टीएमसी का दावा - गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाकर भाजपा राजनीतिक दुश्मनी निकाल रही है
टीएमसी सांसद शांतुन सेन का दावा है कि सौरभ गांगुली ( Saurabh Ganguly ) से राजनीतिक दुश्मनी निकलने के लिए भाजपा ( BJP ) ने उन्हें बीसीसीआई ( BCCI ) अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला लिया है।
नई दिल्ली। अभी इस बात की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गांगुली ( Saurabh Ganguly ) दूसरी बार अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे या या नहीं, लेकिन इसको लेकर अभी से राजनीति चरम पर है। तृणमूल कांग्रेस ( TMC ) के सांसद शांतुन सेन ( Shantanu Sen ) से दावा किया है कि भाजपा ( BJP ) सौरभ गांगुली से राजनीति दुश्मनी निकला रही है और उन्हें बीसीसीआई के अध्यक्ष पद ( BCCI President Post ) से हटाने का फैसला ले लिया गया है। गांगुली को अध्यक्ष पद से भाजपा ( BJp ) में शामिल न होने की वजह से हटाने जाएगा। शांतनु का दावा है कि गांगुली की जगह रोजर बिन्नी लेने वाले हैं।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI ) के अध्यक्ष पद को लेकर विवाद को उस समय तूल दिया गया है जबकि 18 अक्टूबर यानि छह दिन बाद बीसीसीआई की सालाना आम बैठक होनी है। बताया जा रहा है कि सालाना बैठक में रोजर बिन्नी को बीसीसीआई चुन लिया जाएगा। इस बीच तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सौरव गांगुली को बेइज़्ज़त करने की कोशिश कर रही है। ऐसा भाजपा गांगुली के भगवा पार्टी में शामिल न होने की वजह से कर रही है।
तृणमूल कांग्रेस ( TMC ) के सांसद शांतनु सेन ( Shantanu Sen ) ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह डिनर पर सौरव गांगुली के घर आये थे। वो चाहते थे कि गांगुली भाजपा से जुड़ें। चूंकि वो बीजेपी में शामिल नहीं हुए इसलिए उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। टीएमसी का कहना है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का नायाब उदाहरण है। गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह बीसीसीआई के सचिव के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करेंगे लेकिन गांगुली इसके अध्यक्ष के रूप में ऐसा नहीं कर सकते।
बंगाल में अब खेल कहां है
इसका जवाब देते हुए भाजपा ( BJP ) सांसद दिलीप घोष ने कहा है कि टीएमसी के लोग सवाल उठा रहे हैं और ये लोग सिर्फ़ राजनीति करते हैं। बंगाल एक समय खेल में सबसे आगे था। आज बंगाल खेल में कहां है। जहां सौरव जैसा क्रिकेटर हमें मिला वो क्रिकेट कहां है आज। कितने क्रिकेटर राष्ट्रीय टीम में है आज। जिन लोगों ने कभी सौरव के लिए आवाज़ नहीं उठाई, वो आज उनके लिए आंसू बहा रहे हैं। उनका कार्यकाल पूरा हो गया। उसमें इतनी राजनीति की क्या ज़रूरत है।