उत्तराखण्ड : 72 साल की उम्र में होगा माधो सिंह का नामकरण संस्कार, वजह जानकर चौंक जायेंगे

हरिद्वार से लौटकर माधो सिंह का विधि-विधान से नामकरण, चंद्रायन संस्कार किया जाएगा, जिसके बाद उनके गृहप्रवेश का मुहूर्त निकालकर गृहप्रवेश की रस्म अदायगी की जाएगी....;

Update: 2021-07-19 13:39 GMT
उत्तराखण्ड : 72 साल की उम्र में होगा माधो सिंह का नामकरण संस्कार, वजह जानकर चौंक जायेंगे

(नामकरण संस्कार और रीति-रिवाजों के बाद माधो सिंह को ले जाया जायेगा उनके घर के अंदर)

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सलीम मलिक की रिपोर्ट

अल्मोड़ा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत क्षेत्र में एक दिलचस्प मामले के तहत एक व्यक्ति का 72 साल की उम्र में नामकरण संस्कार किया जाएगा। इस अजब-गजब मामले का रोचक पहलू यह है कि गांव से 24 साल पहले रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हुए इस व्यक्ति को मृत मानकर परिजन उसकी अंतिम क्रिया, मुंडन आदि संस्कार भी कर चुके थे। यह दिलचस्प घटना ताडी़खेत विकासखंड के जैनोली गांव की है, जहां से माधो सिंह (वर्तमान में उम्र 72वर्ष) पुत्र खड़ग सिंह 24 साल पहले किसी कारणवश अपना घर छोड़कर चले गए।

माधो सिंह के घर छोड़ने के बाद परिजनों ने उनकी तलाश में काफी वक्त तक कई जगह की ढूंढ तलाश की थी, लेकिन माधो सिंह का कहीं कुछ पता न चल पाया। माधो सिंह के पीछे भी उनके घर की ज़िंदगी बदस्तूर चलती रही। उनके लापता रहने की अवधि के दौरान ही उनकी बेटी की शादी भी हो चुकी थी। हर तरफ से हताश-निराश परिजनों ने माधो सिंह के बारे में पता लगाने के लिए घर में जागर लगाकर ईष्ट देवता का आह्वान किया, तो जागर पूजा में देव डंगरिये ने बताया कि माधो सिंह अब इस दुनिया में नहीं है।

डंगरिये (पुजारी) की बात सुनकर परिजनों ने माधो सिंह को मृत मानकर माधो सिंह के क्रिया कर्म की सांकेतिक रस्म करने के बाद मुंडन भी करा लिया। इस घटना के 24 साल बाद अचानक रविवार 18 मई को माधो सिंह रहस्यमय ढंग से अपने खेतों के पास मिले। माधो सिंह के जीवित होने होने की सूचना मिलते ही परिजनों व स्थानीय ग्रामीणों के आश्चर्य की सीमा न रही। मौके पर पहुंचे परिजन व ग्रामीण कमजोरी की हालत में पहुंचे माधो सिंह को डोली में बैठाकर घर लेकर आए। इस मामले की सूचना माधो सिंह के परिजनों ने अपने पुरोहित को दी।

इस पर हरिद्वार गए पुरोहित ने परिजनों को माधो सिंह को घर के बाहर रखने की हिदायत देते हुए बताया कि हरिद्वार से लौटकर माधो सिंह का दुबारा विधि-विधान से नामकरण, चंद्रायन संस्कार किया जाएगा, जिसके बाद उनके गृहप्रवेश का मुहूर्त निकालकर गृहप्रवेश की रस्म अदायगी की जाएगी। फिलहाल पुरोहित के निर्देशानुसार परिजनों ने माधो सिंह को घर के बाहर ही एक तिरपाल लगाकर की गई अस्थायी व्यवस्था के तहत उनका बिस्तर आदि तिरपाल के नीचे लगाकर उनके रहने की व्यवस्था कर रखी है।

इस मामले में प्रधान प्रतिनिधि कुबेर सिंह मेहरा ने बताया कि 72 वर्ष के चुके माधो सिंह शारीरिक रूप से काफी कमजोर होने के कारण चल-फिर भी नहीं पा रहे थे, लेकिन सभी को वह पहचान रहे हैं। माधो सिंह के अनुसार कोई उन्हें बेहोश करके यहां फेंक गया और उनका सूटकेस ले गया। परिवार के लोग उन्हें डोली में बैठाकर घर ले गए।

माधो सिंह के कुल पुरोहितों ने कहा कि अब उनका दोबारा नामकरण संस्कार किया जाएगा। इसके बाद ही माधो सिंह को घर में प्रवेश कराया जाएगा। फिलहाल परिजनों ने घर के बाहर ही उनके रहने का इंतजाम किया है। घर में माधो सिंह का 30 वर्षीय पुत्र के अलावा दो भाइयों का परिवार है। उनकी पुत्री का विवाह हो चुका है। यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।

हालांकि माधों सिंह के गायब होने के इतने सालों बाद मिलने के बाद क्षेत्र में इस घटना को अंधविश्वास से जोड़ने का सिलसिला शुरू भी शुरू हो चुका है। 24 वर्षों से विधवा की जिंदगी जी रही जीवंती देवी अपने पति माधो सिंह को देखकर आश्चर्यचकित और खुश हैं। इन वर्षों में उन्होंने अपनी एक बेटी और बेटे की परवरिश करते हुए बेटी का विवाह कराया। अकेली मां होकर सारे कर्तव्य निभाए। कल 18 जुलाई की सुबह जब उन्हें माधो सिंह के लौटने की खबर मिली वह पति माधो सिंह को देखने के लिए बेचैन हो उठी।

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