विकास दुबे एनकाउंटर पर चलेगी सियासत की बंदूक, पत्नी ऋचा को चुनाव लड़ाने के लिए कई पार्टियों का प्रस्ताव

जेल में बंद खुशी को बसपा कानूनी सहायता देगी। खुशी 16 साल की थी जब उसने एक अन्य बिकरू आरोपी अमर दुबे से शादी की। शादी के तीन दिन बाद बिकरू हत्याकांड हुआ और उसके बाद पुलिस मुठभेड़ में अमर दुबे मारा गया था...

Update: 2021-09-07 03:19 GMT

विकास दुबे व पत्नी ऋचा दुबे (फाइल फोटो)

जनज्वार, लखनऊ। कानपुर का चर्चित बिकरू हत्याकांड (Bikaru Case) में आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर के बाद अब यूपी में ब्राह्मण राजनीति बदल रही है। विकास दुबे के बाद उसकी पत्नी ऋचा दुबे (Richa Dube) को चुनाव लड़ाने की तैयारी है। कुछ राजनीतिक दल चुनाव लडऩे के लिए दिवंगत विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे मिले हैं।

विकास दुबे (Vikas Dubey) परिवार के एक सदस्य ने नाम ना छापने की शर्त पर जनज्वार को बताया कि दो दलों के नेताओं ने प्रस्ताव के साथ ऋचा से संपर्क किया है। परिवार के सदस्य ने कहा, नेताओं ने कहा कि यही एकमात्र तरीका है जिससे वह परिवार की पीड़ा का बदला ले सकती हैं और अपने दो बच्चों के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकती हैं।

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सूत्र की माने तो इन दोनो ही पार्टियों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनके कार्यकर्ता उनके अभिमान का ध्यान रखेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऋचा दुबे ने अभी तक राजनीति में आने का मन नहीं बनाया है।

गौरतलब है कि, ऋचा ने 2015 में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जिला पंचायत चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि, बिकरू नरसंहार के बाद, समाजवादी पार्टी ने इस बात से इनकार किया कि ऋचा दुबे कभी उनकी पार्टी की सदस्य रही हैं।

बसपा (BSP) महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने अपने 'प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलनों' (ब्राह्मण सम्मेलन) में बार-बार कहा है कि बिकरू मामले में 'निर्दोष ब्राह्मणों' को निशाना बनाया गया था। हालांकि, मिश्रा ने विकास दुबे पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन, उन्होंने अपने संदेश को रेखांकित करने के लिए बिकरू नाबालिग विधवा खुशी दुबे का उदाहरण दिया।

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वरिष्ठ अधिवक्ता मिश्रा ने कहा कि पिछले एक साल से जेल में बंद खुशी को बसपा कानूनी सहायता देगी। खुशी 16 साल की थी जब उसने एक अन्य बिकरू आरोपी अमर दुबे से शादी की। शादी के तीन दिन बाद बिकरू हत्याकांड हुआ और उसके बाद पुलिस मुठभेड़ में अमर दुबे मारा गया था।

आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने कहा, खुशी के साथ किया गया व्यवहार अनुचित था। पुलिस ने उसके खिलाफ आरोपों को सूचीबद्ध नहीं किया है, फिर भी उसे जमानत से वंचित किया।

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस (Congress) के एक नेता ने कहा, पुलिस के पास सभी छह मुठभेड़ों के लिए एक ही स्क्रिप्ट थी। हम आरोपियों का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन, उन्हें गोली मारने के बजाय गिरफ्तार किया जाना चाहिए और अदालत में मुकदमा चलाया जाना चाहिए था। कई गैर-ब्राह्मण माफिया हैं जो खुले घूम रहे हैं। और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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