मोदी सरकार के 11वें बजट को राहुल गांधी ने बताया कुर्सी बचाओ बजट तो दलित सांसद चंद्रशेखर बोले पूंजीपति हितैषी बजट ने किया निराश

इस बजट पर मोदी सरकार को घेरते हुए अखिलेश यादव कहते हैं, 'ये बजट भी नाउम्मीदगी का ही पुलिंदा है, शुक्र है इंसान इन हालातों में भी जिंदा है, ग्यारहवें बजट में बेरोज़गारी-महँगाई, किसान-महिला-युवा का मुद्दा नौ दो ग्यारह हो गया है...

Update: 2024-07-23 11:39 GMT

Budget 2024 : आज 23 जुलाई को मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। इस बजट पर तमाम राजनीतिक विश्लेषकों, पत्रकारों और विपक्षी नेताओं ने भारी निराशा व्यक्त की है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अपने एक्स हैंडल पर लिखते हैं, '"कुर्सी बचाओ" बजट। सहयोगियों को खुश करें, अन्य राज्यों की कीमत पर उनसे खोखले वादे। अपने मित्रों को खुश करें, एए को लाभ, आम भारतीय को कोई राहत नहीं। कॉपी और पेस्ट करें : कांग्रेस का घोषणापत्र और पिछले बजट।'

आजाद समाज पार्टी के दलित सांसद चंद्रशेखर आजाद ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट पर भारी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, आज का बजट उद्योगपतियों को खुश करने वाला और देश के मजदूर, किसान, युवा,बेरोजगारों, महिलाओं और बहुजनों को निराश करने वाला है। देश की जनता ने इस बजट से जो उम्मीदें लगा रखी थी, बजट उन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है और देश की जनता अपने आप को ठगा महसूस कर रही है। यह बजट रोजगार, महंगाई और 140 करोड़ जनता की मूलभूत सुविधाओं के अपेक्षित बजट नहीं है।'

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उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, 'इस बजट में गरीब, वंचित, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज के आर्थिक विकास के लिए अलग से बजट का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। देश के स्वास्थ्य सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए बेड और डॉक्टर्स की उपलब्धता के लिए जितने बजट की जरूरत है उससे 75 फ़ीसदी कम बजट देकर अपनी पीठ थपथपाई जा रही है। देश के अन्नदाताओं की सबसे बड़ी मांग "MSP" के लिए बजट में कोई प्रावधान न करके किसानों को फिर से जुमलों में उलझाया गया है। सबसे बड़ी बात युवाओं को इंटर्नशिप का झुनझुना पकड़ाकर बेरोजगारी की मूल समस्या से किनारा कर लिया गया है। जैसे सरकार के पास इस बात का उत्तर नहीं की अग्निवीर बाद में क्या करेंगे? वैसे ही इंटर्नशिप करके युवा क्या करेंगे इस बात का भी उत्तर बजट में नहीं मिलता।'

बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव कहते हैं, 'बजट का सच, खेती किसानी के खर्च में गिरावट का सिलसिला लगातार पाँचवें साल जारी। 2019 में किसान सम्मान निधि की घोषणा के बाद से बजट में कृषि+ का हिस्सा 5.44% से घटते हुए क्रमशः 5.08%, 4.26%,3.82%, 3.20% हुआ। इस बजट में और घटकर सिर्फ़ 3.15% है। अन्नदाता पर डायलॉग जितने मर्ज़ी सुन लो इनसे!'

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वहीं अखिलेश यादव कहते हैं, 'ये बजट भी नाउम्मीदगी का ही पुलिंदा है। शुक्र है इंसान इन हालातों में भी जिंदा है। ग्यारहवें बजट में बेरोज़गारी-महँगाई, किसान-महिला-युवा का मुद्दा नौ दो ग्यारह हो गया है।'

मशहूर यूट्यूबर ध्रुव राठी ने इस बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा है, 'भारत की आय असमानता अब तक के उच्चतम स्तर पर है। कोई भी समझदार सरकार मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम कर देती और अरबपतियों पर कर बढ़ा देती, लेकिन मोदी सरकार नहीं। कोई आश्चर्य नहीं कि लोग इसे अडानी-अंबानी की सरकार कहते हैं।'

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा इस बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं, 'यह केन्द्रीय बजट पूरी तरह निराशाजनक है। सरकार केन्द्रीय बजट में हरियाणा का नाम लेना भी भूल गई, लेकिन 2 महीने बाद विधानसभा चुनाव में हरियाणा की जनता बीजेपी को वोट देना भी भूल जाएगी।'

राजद नेता तेजस्वी यादव ने बजट पर कमेंट करते हुए लिखा है, 'आज के बजट ने बिहार के लोगों को फिर निराश किया है। बिहार को प्रगति पथ पर ले जाने के लिए एक रिवाइवल प्लान की ज़रूरत थी और जिसके लिए विशेष राज्य के दर्जे के साथ विशेष पैकेज की सख़्त जरूरत है। रूटीन आवंटन तथा पूर्व स्वीकृत, निर्धारित व आवंटित योजनाओं को नई सौग़ात बताने वाले बिहार का अपमान ना करें। पलायन रोकने, प्रदेश का पिछड़ापन हटाने तथा उद्योग धंधों के साथ साथ युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए हम विशेष राज्य के दर्जे की माँग से इंच भर भी पीछे नहीं हटेंगे।'

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत कहती हैं, 'यह देखकर काफी खुशी हुई कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के न्याय पत्र को बड़ी तल्लीनता से पढ़ा है। उनका ये 'कुर्सी बचाओ बजट' एक तरह से कांग्रेस के न्याय पत्र का कॉपी-पेस्ट है। हमें आशा और विश्वास है कि आने वाले दिनों में वह हमारे घोषणा पत्र से और भी अच्छी चीजें उठाएंगी, जिससे देश के लोगों को लाभ मिलेगा।'

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