दिये हैं। इस पर तो पात्रा ने एक सर्जन होने के बावजूद कहीं अपील दाखिल करने की जहमत नहीं उठायी, लेकिन जगन्नाथ पु​री की रथयात्रा खुलवाने के लिए कोर्ट पहुंच गये।

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पात्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि भगवान जगन्नाथ के उन 800 सेवायतों के माध्यम से, भक्तों के समूह के बिना, रथ यात्रा आयोजित करने की अनुमति दी जाए, जिन सेवायत की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है।

इसके अलावा अन्य व्यक्तियों और गैर सरकारी संगठनों की ओर से भी शीर्ष अदालत में कई आवेदन किए गए हैं, जो बिना किसी समूह के रथ यात्रा की अनुमति मांग रहे हैं। शीर्ष अदालत की ओर से सोमवार 22 जून को इन मामलों पर सुनवाई किए जाने की संभावना है।

प्रसिद्ध यात्रा 23 जून को जगन्नाथ मंदिर से शुरू होनी है। हालांकि, अब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का रथ कोई नहीं खींचेगा और वार्षिक कार्यक्रम से जुड़ी अन्य सभी गतिविधियां भी रद्द कर दी गई हैं।

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना के साथ प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने देश में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच यात्रा पर रोक का फैसला लिया है।

प्रधान न्यायाधीश ने इस संबंध में कहा था कि इस तरह के कार्यक्रम इस महामारी के दौरान नहीं हो सकते हैं। अगर हम इसकी अनुमति देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।

पीठ ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हितों को देखते हुए इस वर्ष रथ यात्रा उत्सव की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

शीर्ष अदालत ने कहा, हम तदनुसार निर्देश देते हैं कि इस वर्ष ओडिशा के मंदिर शहर या राज्य के किसी अन्य हिस्से में कहीं भी रथ यात्रा नहीं होगी। हम आगे प्रत्यक्ष निर्देश देते हैं कि इस अवधि के दौरान रथ यात्रा के साथ कोई भी धर्मनिरपेक्ष या धार्मिक कार्य नहीं होगा।

शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर एक याचिका के बाद आई थी, जिसमें 10 से 12 दिनों तक चलने वाले रथ यात्रा उत्सव को रोकने की मांग की गई थी।

याचिका में कहा गया कि रथ यात्रा में जुटने वाली भीड़ से कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बहुत ज्यादा है, लिहाजा इस पर फिलहाल रोक लगाई जाए।

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