West Bengal By-Polls : तृणमूल की जीत और बीजेपी की हार में छिपा है एक स्पष्ट संदेश

Bengal By-Polls : शनिवार को बंगाल के दो लोकसभा उपचुनाव के नतीज़े एक बार पुनः इस जनमानस के फ़र्क़ को दर्शाते हैं। आसनसोल सीट पर जहां बीजेपी से उकताकर तृणमूल में आये शत्रुघ्न सिन्हा ने 3 लाख से अधिक वोट बटोरकर जीत दर्ज़ की...

Update: 2022-04-16 15:15 GMT

West Bengal By-Polls : तृणमूल की जीत और बीजेपी की हार में छिपा है एक स्पष्ट संदेश 

बंगाल उपचुनाव के नतीजों पर सौमित्र रॉय का विश्लेषण

West Bengal By-Polls : मां, माटी, मानुष और ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) के पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अखबार के साथ इन तीनों प्रतीकों का एक विशेष स्थान है। मां दुर्गा के आगमन का इंतज़ार, गंगा से मथी हुई माटी की खुशबू और हिंसा-प्रतिहिंसा के बीच अपनी जिजीविषा को तलाशता बंगाल का आम मानुष।

हिंदी पट्टी के इंसानों से अलहदा बंगाल का मानुष अखबारों (Newspapers) और अन्य सूचना तंत्रों के माध्यम से अपने आस-पास की हर खबर को परखना जानता है। फिर चाहे वह बीरभूम की हिंसा हो या हँसखाली में नाबालिग से गैंगरेप और हत्या का मामला, बंगाल का जनमानस राष्ट्रीय मीडिया (National Media) से अलग ही दिखाई देता है।

शनिवार को बंगाल के दो लोकसभा उपचुनाव (Lokshaba Bypolls) के नतीज़े एक बार पुनः इस जनमानस के फ़र्क़ को दर्शाते हैं। आसनसोल सीट पर जहां बीजेपी से उकताकर तृणमूल में आये शत्रुघ्न सिन्हा ने 3 लाख से अधिक वोट बटोरकर जीत दर्ज़ की, वहीं बीजेपी से पाला बदलकर आये बाबुल सुप्रियो ने 20 हज़ार से ज्यादा वोट से बालीगंज की सीट जीतकर ममता बनर्जी का मान रखा।

तृणमूल की इस जीत में बीजेपी की हार के साथ एक स्पष्ट संदेश भी छिपा है, जिसे दिल्ली में बैठे पार्टी के आला नेता बार-बार पढ़ने-समझने में गलती कर रहे हैं। बालीगंज में तृणमूल ने इस बार 50% वोट बटोरे। माकपा 30% वोट लेकर दूसरे नंबर पर रही और 13% वोट के साथ बीजेपी की ज़मानत ज़ब्त हो गई।

बंगाल की सियासत के जानकारों तक का गणित नतीजों के आंकड़ों के आगे फ़ेल हो गया। असल में बीजेपी के गेम प्लान के फ़ेल होने का एक बड़ा कारण पार्टी द्वारा बार-बार ममता सरकार के राज को गुंडा, आतंकी राज्य बताकर हल्ला मचाना था। दिल्ली से लेकर बंगाल के राजभवन तक सभी एक सुर में हाल की हिंसा और सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की गुहार लगाते रहे।

इस बीच माकपा ने बीजेपी को पटक दिया और 2016 के बाद पहली बार 30% वोट शेयर का आंकड़ा छू लिया। हैरत की बात यह है कि 2021 और उसके बाद महानगर पालिका के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली तृणमूल सिर्फ 50% वोट ही ले पाई। यानी बीजेपी अपने प्रतिद्वंद्वी की कमज़ोर ज़मीन का भी फायदा नहीं उठा सकी।

उधर आसनसोल सीट पर गणित और भी दिलचस्प था। यहां बीजेपी ने उन्हीं अग्निमित्रा पॉल को उतारा था, जिन्होंने तृणमूल की सायोनि घोष को 5000 से कम मार्जिन पर हराया था। इसी सीट से बीजेपी के टिकट पर बाबुल सुप्रियो दो बार जीते थे। लेकिन उपचुनाव में तृणमूल ने ऐतिहासिक रूप से 57% वोट हासिल कर बड़ी जीत दर्ज की है। तृणमूल ने इस लोकसभा सीट पर पहली बार कब्ज़ा जमाया है और वह भी पहले से 20% ज़्यादा वोट शेयर के साथ।

बीजेपी 30.5% वोट शेयर के साथ दूसरे नंबर पर रही, जबकि माकपा को 8% वोट मिले। शनिवार के नतीज़े देखने के बाद राजनीतिक पंडित यह मानने पर मजबूर हैं कि अग्निमित्रा पॉल कभी तृणमूल के सामने टिक ही नहीं सकीं और उनका मुकाबला ज़मीन पर माकपा के साथ रहा, जो इस सीट पर बड़ी चुनौती रही है।

साफ है कि अगर माकपा बंगाल में कड़ा मुकाबला करती है तो तृणमूल का न सिर्फ़ वोट शेयर घटेगा, बल्कि बीजेपी भी मैदान से बाहर हो जाएगी। बालीगंज के नतीज़े इस बात की ओर इशारा भी करते हैं।

ऐसे में बीजेपी के सामने फिलहाल चुनौती माकपा से पहले निपटने की है, न कि ममता बनर्जी से। पार्टी आलाकमान को यह बात जितनी जल्दी समझ आये बेहतर है।

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