Himachal Pradesh Election : हिमाचल में भी उत्तराखण्ड की तर्ज पर बदलेगा भाजपा का मुख्यमंत्री !
Himachal Pradesh Election : राज्य की राजनीति में कांग्रेस-भाजपा (Congress-BJP) परम्परागत राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी हैं, राज्य की सत्ता इन दोनों ही दलों के बीच सिमटती चली आई है लेकिन इस बार राज्य का राजनैतिक माहौल बदला-बदला सा नजर आ रहा है.....
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Himachal Pradesh Election : हिमाचल प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) जल्द ही उत्तराखण्ड (Uttarakhand) फार्मूले पर अमल करते हुए मुख्यमंत्री (Chief Minister) बदल सकती है। राज्य की परम्परागत दो धुर्वीय राजनीति (भाजपा-कांग्रेस) में तीसरे ध्रुव (आम आदमी पार्टी) के उभार के बाद इसकी संभावनाएं बढ़ रही हैं। खुद आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस तरफ इशारा किया है कि साढ़े चार साल के नकारा कार्यकाल के कलंक को धोने के लिए भाजपा अपना मुख्यमंत्री बदलने जा रही है।
बता दे कि राज्य की राजनीति में कांग्रेस-भाजपा (Congress-BJP) परम्परागत राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी हैं। राज्य की सत्ता इन दोनों ही दलों के बीच सिमटती चली आई है लेकिन इस बार राज्य का राजनैतिक माहौल बदला-बदला सा नजर आ रहा है। दिल्ली में अपनी जड़े जमाने के बाद पंजाब की सत्ता हासिल करने में सफल रही आम आदमी पार्टी अब पंजाब के इस पड़ोसी राज्य को लेकर खासी उत्साहित नजर आ रही है। आम आदमी पार्टी ने राज्य में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पूरी शक्ति के साथ उतरने की तैयारी करते हुए राज्य की राजनीति को तीसरा विकल्प देने की मुहिम चला रखी है।
हिमाचल फतह करने की तैयारियों के चलते आम आदमी पार्टी बीते दिवस राज्य के मंडी शहर में एक रोड शो का भी आयोजन कर चुकी है। पार्टी के सुप्रीमों अरविन्द केजरीवाल व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ निकाले इस रोड शो ने राज्य के दोनो परम्परागत दलों (भाजपा-कांग्रेस) को खासी चिंता में डाल दिया है। यहां तक कि पार्टी के वरिष्ठ नेता व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने तो यह भी दावा कर दिया है कि राज्य में आप की बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर भाजपा अपनी जाती हुई सत्ता बचाने के लिए उत्तराखण्ड की तर्ज पर मुख्यमंत्री बदलो अभियान शुरू करके सत्ता बचाने का प्रयास करने वाली है। सिसौदिया का यह बयान भले ही एक राजनैतिक दल का दूसरे राजनैतिक दल पर हमला समझा जा रहा हो लेकिन सिसौदिया ने भाजपा के हिमाचल में होने वाले नए मुख्यमंत्री के रूप में जिसका नाम लिया है, वह बेहद गंभीर समझा जा रहा है। बकौल सिसौदिया हिमाचल प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर अनुराग ठाकुर की ताजपोशी हो सकती है।
सिसौदिया ने अनुराग ठाकुर का नाम लेकर जो सनसनी पैदा करने की कोशिश की है, वह अनायास नहीं है। उत्तराखण्ड में भी पार्टी अनुराग की तरह युवा धामी को विधानसभा चुनाव से छः महीने पहले ही मुख्यमंत्री पद पर लाकर विधानसभा चुनाव जीतने का करिश्मा दोहरा चुकी है। इसके साथ ही दो दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने जिस तरह उत्तराखण्ड का उदाहरण देकर अपनी चुनावी हार की जांच का जिक्र करके पुराने घाव कुरेदने का प्रयास किया था, वह भी इसी राजनीति के तहत लग रहा है।
हालांकि भाजपा में नई पीढ़ी के नेताओं को विकसित करने का जो दौर चल रहा है, उसमें उम्र के लिहाज से धूमल की राज्य की राजनीति में सक्रियता अब उतनी प्रासंगिक नहीं रही है। लेकिन पार्टी हिमाचल प्रदेश में धूमल को इग्नोर करने का साहस भी नहीं कर सकती। दूसरी तरफ जैसा कि बताया जा रहा है कि मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में कुछ ऐसा उल्लेखनीय भी नहीं है, जिससे उनके नेतृत्व में पार्टी विधानसभा चुनाव में उतरकर शत-प्रतिशत सफलता की उम्मीद कर सके।
प्रदेश के विकास कार्यों पर तो मनीष सिसोदिया का यह कहना है कि नए स्कूल बनाना तो दूर, इस सरकार में पुराने स्कूल तक बन्द किये जा चुके हैं। सिसौदिया के अनुसार बुधवार को मंडी में हुई आम आदमी पार्टी की रैली के बाद भाजपा घबरा गई है। केजरीवाल के गवर्नेंस मॉडल से भाजपा में खौफ है। साढ़े चार साल में जयराम सरकार हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुई है। भाजपा को हिमाचल की जनता से साढ़े चार साल की बर्बादी करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। अब भाजपा चाहे मुख्यमंत्री बदले या मंत्री, उससे कुछ नहीं होने वाला है।
ऐसी सूरत में यही संभावना बन रही है कि भाजपा अब मुख्यमंत्री बदलकर साढ़े चार साल के कामकाज का ठीकरा उस पर फोड़ते हुए नए मुख्यमंत्री की चमक-दमक वाली ब्रांडिंग से चुनाव में उतरे, जिससे वह एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सके। इस लिहाज से युवा होने के साथ-साथ अनुराग ठाकुर वह चेहरा भी हैं, जिसकी आड़ लेकर उनके पिता प्रेम कुमार धूमल के पुराने जख्मों पर मरहम लगाकर भाजपा विधानसभा चुनाव में होने वाले पार्टी के संभावित आंतरिक असंतोष को थाम सके। सिसौदिया के विश्वस्त सूत्र यदि अनुराग ठाकुर का नाम ले पा रहे हैं तो वह अनायास नहीं है, इसके पीछे कई ठोस वजह मौजूद हैं।