Agnipath scheme explained: किसान बिल के बाद दूसरी बार मोदी सरकार को कदम पीछे हटाना पड़ सकता है

Agnipath scheme explained: जिस तरह मोदी सरकार की अग्निपथ स्कीम का देश के युवाओं ने सड़क पर उतरकर विरोध करना शुरू कर दिया है, उसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान बिल की तरह इस स्कीम को भी ठंडे बस्ते में डालने के लिए मोदी सरकार को मजबूर होना पड़ सकता है।

Update: 2022-06-16 14:36 GMT

दिनकर कुमार की रिपोर्ट

Agnipath scheme explained: जिस तरह मोदी सरकार की अग्निपथ स्कीम का देश के युवाओं ने सड़क पर उतरकर विरोध करना शुरू कर दिया है, उसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान बिल की तरह इस स्कीम को भी ठंडे बस्ते में डालने के लिए मोदी सरकार को मजबूर होना पड़ सकता है। वैसे भी इस स्कीम को रक्षा क्षेत्र के लिए एक मज़ाक के तौर पर देखा जा रहा है वहीं एक तबका इसे बेरोजगारों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा कदम बता रहा है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि इस योजना के जरिये भविष्य के लिए प्रशिक्षित गुंडों की फौज बनाने की तरकीब सोची गई है।

जिस तरह किसान आंदोलन को कुचलने के लिए मोदी सरकार ने पूरी ताकत लगा दी थी और सैकड़ों किसानों को कुर्बानी देनी पड़ी थी, उसी तरह हो सकता है युवाओं के विरोध का दमन करने के लिए पूरी ताकत लगाई जाये और इस चक्कर में युवाओं को अपनी जान भी गंवानी पड़े। लेकिन अंततः बेरोजगार युवाओं के आक्रोश पर काबू पाना मोदी सरकार के लिए संभव नहीं हो पाएगा।

सेना में भर्ती के लिए सरकार की ओर से घोषित की गई अग्निपथ स्कीम का तीव्र विरोध देश के राज्यों में शुरू हो गया है। मंगलवार को इस स्कीम का ऐलान किया गया था और बुधवार सुबह ही बिहार के कई जिलों में छात्रों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। यही नहीं गुरुवार को एक बार फिर से मुंगेर, कैमूर, सहरसा, छपरा समेत कई जिलों में छात्र विरोध के लिए उतरे हैं।

कैमूर में छात्रों ने इंटरसिटी एक्सप्रेस को आग के हवाले कर दिया तो कई जगहों पर सड़क जाम कर टायरों में आग लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली-जयपुर हाईवे को भी छात्रों ने राजस्थान में जाम कर दिया है। यूपी के बरेली में सेना की तैयारी कर रहे युवाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। बिहार से शुरू इस आंदोलन की आग देश के अलग-अलग राज्यों में फैल रही है।

अग्निपथ स्कीम के विरोध में बिहार के बक्सर से शुरू हुआ बवाल अब मुंगेर, जहानाबाद और नवादा तक पहुंच गया है। गुरुवार को इन तीनों जिलों में जमकर बवाल जारी है। इसका कारण यह है कि दो साल पहले 2020 से आर्मी में भर्ती की कई परीक्षाएं हुईं। उन परीक्षाओं में किसी छात्र का मेडिकल तो किसी का रिटेन बाकी है। ऐसे में नई स्कीम आने से सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द हो गई। पहले जो नौकरी स्थायी हुआ करती थी, वो अब सिर्फ चार साल की होगी। लिहाजा सरकारी नौकरी का सपना संजोए युवाओं को बड़ा झटका लगा है। ऐसे में युवा सरकार का विरोध करने लगे हैं।

सेना भर्ती अभ्यर्थियों का कहना है कि साल 2021 में सेना में बहाली हुई थी। तब बिहार में मुजफ्फरपुर समेत आठ जिलों में बड़ी संख्या में युवा इसमें शामिल हुए थे। फिजिकल एग्जाम पास करने के बाद उनका मेडिकल हुआ। फिर जिन अभ्यर्थियों का मेडिकल निकल गया, वे एक साल से लिखित परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं लेकिन अब तक यह परीक्षा नहीं हुई। ऐसे में सरकार अब नया नियम बना रही है।

