Political News: JDU में हो सकती है शरद यादव की वापसी उपेंद्र कुशवाहा ने की मुलाकात, लेकिन क्या भूल पाएंगे पुराना बर्ताव !
Political News: शरद यादव फिलवक्त जिस राजनीतिक बियावान में हैं, उससे बाहर निकलने के लिए उन्हें भी एक मजबूत ठिकाने की जरूरत है, ऐसे में उनकी फिर से पार्टी में वापसी हो सकती है..
Political News: (पटना) कभी NDA के संयोजक और JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National president) रहे शरद यादव इन दिनों एक तरह से राजनीतिक बियावान में हैं। जदयू से अलग होने के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल नामक पार्टी बनायी थी, लेकिन चुनावों में पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली। और तो और वे खुद 2019 का लोकसभा चुनाव (Parliamentary elections) राजद की ओर से लड़े थे लेकिन हार गए। अब फिर से उनकी जदयू में वापसी की चर्चा चलने लगी है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि जिन हालातों में शरद को जदयू से बाहर किया गया, क्या वे उसे भूल पाएंगे।
हालांकि, शरद यादव (Sharad Yadav) फिलवक्त जिस राजनीतिक बियावान में हैं, उससे बाहर निकलने के लिए उन्हें भी एक मजबूत ठिकाने की जरूरत है। जदयू (JDU) के गलियारों में जो चर्चाएं चल रहीं हैं, उनके मुताबिक उनकी फिर से पार्टी में वापसी भी हो सकती है। खुद उनके लिए भी जदयू सबसे बढ़िया विकल्प हो सकता है। इन कयासों को बल तब मिला, जब जदयू संसदीय बोर्ड (JDU Parliamentary Board) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने उनसे दिल्ली में मुलाकात की।
जदयू के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने दिल्ली में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोकतांत्रिक जनता दल के प्रमुख शरद यादव (Sharad Yadav) से मुलाकात की है।
हालांकि, बताया जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा, शरद यादव का हाल चाल लेने गए थे। लेकिन अंदर की खबर यह है कि दोनों के बीच बिहार की मौजूदा सियासी हालात पर काफी देर तक बातचीत हुई है। ऐसे में इन दोनों नेताओं की मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है।
यह भी माना जा रहा है कि दोनों के बीच मुख्य रूप से शरद यादव के जदयू में वापसी के मुद्दे पर चर्चा हुई है। जदयू के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि जदयू में फिर से आना है या नहीं, इस पर विचार करने के लिए शरद यादव ने उपेन्द्र कुशवाहा से कुछ वक्त मांगा है।
वैसे, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके शरद यादव पिछले काफी समय से बीमार चल रहे हैं। हालांकि, धीरे धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। अब वे सक्रिय राजनीति में लौटने की तैयारी में है।
बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा ने इसी क्रम में शरद यादव से मुलाकात की है ताकि उनकी जदयू में वापसी हो पाए। शरद यादव का लंबा राजनैतिक अनुभव (Political experiencia) रहा है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री, कई बार सांसद भी रह चुके हैं। यादव जाति में उनकी पकड़ रही है। जदयू के नीतिः निर्धारकों की सोच है कि अगर जदयू में उनकी वापसी होती है तो पार्टी को फायदा होगा।
बता दें कि साल 2017 में महागठबंधन (Mahagathbandhan) छोड़कर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) NDA में आ गए थे।उन्होंने बिहार में NDA के साथ सरकार बना ली थी। इसके बाद से शरद यादव नाराज थे और उन्होंने बगावत कर दी थी। जिसके बाद उनको ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इस दौरान उनकी राज्यसभा की सदस्यता भी समाप्त हो गई थी।
अब, जबकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly elections) में जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है तो उसे शरद की फिर से याद आई है। बता दें कि गत विधानसभा चुनाव में जदयू को 43 सीटें ही मिल पाई थी। उसे काफी सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि, नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री जरूर बन गए थे।
पार्टी की इस स्थिति को देखने के बाद से नीतीश कुमार लगातार पार्टी और संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं। इसके तहत जो लोग पार्टी छोड़ कर जा चुके थे, उनकी पार्टी में वापसी की कोशिश हो रही है।