Lakhimpur Kheri Case : "लखीमपुर खीरी मामले के अहम गवाह पर हमला किया गया"
Lakhimpur Kheri Case : केन्द्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ चुनौती पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
Lakhimpur Kheri Case : केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को दी गई जमानत के खिलाफ अपराध पीड़ितों के परिवारों द्वारा दायर याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग करते हुए वरीष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लखीमपुर खीरी मामले के एक गवाह पर बीती रात हमला किया गया। पिछले हफ्ते भी भूषण ने याचिका की तत्काल सूची की मांग की थी, जिस पर सीजेआई रमण ने इसे आज (11 मार्च) सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी। हालांकि इस मामले को आज सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
भूषण ने आज सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई से कहा, "इस पर आज सुनवाई होनी थी..." सीजेआई ने कहा, "यह कार्यालय की गलती है। इसे अगले मंगलवार को सूचीबद्ध किया जाएगा।" भूषण ने कहा, "पिछली रात मामले के मुख्य गवाहों में से एक पर हमला हुआ था।" दरअसल लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के परिजनों ने आशीष मिश्रा को जमानत देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के 10 फरवरी के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की है।
जमानत आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि यह संभव है कि विरोध करने वाले वाहन के चालक ने प्रदर्शनकारियों से खुद को बचाने के लिए तेज गति करने की कोशिश की हो। कोर्ट ने कहा था, "यदि अभियोजन पक्ष की कहानी स्वीकार कर ली जाती है, तो हजारों प्रदर्शनकारी घटना स्थल पर एकत्र हो गए और इस बात की संभावना हो सकती है कि चालक ने खुद को बचाने के लिए वाहन को तेज करने की कोशिश की, जिसके कारण घटना हुई थी।" मामले के समग्र तथ्यों पर विचार करते हुए, कोर्ट ने कहा कि वह थार वाहन में बैठे तीन लोगों की हत्या पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता, जिसमें चालक भी शामिल था, जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने मार दिया था।
सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने यह भी नोट किया कि केस डायरी में उपलब्ध तस्वीर में प्रदर्शनकारियों की क्रूरता का स्पष्ट रूप से खुलासा हुआ, जो उक्त तीन व्यक्तियों, हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की पिटाई कर रहे थे। कोर्ट ने मामले के जांच अधिकारी के इस निष्कर्ष को भी ध्यान में रखा कि थार वाहन से प्रदर्शनकारियों को टक्कर मारने की उक्त घटना के बाद, प्रदर्शनकारियों ने शुभम मिश्रा, हरिओम मिश्रा और श्याम सुंदर का पीछा किया था और उन्हें बेरहमी से पीटा गया था. जिससे उनकी मौत हो गई।
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि जमानत देने के लिए निर्धारित सिद्धांतों के संबंध में हाईकोर्ट के आदेश में राज्य द्वारा इस आशय के किसी भी ठोस प्रस्तुतीकरण पर चर्चा की कमी का कारण ये है कि आरोपी का राज्य सरकार पर काफी प्रभाव है क्योंकि उसके पिता उसी राजनीतिक दल से केंद्रीय मंत्री हैं जो राज्य पर शासन करता है।
इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं के अनुसार,हाईकोर्ट का अवलोकन कि, "एक संभावना हो सकती है कि चालक ने खुद को बचाने के लिए वाहन को तेज करने की कोशिश की, जिसके कारण घटना हुई थी, " विशेष रूप से विकृत है जबकि इसे दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं था। इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि चार्जशीट में वास्तव में इसके विपरीत सबूत हैं जो दिखाते हैं कि वाहन ' दंगल' के स्थल से निकलने के समय से 70-100 किमी / घंटा की तेज गति से दौड़ रहा था; जब वो पेट्रोल पंप के पास से गुजरा, जब उसने पुलिस क्रॉसिंग पार की; अपराध स्थल के रास्ते पर पहुंचा ; और इसे ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों सहित विभिन्न चश्मदीद गवाहों द्वारा प्रमाणित किया गया है।