युवाओं का कहना है कि नए नियम के अनुसार चार साल पूरे होने के बाद 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थायी काडर में शामिल कर लिया जाएगा लेकिन बाकी के 75 फीसदी अग्निवीरों का क्या होगा? सरकार की तरफ से उन्हें 12 लाख रुपए सेवा निधी तो जरुर मिलेगी लेकिन क्या ये जीवन गुजारने के लिए काफी होगा? क्या उनके पास दूसरी नौकरी का भी विकल्प होगा? बता दें कि सेना में जितनी भी भर्तियां होंगी, वो अग्निपथ स्कीम के तहत ही की जाएंगी। पुराने मेडिकल या फिजकल टेस्ट को नहीं माना जाएगा। युवाओं को भर्ती के लिए अग्निपथ स्कीम के तहत ही आवेदन करना होगा।

सरकार ने मंगलवार को तीनों सेवाओं में सैनिकों की भर्ती के लिए अपनी नई अग्निपथ योजना का अनावरण किया। नया रक्षा भर्ती सुधार, जिसे सुरक्षा पर कैबिनेट समिति द्वारा मंजूरी दे दी गई है, तुरंत प्रभाव में आ जाएगा, और योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिकों को अग्निवीर कहा जाएगा।

नई योजना के तहत, लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की सालाना भर्ती की जाएगी, और अधिकांश केवल चार वर्षों में सेवा छोड़ देंगे। कुल वार्षिक भर्तियों में से केवल 25 प्रतिशत को ही स्थायी कमीशन के तहत अगले 15 वर्षों तक जारी रखने की अनुमति होगी। इस कदम से देश में 13 लाख से अधिक मजबूत सशस्त्र बलों के लिए स्थायी बल का स्तर काफी कम हो जाएगा। यह, बदले में, रक्षा पेंशन बिल को काफी कम कर देगा, जो कई वर्षों से सरकारों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है।


  • नई प्रणाली केवल अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों के लिए है (जो सेना में कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल नहीं होते हैं)।
  • अग्निपथ योजना के तहत, 17.5 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के उम्मीदवार आवेदन करने के पात्र होंगे। भर्ती के मानक वही रहेंगे और भर्ती रैलियों के माध्यम से साल में दो बार की जाएगी।
  • एक बार चुने जाने के बाद, उम्मीदवारों को छह महीने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा और फिर साढ़े तीन साल के लिए तैनात किया जाएगा।
  • इस अवधि के दौरान, उन्हें अतिरिक्त लाभ के साथ 30,000 रुपये का प्रारंभिक वेतन मिलेगा, जो चार साल की सेवा के अंत तक 40,000 रुपये हो जाएगा।
  • महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अवधि के दौरान, उनके वेतन का 30 प्रतिशत एक सेवा निधि कार्यक्रम के तहत अलग रखा जाएगा, और सरकार हर महीने एक समान राशि का योगदान करेगी, और उस पर ब्याज भी लगेगा।
  • चार साल की अवधि के अंत में, प्रत्येक सैनिक को एकमुश्त राशि के रूप में 11.71 लाख रुपये मिलेंगे, जो कर मुक्त होगा।
  • उन्हें चार साल के लिए 48 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर भी मिलेगा।
  • मृत्यु के मामले में, भुगतान न किए गए कार्यकाल के लिए वेतन सहित 1 करोड़ रुपये से अधिक होगा।
  • हालांकि, चार साल के बाद, बैच के केवल 25 प्रतिशत लोगों को उनकी संबंधित सेवाओं में 15 साल की अवधि के लिए वापस भर्ती किया जाएगा।
  • जो लोग फिर से चुने जाते हैं, उनके लिए सेवानिवृत्ति के लाभों के लिए प्रारंभिक चार साल की अवधि पर विचार नहीं किया जाएगा।
  • योजना के तहत 90 दिनों के भीतर भर्ती शुरू हो जाएगी, जो सेवाओं में "अखिल भारतीय, सभी वर्ग" भर्ती लाएगी।
  • योजना के अनुसार, बलों में औसत आयु आज 32 वर्ष है, जो छह से सात वर्षों में घटकर 26 हो जाएगी।
  • सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा, यह "भविष्य के लिए" सैनिक तैयार करेगा।
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