पुरी रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया अपना ही फैसला, जीत पर भाजपा नेता संबित पात्रा बोले जय जगन्नाथ

मोदी सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश SG तुषार मेहता ने दी थी दलील कि सदियों की परंपरा को रोका नहीं जा सकता, यह करोड़ों के आस्था की बात है। यदि भगवान जगन्नाथ कल नहीं आएंगे, तो वे परंपराओं के अनुसार 12 साल तक नहीं आ सकते हैं...

Update: 2020-06-22 12:33 GMT

जनज्वार। कोरोना की भयावहता के बीच इस बार सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा रद्द कर दी थी, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे और आस्था के नाम पर यह बीमारी हाइट पर न पहुंच जाये। मगर आज 22 जून को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले को पलट दिया। हालांकि इसमें कुछ शर्तें रखी गयी हैं

खुद कोरोना संक्रमित हो चुके भाजपा नेता संबित पात्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि भक्तों की आस्था को देखते हुए यह रोक हटा दी जाये। संबित पात्रा के अलावा कई अन्य याचिकायें भी रथयात्रा शुरू करने को लेकर दायर की गयी थीं, जिन पर आज 22 जून को सुनवाई की गयी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा रथयात्रा की अनुमति प्रदान किये जाने के बाद संबित पात्रा ने ट्वीट किया, 'रथयात्रा का आदेश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद। इसी के साथ हाथ जोड़कर धन्यवाद पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी, गृह मंत्री श्री अमित शाह जी और केंद्र सरकार का जिन्होंने समय पर हस्तक्षेप किया।' ट्वीट में संबित पात्रा ने भाजपा अध्यक्ष का भी धन्यवाद किया है कि उन्होंने इसके लिए मार्गदर्शन किया।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी में कल 23 जून से होने वाली रथयात्रा पर कोरोना महामारी के कारण 18 जून को रोक लगा दी थी, लेकिन शीर्ष अदालत के इस फैसले के खिलाफ कई पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गईं थीं, जिनमें उससे मांग की गयी थी कि हिंदू धर्म की आस्था को देखते हुए इस पर से रोक हटा दी जाये। इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया था कि रथयात्रा पर से रोक हटायी जाये। आज 22 जून को पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे के नेतृत्व में 3 जजों की बेंच ने रथ यात्रा निकालने की अनुमति दे दी। कोर्ट में केंद्र सरकार ने भी रथ यात्रा का समर्थन किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा स्वास्थ्य मुद्दे से समझौता किए बिना मंदिर समिति, राज्य और केंद्र सरकार के समन्वय के साथ आयोजित की जाये। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि ओडिशा सरकार को पुरी में कोरोना वायरस मामलों की संख्या में वृद्धि होने पर रथ यात्रा को रोकने की स्वतंत्रता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रथयात्रा की अनुमति केवल पुरी में दी गयी है, ओडिशा में कहीं और नहीं।

मोदी सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश SG तुषार मेहता ने दी थी दलील कि सदियों की परंपरा को रोका नहीं जा सकता, यह करोड़ों के आस्था की बात है। यदि भगवान जगन्नाथ कल नहीं आएंगे, तो वे परंपराओं के अनुसार 12 साल तक नहीं आ सकते हैं... उन्होंने दलील दी कि यह सुनिश्चित करने के लिए की महामारी ना फैले, सावधानी बरतते हुए राज्य सरकार एक दिन के लिए कर्फ्यू लगा सकती है। श्री शंकराचार्य द्वारा तय किए गए अनुष्ठानों में वो सभी सेवायत भाग ले सकते हैं, जिनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव है। लोग टीवी पर लाइव टेलीकास्ट देख सकते हैं और आशीर्वाद ले सकते हैं। पुरी के राजा और मंदिर समिति इन अनुष्ठानों की व्यवस्था की देखरेख कर सकते हैं।

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