कांग्रेस ने सवाल उठाने वालों को किया किनारे, गुलाम नबी आजाद व आनंद शर्मा गए हाशिए पर
गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में 23 कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के मौजूदा नेतृत्व के तरीकों पर सवाल उठाते हुए एक सामूहिक पत्र लिखा था। इसके बाद एक अहम समिति में गुलाम नबी आजाद को जगह नहीं मिली है, जबकि वे सरकार के फैसलों पर पार्टी का पक्ष शानदार ढंग से रखने के लिए जाने जाते हैं...
जनज्वार। कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले गुलाम नबी आजाद व आनंद शर्मा को पार्टी के द्वारा गठित की गई एक अहम कमेटी में जगह नहीं मिली है। कांग्रेस ने 26 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेशों के अध्ययन व विचार के लिए एक समिति गठित की है, जिसमें गांधी परिवार के प्रति खुला समर्पण दिखाने वाले पांच नेताओं को जगह दी गई है, लेकिन सवाल उठाने वाले गुलाम नबी आजाद व आनंद शर्मा को उसमें जगह नहीं मिली है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर से 26 अगस्त को जारी किए गए एक विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा घोषित प्रमुख अध्यादेशों पर पार्टी का रुख तय करने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित की गई, जिसमें पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, डाॅ अमर सिंह और गौरव गोगोई को जगह दी गई है। इसका संयोजक जयराम रमेश को बनाया गया है। ये वे नेता हैं जो नेहरू-गांधी परिवार के मुखर समर्थक हैं।
मालूम हो कि हाल ही में 23 कांग्रेस नेताओं ने एक संयुक्त पत्र लिख कर पार्टी के मौजूदा नेतृत्व पर सवाल उठाया था। इन नेताओं ने पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग की थी और अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद भी राहुल गांधी के अप्रत्यक्ष नियंत्रण पर सवाल उठाए गए थे। इन नेताओं ने पार्टी में केंद्र से लेकर निचले स्तर तक अमूल चूल बदलाव की बात कही। इस पत्र में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल जैसे प्रमुख नेताओं के हस्ताक्षर थे। जिसके बाद ये तीनों निशाने पर आ गए।
इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई थी, जिसको लेकर यह संभावना जतायी गई थी नाराज सोनिया गांधी इस्तीफा दे देंगी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ लेकिन पत्र लिखने वाले नेताओं पर नेह्ररू-गांधी परिवार समर्थकों ने जोरदार हमला किया। एक वर्ग द्वारा ऐसे नेताओं को भाजपा समर्थक बताया गया। गुलाम नबी आजाद ने ऐसे आरोपों से आहत होते हुए इसे बेबुनियाद करार दिया था।
माना जा रहा है कि पत्र लिखने वाले गुट का नेतृत्व गुलाम नबी आजाद कर रहे थे और वे नाराज हैं। उन्हें मनाने की कोशिशें भी की जा रही हैं। गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी हैं। संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह वे शानदार ढंग से पार्टी का पक्ष रखने के लिए जाने जाते हैं।