Punjab Election 2022 : चारों तरफ से घिरे चन्नी और सिद्धू, पीएम की सुरक्षा में चूक कांग्रेस की बड़ी भूल
पीएम की सुरक्षा में चूक के मसले पर कांग्रेस घिर गई है। कांग्रेस के लिए यह स्थिति विकट इसलिए भी है कि वो चाहते हुए भी मामले का निपटारा चुनाव से पहले करने के की स्थिति में नहीं है। सच तो यह है कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट और केंद्र में पाले में आ गया है।
पीएम की सुरक्षा में चूक कांग्रेस की बड़ी भूल पर धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) की सुरक्षा में चूक ( PM security lapse ) के बाद से पंजाब देश और दुनियाभर में सुर्खियों में हैं, लेकिन इस घटना को लेकर कांग्रेस सरकार सभी के निशाने पर आ गई है। खासरि सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ( CM Charanjeet Singh Channi ) और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu )। सुरक्षा में चूक का यह मसला दोनों के लिए सियासी तौर पर नासूर साबित हो सकता है। यह विवाद कांग्रेस ( Congress ) के लिए भी घाटे का सौदा हो सकता है। इस मुद्दे पर कांग्रेस न केवल भाजपा ( BJP ) बल्कि अन्य विरोधी दलों व अपने सहयोगी दलों के निशाने पर है। दूसरी तरफ पार्टी पहले से बहुत कमजोर स्थिति में है। इसके आलावा कांग्रेस में आंतरिक गुटबाजी चरम पर है। आज भी सिद्धू अपने बयानों से पार्टी को कटघरे में खुद खड़ा करने से बाज नहीं आते हैं। यह सब पंजाब में उस समय हो रहा है, जब फरवरी से अप्रैल 2022 के बीच वहां पर विधानसभा चुनाव होना है।
दोस्त और दुश्मन दोनों के निशाने पर कांग्रेस
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 ( Punjab Assembly Election 2022 ) से ठीक पहले घटित इस घटना की वजह से सबसे ज्यादा किसी का भविष्य दांव पर है तो वो हैं पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और वहां के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी। कांग्रेस के चुनाव हारने पर दोनों का सियासी केरियर रसातल में जा सकता है। सिद्धू की वजह से कांग्रेस आलाकमान ने अमरिंदर सिंह को सीएम पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। इसका नतीजा यह हुआ कि उन्होंने कांग्रेस छोड़कर खुद की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बना ली। अब वह सत्ता में वापसी करने के लिए भाजपा और अकाली दल के असंतुष्ट धड़े के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोककर खड़े हो गए हैं। ऐसे में कांग्रेस को जिताने की जिम्मेदारी सिद्धू और चन्नी पर है। सिद्धू से लंबे अरसे से खुद को सीएम भी घोषित कर चुके हैं। उनका ये बड़बोलापन उस समय भी है जब कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता आज भी उनका विरोध कर रहे हैं। इनमें पूर्व पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़, डिप्टी सीएम और गृह मंत्री रंधावा, कांग्रेस सांसद व वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी, कांग्रेस सांसद व अन्य शामिल हैं। सहयोगी दल शिवसेना भी इस मुद्दे पर उनके साथ नहीं है। पंजाब में सत्ता के दहलीज तक दस्तक दे चुकी आम आदमी पार्टी भी पीएम की सुरक्षा के मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में है। जबकि दिल्ली और केंद्र में आप भाजपा की धुर विरोधी पार्टी है। अकाली दल से छत्तीस का आंकड़ा कांग्रेस का पहले से ही है। यानि भाजपा का मुख्य प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद कांग्रेस पंजाब में अलग-थलग पड़ गई है।
सुरक्षा चक्र में उलझाने की तैयारी
बुधवार को पंजाब के बठिंडा में पीएम की सुरक्षा में चूक को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बना दिया है। किसान आंदोलन से परेशान भाजपा के लिए पंजाब में यह मौका सोने पर सुहागा जैसा है। पिछले तीन दिनों में भाजपा का आक्रामक तेवर कमजोर पड़ने के बदले और तेज हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर टीम को पंजाब भेज दिया है। पंजाब के डीजीपी और बठिंडा के एसएसपी को समन भेजा जा चुका है। केंद्र सरकार अब इसकी जांच एनआईए से कराना चाह रही है। मुख्य सचिव को भी जांच के दायरे में लेने के संकेत मिल चुके हैं। अब तो सीएम चन्नी को भी घेरा जा रहा है।
प्रारंभिक रिपोर्ट भी चन्नी सरकार के खिलाफ
