Shiv Sena Crisis : उद्धव गुट को मिला मशाल का चुनाव चिह्न, चुनाव आयोग के फैसले को बताया बड़ी जीत
Shiv Sena Crisis : महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियासी घमासान के बीच उद्धव ठाकरे गुट को नया चुनाव चिन्ह मिल गया। चुनाव आयोग की ओर से चिन्ह मिलने के बाद उद्धव ठाकरे गुट की पार्टी के नाम का भी ऐलान कर दिया गया।
Shiv Sena Crisis : महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियासी घमासान के बीच उद्धव ठाकरे गुट को नया चुनाव चिन्ह मिल गया। चुनाव आयोग की ओर से चिन्ह मिलने के बाद उद्धव ठाकरे गुट की पार्टी के नाम का भी ऐलान कर दिया गया। अब शिवसेना का धनुष नहीं बल्कि उद्धव ठाकरे गुट का चुनाव चिन्ह 'मशाल' होगा। साथ ही बालासाहेब ठाकरे के बाद उनकी पार्टी का नाम शिवसेना नहीं उद्धव बालासाहेब ठाकरे होगा।
वहीं दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी के नाम का भी ऐलान कर दिया है। अब एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी का नाम Balasahebchi Shiv Sena होगा। चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को 11 अक्टूबर तक 3 नए चुनाव चिन्हों की सूची सौंपने को कहा है। इसके बाद ही पार्टी के नए नाम और चुनाव चिन्ह का ऐलान कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग ने शिवसेना की पार्टी के नाम और चिन्ह को अस्थायी रूप से फ्रीज करने के बाद ठाकरे समूह ने चुनाव आयोग के समक्ष वरीयता क्रम में पार्टी के लिए तीन नाम और तीन चुनाव चिह्न का सुझाव दिया था।
उद्धव ठाकरे गुट को इनमें से कौन सा नाम और कौन सा चिन्ह दिया जाएगा। यह अगले कुछ घंटों में तय हो गया। लेकिन इससे पहले शिवसेना किन प्रतीकों पर चुनाव लड़ चुकी है। हालांकि शिवसेना की स्थापना 1966 में हुई थी। 1989 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना को पहली बार चुनाव चिन्ह धनुष-बाण मिला था।
बता दें कि पिछले 33 सालों से शिवसेना की पहचान है। 1989 के बाद शिवसेना ने सारे चुनाव धनुष-बाण से लड़ा है। शिवसेना के हिंदुत्व के रुख को पूरक बनाया। इससे पहले 1968 में शिवसेना ने ढाल तलवार के चुनाव चिन्ह पर मुंबई नगर निगम का चुनाव लड़ा था। 1980 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में शिवसेना को एक रेलवे इंजन का चुनाव चिन्ह मिला। 1985 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना के उम्मीदवारों को मशाल, सूरज और पानी के गोले जैसे अलग-अलग चिन्ह दिए गए थे। ऐसे में शिवसेना का इतिहास बहुत पुराना है।