तो मोदी-शाह की अजेय जोड़ी को विरोधी नहीं, अपने हराएंगे!
एक दिन पहले मोदी की कार्यशैली पर हमला बोलने के बाद 19 जुलाई को सुब्रमण्यम स्वामी ( Subramanyam Swami ) पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) से कोलकाता में मिले और उनकी जमकर तारीफ की है।
नई दिल्ली। अभी तक यह माना माना जा रहा था कि मोदी-शाह ( Modi-shah ) की जोड़ी को सियासी मात देना फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से देशभर में जिस तरह से सियासी ताने-बाने नये सिरे बुनने का काम जारी है, उससे ये संकेत मिलने लगे हैं कि 2024 आते-आते कुछ भी हो सकता है। ऐसा इसलिए कि जो काम मोदी-शाह के विरोधी पिछले आठ साल से नहीं कर पा रहे हैं, अब उसी काम को अंजाम देने में उनके अपने जुट गए हैं। अपनों के विरोधी बनने की वजह भी है। उन्हें पार्टी के अंदर ही मोदी ( PM Narendra Modi ) और शाह ( Amit shah ) साइडलाइन कर रहे हैं। अगर ये सिलसिला जारी रहा तो आगामी महीनों में वही लोग मोदी की राह में सबसे बड़ी सियासी बाधा बनकर सामने आएंगे।
BJP सांसद स्वामी ने ममता को बताया साहसी और करिश्माई नेता
ताजा मामला सुब्रमण्यम स्वामी ( Subramanyam Swami ) का ही ले लीजिए। करीब दो साल से मोदी उनकी उपेक्षा कर रहे हैं। नतीजा यह निकला कि वो अब खुलकर मोदी सरकार के खिलाफ बैटिंग करने लगे हैं। एक दिन पहले मोदी की कार्यशैली पर हमला बोलने के बाद 19 जुलाई को सुब्रमण्यम स्वामी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) से मिले और उनकी जमकर तारीफ की है। भारतीय जनता पार्टी नेता और सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ( Subramanyam Swami ) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करिशमाई और साहसी नेता बताया है। उन्होंने खुद ट्वीट करके इस मुलाकात के बारे में बताया है। इसमें वो बंगाल की सीएम की खूब तारीफ भी करते दिख रहे हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में कहा - आज मैं कोलकाता में था और करिश्माई ममता बनर्जी से मुलाकात की। वह एक साहसी नेता हैं। मैंने सीपीएम के खिलाफ उनकी लड़ाई की प्रशंसा की जिसमें उन्होंने कम्युनिस्ट को खत्म कर दिया। दोनों नेताओं के बीच हुई यह मुलाकात 30 मिनट चली, लेकिन किसी ने भी मीडिया के सामने कुछ नहीं कहा। उनकी इस मीटिंग को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं और कई अटकलें लगाई जा रही हैं।
1 साल पहले भी बताया था, मैं ममता के साथ हूं
हालांकि, पिछले साल भी नवंबर में बनर्जी ( Mamata Banerjee ) ने दिल्ली में स्वामी ( Subramanyam Swami ) के साथ एक बैठक की थी जिसके बाद भी कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। उस वक्त ऐसा कहा जा रहा था कि स्वामी टीएमसी में शामिल हो सकते हैं। इस पर उन्होंने कहा था कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह पहले से ही ममता बनर्जी के साथ हैं।
मोदी की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं स्वामी
एक बार फिर सुब्रमण्यम स्वामी ( Subramanyam Swami ) और ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) की कोलकाता में मुलाकात ने इस चर्चा को नये सिरे से हवा दे दी है। हवा इसलिए कि स्वामी ने हाल के दिनों में कई बार सोशल मीडिया पर देश आर्थिक स्थिति से लेकर बाहरी मामलों तक विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है। एक दिन पहले उन्होंने भाजपा की संसदीय बोर्ड की सूची और केंद्रीय चुनाव समिति को लेकर भी पार्टी नेतृत्व पर हमला बोला था। उन्होंने एक ट्वीटकर कहा था कि आज पार्टी में हर पद पर सदस्यों का चुनाव मोदी की मंजूरी से होता है। सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में लिखा था कि पहले जनता पार्टी और उसके बाद भाजपा के शुरुआती दिनों में संगठन के पदों पर चुनाव के लिए संसदीय बोर्ड के चुनाव कराए जाते थे। ये पार्टी के संविधान की मांग है लेकिन आज भाजपा में कोई चुनाव नहीं होता। हर पद के लिए मोदी के अप्रूवल से सदस्यों को नामांकित किया जाता है।श्
इससे पहले फरवरी 2021 में भाजपा ने अपनी 307 सदस्यों वाली नई कार्यकारिणी गठित की थी। उस समय भी पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने भाजपा के कई दिग्गज नेताओं को तरजीह नहीं दी थी। वरुण गांधी और मेनका गांधी से लेकर भाजपा के फायर ब्रांड नेता सुब्रमण्यम स्वामी को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। डेढ़ साल पहले गठित राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नए चेहरों के रूप में दिनेश त्रिवेदी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, विजय बहुगुणा, सतपाल महाराज और मिथुन चक्रवर्ती जैसे नाम शामिल हैं। इनके अलावा विजय बहुगुणा और सतपाल महाराज को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया था। भाजपा की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने भले ही सीधे तौर पर प्रतिक्रिया न दी हो लेकिन उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल का बायो बदल कर अपनी खीझ उसी समय जाहिर कर दी थी।
गडकरी और शिवराज भी चुप नहीं बैठेंगे
फिर भाजपा सससंदीय बोर्ड से नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद से पार्टी के अंदर से मोदी विरोध की सुर सामने आने लगे हैं। बताया जाता है कि एक दौर में जब अमित शाह जब मुलाकात करने के लिए नितिन गडकरी के पास पहुंचते थे तो वो उन्हें घंटों इंतजार कराते थे। कभी पीएम पद के लिए लाल कृष्ण आडवाणी की नजर में नरेंद्र मोदी से बेहतर उम्मीदवार शिवराज सिंह चौहान थे। यानि वर्षों पहले भाजपा में जो नेता मोदी के प्रतिद्वंद्वी थे अब उन्हीं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में मोदी-अमित शाह की जोड़ी जुटी है, ताकि पार्टी के अंदर कोई उनके खिलाफ आवाज न उठा सके लेकिन अब हो रहा है ठीक उसके उलट। न केवल मीडिया में पार्टी के अंदर नई सुगबुगाहट की बात सामने आ रही है, बल्कि ये भी माना जा रहा है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व के कई फैसलों से संघ की सहमत नहीं हैं।