किसानों के 'भारत बंद' को कांग्रेस ने दिया समर्थन, पूछा - स्वामीनाथन कमेटी की कौन-सी सिफारिश लागू की बताएं

कांग्रेस के समर्थन से भारत बंद के अधिक व्यापक होने की संभावना बढ गई है। पार्टी ने इसे अपने नेता राहुल गांधी की किसान समर्थक नीतियों के अनुरूप लिया गया फैसला बताया है...

Update: 2020-12-06 07:42 GMT

Pawan Khera File Photo.

जनज्वार। किसानों संगठनों के आठ दिसंबर के भारत बंद को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का समर्थन मिल गया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रविवार को पार्टी के इस फैसले की मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम किसानों के बंद के आह्वान को पूरे देश में सफल बनाएंगे। कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के बंद के समर्थन में आ जाने से अब इसके अधिक प्रभावी व व्यापक होने की संभावना बढ गई है।


पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आठ दिसंबर को होने वाले भारत बंद का पूर्ण समर्थन करती है। राहुल गांधी ने हस्ताक्षर अभियान, किसान व ट्रैक्टर रैली करके किसानों के पक्ष में आवाज उठायी थी, उसी आवाज को बुलंद करने के लिए आठ दिसंबर के भारत बंद का हम समर्थन करते हैं।


उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री काल का नोटबंदी से लेकर कृषि के तीन काले बिलों का सफर देखेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि प्रधानमंत्री ने जो निर्णय स्वयं लिए हैं, जिन निर्णयों में पिछली सरकार का कोई योगदान नहीं है, उन निर्णयों ने देश को नुकसान पहुंचाया है।

पवन खेड़ा ने कहा कि भाजपा के कुछ मंत्री हमारे किसानों को पाक और चीन का एजेंट बता रहे हैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री खालिस्तानी करार दे रहे हैं। वहीं, चाटुकार मीडिया में चलाया जाता है कि इडी की जांच होगी कि किसानों को विदेशी फंडिंग मिल रही है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के 62 करोड़ किसानों के प्रदर्शन की मुख्य वजह एमएसपी रही है।

स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के बारे में बार-बार बोला जाता है कि हमने लागू कर दी, लेकिन सरकार नहीं बताती कि कौन-सा फार्मूला लागू किया है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एमएसपी पर चोट कर रही है, जिससे किसान क्रोधित हैं। मोदी सरकार सीधे-सीधे एपीएमसी पर चोट कर रही है, जिससे एमएसपी पर चोट हुई है। उन्होंने कहा कि अपने पूंजीपति मित्रों के लिए, कालाबाजारी को प्रोत्साहन देने के लिए कानूनों को लागू किया जा रहा है। कृषि मंत्री ने तो कानून वापस लेने पर उद्योगपतियों का जिक्र कर स्पष्ट कर दिया है कि यह कानून किसान के लिए नहीं बल्कि उद्योगपतियों के लिए है। 

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