Uttarakhand News : सल्ट MLA पर फिर लगे आरोप, मुख्य अतिथि न बनाये जाने से चिढ़े विधायक ने डाला कार्यक्रम में विघ्न

Uttarakhand News :आयोजकों का आरोप है कि स्थानीय विधायक महेश जीना (Mahesh Jeena) ने अपने क्षेत्र में होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रम में खुद को मुख्य अतिथि न बनाये जाने को अपना घोर अपमान समझा.....

Update: 2021-09-18 13:34 GMT

 (गायक स्व. हीरासिंह राणा की पहली पुण्यतिथि पर प्रस्तावित था कार्यक्रम, फोटो : महेश जीना/फेसबुक)

सलीम मलिक की रिपोर्ट

अल्मोड़ा। भाई की मृत्यु के बाद सहानुभूति की लहर पर सवार होकर उपचुनाव में सल्ट विधानसभा क्षेत्र (Salt Assembly Constituency) से विधायक बने महेश जीना (Mahesh Jeena) एक बार फिर विवादों में घिर गये हैं। इस बार उन पर आरोप है कि इलाके में होने वाले एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि (Chief Guest) न बनाये जाने से चिढ़े विधायक ने कार्यक्रम में ही विघ्न डालने जा प्रयास कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस (Uttarakhand Police) के माध्यम से कार्यक्रम के पदमश्री मुख्य अतिथि की गरिमा का भी ख्याल नहीं किया।

दरअसल अल्मोड़ा (Almora) जिले के मानिला इण्टर कॉलेज में लोक चेतना के अमर गायक स्व. हीरासिंह राणा की पहली पुण्यतिथि पर हीरासिंह राणा कला एवं साहित्य अकादमी (Heera Singh Rana Art And Literature Academy) की ओर से विद्यालय के नवनिर्मित भवन परिसर में एक कार्यक्रम का आयोजन प्रस्तावित था।

पठन-पाठन के बाद होने वाले इस कार्यक्रम के लिए विद्यालय के प्रधानाचार्य को औपचारिक सूचना दी गयी। जिस पर उन्होंने इक्कीस सौ रुपये का अंशदान अपनी ओर से कार्यक्रम के लिए भी दिया। कार्यक्रम में हीरासिंह राणा के जीवन पर आधारित एक पत्रिका का विमोचन भी किया जाना था। लिहाज़ा आयोजकों ने कार्यक्रम को गैर-राजनैतिक रखने के इरादे से बतौर मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल (मठपाल जी के पिता स्व. हरिदत्त मठपाल ने ही 1952 में इस विद्यालय की न केवल स्थापना की थी बल्कि 45 साल तक वह इसके प्रबंधक भी रहे) तथा पहरू (Kumaouni Monthly Magzine) के संपादक हयात रावत को कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनने के लिए निमन्त्रित किया गया। यहां बता दें कि डॉ. यशोधर (हीरासिंह राणा की तरह) न केवल इस विद्यालय के छात्र रहें हैं बल्कि उन्होंने विद्यालय में कई साल तक अध्यापन भी किया था।

आयोजकों का आरोप है कि स्थानीय विधायक महेश जीना (Mahesh Jeena) ने अपने क्षेत्र में होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रम में खुद को मुख्य अतिथि न बनाये जाने को अपना घोर अपमान समझा। जिस पर उन्होंने चिढ़कर इस विशुद्ध सांस्कृतिक-साहित्यिक कार्यक्रम के खिलाफ पोजिशन ले ली। पूर्व में कार्यक्रम के लिए मौखिक सहमति दिये जाने प्रधानाचार्य को दबाव में लेकर उनसे आयोजकों के ही खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा दी।

पुलिस में शिकायत के लिए भी, "नवनिर्मित भवन का लोकार्पण नहीं हुआ है", "कार्यक्रम की अनुमति (लिखित) नहीं ली" जैसे हल्के आरोपों के सिवाय विधायक कुछ नहीं खोज पाये। कार्यक्रम को असफल करने के लिए प्रधानाचार्य पर ही दबाव डालकर उनसे "कार्यक्रम में भाग लेने वाले बच्चों का विद्यालय से नाम काटने" जैसी धमकियां दिलवायी गयी। इसके साथ ही कार्यक्रम के दिन पूरे इलाके की आधी रात से ही बिजली भी गुल करवा दी गयी।

लेकिन विधायक के तमाम तरह के प्रपंच के बाद भी जब कार्यक्रम नहीं रुक पाया तो कार्यक्रम के दौरान ही पुलिस भेजकर कार्यक्रम में विघ्न डलवाया गया।

हालांकि इसके बाद भी आयोजकों ने जैसे-तैसे कार्यक्रम तो निपटा लिया। लेकिन कार्यक्रम के बाद उन्होंने विधायक पर तमाम आरोप लगाते हुए धरना भी दिया। साथ ही इस दौरान आयोजक गुसाई सिंह चौहान, नारायण सिंह रावत, यशोधर मठपाल, हयात रावत आदि ने अल्मोड़ा डीएम को भी सूचना भेजकर आयोजकों के खिलाफ (प्रधानाचार्य की कथित शिकायत पर) कोई कार्यवाही करने पर आंदोलन की चेतावनी दी गयी।

इस मामले में विधायक महेश जीना से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं लगा। जबकि मठपाल ने उन पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि न बनाये जाने से बौखलाए विधायक ने लोक चेतना के अमर गायक व सांस्कृतिक चेतना के अग्रदूत रहे राणा के कार्यक्रम में जिस प्रकार विघ्न डालने का प्रयास किया, वह भाजपा का संस्कृति पर किये जा रहे हमलों का ही विस्तार है।

पाठकों को बताते चलें कि विधायक जीना का यह व्यवहार कोई नई बात नहीं है। इस प्रकरण में उनकी भूमिका भले ही सीधे न दिखती हो लेकिन ऐसे कई मामले पहले भी हो चुके हैं जब वह चिढ़कर कुछ भी करने लगते हैं। ऐसे ही मामला कुछ दिन पहले एक सार्वजनिक कार्यक्रम में तब हुआ था जब गौरा देवी कन्या धन योजना का लाभ न मिलने की शिकायत कर रही छात्रा के हाथ से कार्यक्रम में शामिल विधायक बच्चों की तरह माईक छिनने की कोशिश करने लगे थे। इस घटना में भी उनकी काफी किरकिरी हुई थी।

स्थानीय लोगों का कहना है कि विधायक अपने दिवंगत भाई सुरेन्द्र सिंह जीना की असमय मौत के बाद सहानुभूति लहर पर सवार होकर विधायक बनने में भले ही सफल हो गये हों, लेकिन व्यवहार कुशलता में वह अपने भाई से कोसो दूर हैं।

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