BJP Uttarakhand : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भी 'हार' पर क्यों मंथन कर रही भाजपा ?

BJP Uttarakhand : भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि जिन विधानसभाओं में अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिले हैं, उन विधानसभाओं मे पार्टी ने वरिष्ठ पदाधिकारियों को भेजकर प्रतिकूल परिणाम की समीक्षा करने का निर्णय लिया है....

Update: 2022-03-27 06:46 GMT

(भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान)

BJP Uttarakhand : चुनाव परिणाम आने के बाद अपनी हार को लेकर तमाम बहानेबाज राजनीतिक दलों के लिए भाजपा की नई कवायद सबक लेने वाली है, यदि वह लेना चाहें तो ! उत्तराखण्ड (Uttarakhand) प्रदेश के हालिया विधानसभा चुनाव की 'हार' के लिए भारतीय जनता पार्टी ने मंथन करना शुरू कर दिया है।

जी हां! प्रदेश में सत्ता संभालने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यह मंथन उन 23 सीटों के लिए शुरू किया है, जहां उसको 70 सदस्यी विधानसभा वाले प्रदेश की 23 सीटों पर पराजय मिली है। भाजपा का पार्टी संगठन प्रदेश की इन 23 सीटों की समीक्षा करेगा, जहां विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) में हार का सामना करना पड़ा। समीक्षा 29 मार्च से शुरू होगी। इसके लिए पार्टी की ओर से नेताओं की तैनाती कर दी गई है।

पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान (Manvir Singh Chouhan) ने बताया कि जिन विधानसभाओं में अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिले हैं, उन विधानसभाओं मे पार्टी ने वरिष्ठ पदाधिकारियों को भेजकर प्रतिकूल परिणाम की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। पदाधिकारियों को विधानसभा में जाकर एक अप्रैल से पूर्व बैठकें कर रिपोर्ट मुख्यालय को देने के लिए कहा गया है।

विधानसभा में जाने वाले पदाधिकारियों को तीन प्रकार की बैठकें कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में समीक्षा बैठकें 29 मार्च से होंगी। बैठकें सामूहिक बैठक, टोली बैठक तथा चर्चा बैठक में कार्यकर्ताओ के साथ वार्तालाप किया जाएगा। एक अप्रैल को समीक्षा बैठक की रिपोर्ट मुख्यालय को सौंप दी जाएगी।

वैसे भारतीय जनता पार्टी राज्य में पहली इतिहास रचते हुए पुनः सत्ता में वापसी कर चुकी है। लेकिन इसके बाद भी 23 सीटों की हार उसके लिए चिंता की वजह बनी है, जो बताती है कि पार्टी शत-प्रतिशत सफलता के लक्ष्य के प्रति कितनी गंभीर है। जबकि राज्य में दूसरे भी राजनैतिक दल हैं जो चुनाव से छः महीने नींद से अंगड़ाई लेते हुए चुनाव में जुटते हैं। और हार के बाद तरह-तरह के बहाने बनाते हुए फिर चिरनिंद्रा में चले जाते हैं। देखने वाली बात है कि ऐसे दल क्या भाजपा की मेहनत से कुछ सीखने का प्रयास करेंगे या अपनी हार के लिए नए-नए बहाने तलाशते रहेंगे।

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