जम्मू-कश्मीर, बंगाल और केरल से आदित्यनाथ की चिढ | Adityanath hate Jammu-Kashmir, Kerala and West Bengal |

Adityanath hate Jammu-Kashmir, Kerala and West Bengal | योगी के पहनावे में आदित्यनाथ जैसा क्रूर, हिंसक और साथ ही बेवकूफ मुख्यमंत्री शायद ही किसी राज्य ने देखा हो|

Update: 2022-02-11 05:37 GMT

जम्मू-कश्मीर, बंगाल और केरल से आदित्यनाथ की चिढ | Adityanath hate Jammu-Kashmir, Kerala and West Bengal |

महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट

Aditynath hates Jammu-Kashmir, Kerala and West Bengal | योगी के पहनावे में आदित्यनाथ जैसा क्रूर, हिंसक और साथ ही बेवकूफ मुख्यमंत्री शायद ही किसी राज्य ने देखा हो| एक ऐसा मुख्यमंत्री, जिसे आजादी शब्द से भी चिढ थी| 9 फरवरी को जब चुनाव प्रचार पर लगाम लग चुका था, तब रात में आदित्यनाथ ने ट्वीट (Tweet) करके बीजेपी को वोट करने की अपील की और साथ ही लिखा कि यदि बीजेपी सत्ता में नहीं आई तो यह राज्य जम्मू-कश्मीर, केरल या बंगाल जैसा बन जाएगा| ऐसा वाक्य केवल एक मानसिक तौर पर विकलांग व्यक्ति ही लिख सकता है, क्योंकि पिछले तीन महीनों से वे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के खिलाफ जहर उगल रहे थे, और ऐन चुनाव के वक्त उनकी नफरत दूसरे राज्यों से होने लगी| इन राज्यों में भी एक केंद्र सरकार के अधीन है और शेष 2 राज्य सामाजिक विकास में उत्तर प्रदेश से मीलों आगे हैं, और इस बात की पुष्टि गृह मंत्रालय द्वारा प्रकाशित राज्यों का गुड गवर्नेंस इंडेक्स भी करता है|

आखिर, इस वक्तव्य से यह तो साबित हो जाता है कि केंद्र सरकार कितना भी दावा कर ले कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हैं और तेजी से विकास हो रहा है, सबकुछ एकदम शांत है – पर आदित्यनाथ इसे सही नहीं मानते| शायद उन्हें यह अहसास ही नहीं है कि जम्मू-कश्मीर फिलहाल केंद्र सरकार के अधीन है और मोदी जी लगातार दुनिया को आश्वस्त करते रहे हैं कि वहां खूब विकास हो रहा है, डल झील में विकास बह रहा है, गुलमर्ग के ऊपरी हिस्सों में विकास की मोटी सफ़ेद चादर बिछी है, ट्यूलिप गार्डन में ट्यूलिप के बदले विकास फूल रहा है और सेव के बागीचों में डालियों से विकास लटक रहा है| फिर, आदित्यनाथ के निशाने पर जम्मू-कश्मीर क्यों है, यह एक बड़ा सवाल है|

मोदी जी और आदित्यनाथ की साथ-साथ ढेर सारी तस्वीरें पिछले कुछ महीनों से खूब प्रकाशित हो रही हैं| तमाम अपराधों, बलात्कारों, मानवाधिकार हनन, चरम बेरोजगारी और चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था के बाद भी, मोदी जी वास्तविकता जानते हुए भी कभी यह कहना नहीं भूलते कि आदित्यनाथ सबसे अच्छी मुख्यमंत्री हैं, यहाँ कानून व्यवस्था सबसे अच्छी है, राज्य ने कोविड 19 (COVID 19)से सबसे अच्छी तरह से मुकाबला किया, राज्य में टीकाकरण (Vaccination) सबसे अधिक हो रहा है| हरेक वो चीज जो राज्य में होती भी नहीं, या फिर जिन ज्यादतियों के चलते तमाम न्यायालय उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हैं, उसका श्रेय भी सार्वजनिक तौर पर मोदी जी आदित्यनाथ को देते रहे हैं| पर, जब आदित्यनाथ की बारी आई तो उन्होंने मोदी जी के अधीन राज्य को ही पिछड़ा बता दिया, दूसरी तरफ केंद्र द्वारा गरीबों को दिए जाने वाले अनाज के थैले पर मोदी जी के साथ आदित्यनाथ भी लटक गए| जाहिर है जम्मू-कश्मीर का इतने अपमानजनक तरीके से जिक्र कर आदित्यनाथ ने कैमरे वाली दोस्ती का मान नहीं रखा – बोलचाल की भाषा में इसे ही अहसान-फरामोश कहा जाता है|

आदित्यनाथ को शायद यह पता ही नहीं है कि वे अगले 100 वर्षों तक भी मुख्यमंत्री रहें तब भी केरल से बराबरी नहीं कर सकते| केरल का सामाजिक विकास समाज के जागरूकता, शिक्षा और एक विचारधारा का परिणाम है| आदित्यनाथ को अपने राज्य के अर्थव्यवस्था के पैमाने पर नाज है, खूब पोस्टर भी लटके पड़े हैं – पर अर्थव्यवस्था का पैमाना और सामाजिक विकास का पैमाना एक दूसरे से कभी मेल नहीं खाते| केरल में औसत आयु 75.2 वर्ष है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह महज 65 वर्ष है| आदित्यनाथ ने बंगाल का भी नाम लिया था, वहां की औसत आयु 71.2 वर्ष है| इन तीनों राज्यों में केवल आदित्यनाथ के राज्य उत्तर प्रदेश की औसत आयु राष्ट्रीय औसत 69 वर्ष से भी कम है| इसी तरह शिक्षित आबादी का प्रतिशत केरल, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में क्रमशः 96.2, 80.5 और 73.6 है|

आपराध के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है, मानवाधिकार हनन के मामले में शीर्ष पर है, बलात्कार के मामले में शीर्ष पर है, तथाकथित पुलिस एनकाउंटर के मामले में शीर्ष पर है और आन्दोलनकारियों पर मुकदमे ठोकने और जनता के दमन के मामले में शीर्ष पर है| सरकार स्वयं बार बार 15 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज देने का ऐलान कर साबित कर देती है कि गरीबों की संख्या के मामले में भी यह राज्य अव्वल है|

पश्चिम बंगाल का नाम आदित्यनाथ के जुबान पर आना लाजिमी था, चुनावों के समय स्टार प्रचारक की हैसियत से इस राज्य का खूब दौरा किया था, सरे आम हेट स्पीच उगलते रहे थे, हिन्दू-मुस्लिम में नफ़रत फैलाने का प्रयास करते रहे और राम के नाम पर लुभाते रहे, पर जनता ने मतदान में सीधा तमाचा जड़ दिया|

आदित्यनाथ के बयान से इतना तो साबित होता है कि उन्हें पंजाब और राजस्थान से कोई परेशानी नहीं है| यह हैरान जरूर करता है क्योंकि प्रधानमंत्री के पंजाब में फ्लाईओवर पर लटकने वाले मामले में पंजाब सरकार पर अनर्गल लांछन लगाने और महामृत्युन्जय मन्त्र का जाप करने में आदित्यनाथ सबसे आगे थे| इतना तो अच्छा है, आदित्यनाथ के बयान के बाद बहुत सारे लोगों ने उत्तर प्रदेश की तुलना केरल और बंगाल से की होगी और फिर उत्तर प्रदेश का पिछड़ापन देख कर अचंभित रह गए होंगें|  

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