पंजाब सरकार ने जो प्रारंभिक रिपोर्ट गृह मंत्रालय को इस घटना को लेकर भेजी है, उसमें भी कई खामियां सामने आई हैं। सबसे अहम तो यह है कि खुफिया एजेंसियों को तीन घंटे तक प्रदर्शन की सूचना नहीं दी गई। इसके मुख्य सचिव और डीजीपी का पीएम के काफिले में न होना, जहां पर पीएम के काफिला को रोका गया, वहां पर किसी वरिष्ठ अधिकारी का न होना भी कांग्रेस के खिलाफ जा रहा है। यानि सिद्धू ने जिन चहेते अधिकारियों को पिछले तीन माह के दौरान जोर जबरदस्ती कर अहम पदों पर बैठाया वो सभी जांच के दायरे में आ जाएंगे। ऐसा होने पर चुनाव की ड्यूटी से बाहर रखा जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने की संभावना ज्यादा है। यानि यह मामला पूरी तरह से कांग्रेस को उलझाने और फंसाने की हो सकती है,जो चुनाव समाप्त होने के साथ अप्रसांगिक हो जाएगा।
सर्वोच्च अदालत गंभीर, मामला संगीन
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने पंजाब ( Punjab ) में 5 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले के साथ हुई सुरक्षा चूक मामले को लेकर दायर याचिका को गंभीरता से लिया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण ने यात्रा रिकॉर्ड और जांच एजेंसियों को मिले तथ्यों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने पंजाब पुलिस अधिकारियों, एसपीजी और अन्य एजेंसियों को सहयोग करने और पूरे रिकॉर्ड को सील करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा हैं। साथ ही केंद्र और पंजाब सरकार के पैनलों को सोमवार तक कार्यवाही न करने को कहा है। वहीं याची ने पीएम की सुरक्षा में चूक जैसे मसलों पर राजनीति से ऊपर उठने और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक पेशेवर जांच कराने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस बीच पंजाब सरकार द्वारा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को जांच पैनल के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है, लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह पैनल को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी की थी। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये रेयरस्ट ऑफ द रेयर मामला है। उन्होंने कनाडा के आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस की चर्चा भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान की। पंजाब सरकार इस मामले की जांच नहीं कर सकती। इस जांच में एनआईए अधिकारियों की भी उपस्थिति अनिवार्य है। पंजाब के गृह सचिव खुद जांच और शक के दायरे में हैं तो ऐसे में वो कैसे जांच टीम का हिस्सा हो सकते हैं? पंजाब की ओर से डीएस पटवालिया ने भी अदालत में माना है कि निश्चित तौर पर इसकी जांच होनी चाहिए। अगर पंजाब का पैनल जांच नहीं कर सकता तो अदालत एक स्वतंत्र समिति नियुक्त करे। हम इस मामले को हल्के में नहीं ले रहे हैं। हम मामले की जांच कर रहे हैं। अदालत को इस मामले में जो सही लगे, वो फैसला करे।
सियासी दल सुरक्षा से समझौता के खिलाफ
पूर्व सीएम और अब पंजाब लोक कांग्रेस के मुखिया अमरिंदर सिंह ने अराजक कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। आप सांसद भगवंत मान ने कहा कि यह मसला देश के प्रधानमंत्री मंत्री की है, इस पद की गरिमा से हम समझौता नहीं कर सकते। एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने भी माना है कि कांग्रेस सरकार से चूक हुई है। पीएम की सुरक्षा को लेकर समझौता करना संभव नहीं है। वहीं भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने सीधे गांधी परिवार पर निशाना साधा तो हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल विज ने साजिश में सीएम चन्नी की भूमिका पर भी संदेह जताया। राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूणिया ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। कांग्रेस ने आलाकमान ने साजिश से इनकार करते हुए सीएम चन्नी से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है।
कुल मिलाकर, सुरक्षा में चूक के मसले पर कांग्रेस घिर गई है। कांग्रेस के लिए यह स्थिति विकट इसलिए भी है कि वो चाहते हुए भी मामले का निपटारा चुनाव से पहले करने के की स्थिति में नहीं है। सच तो यह है कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट और केंद्र में पाले में आ गया है।