अंबानी और महिंद्रा की नई यारी: जियो की तरह क्या अब ट्रेक्टर का भी बहिष्कार करेंगे किसान?
टेक महिंद्रा ने उम्मीद जताई है कि वह अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया प्रशांत क्षेत्र में सॉफ्टवेयर इंटीग्रेटर के रूप में एक उल्लेखनीय भूमिका निभाएगी। वह नेटवर्क प्रबंधन के लिए भी सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है और उसने पेंटेंट के लिए प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है....
वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण
तालिबानी क्रूरता का परिचय दे रही मोदी सरकार किसी भी कीमत पर किसान क़ानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। किसान इन क़ानूनों के लिए अंबानी और अदानी को जिम्मेदार मानकर अब तक उनके खिलाफ आंदोलन चलाते रहे हैं। अदानी के गोदाम का घेराव किया गया तो लाखों जियो सिम को पोर्ट किया गया और जियो टावर की बिजली काटी गई। धंधे पर चोट पड़ते देख दोनों सेठ सफाई देने के लिए सामने भी आ गए।
अब नई खबर है कि अंबानी के साथ टेक महिंद्रा की साझेदारी हो गई है। यह वही कंपनी है जिसके ट्रेक्टर का इस्तेमाल किसान करते हैं। वैसे भी ट्रेक्टर किसान आंदोलन के प्रतिरोध का प्रतीक बन चुका है। अब सवाल पैदा होता है कि अंबानी के साथ महिंद्रा की नई यारी का किसान आंदोलन पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या अब किसान महिंद्रा के ट्रेक्टर का भी बहिष्कार करने के लिए मजबूर होंगे?
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका है। हाल के दिनों में पंजाब और हरियाणा में प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ करने की खबरें आई थीं। टावरों में तोडफोड़ के मामले में अब रिलायंस ने हाईकोर्ट का रुख किया है। कंपनी ने अपनी संपत्ति और सुविधाओं की रक्षा के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि वह न तो किसानों से खाद्यान्नों की सीधी खरीद करती है और न ही वह अनुबंध पर खेती के व्यवसाय में है।
इन दोनों राज्यों में कई किसानों ने कृषि कानून के खिलाफ अपना गुस्सा कथित तौर पर रिलायंस जियो के टावरों पर निकाला था। प्रदर्शनकारी किसानों ने टावरों की बिजली बंद कर दी थी और केबल काटने के साथ जियो टावर के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया था। प्रदर्शनकारी किसान रिलायंस इंडस्ट्रीज को नये कृषि कानूनों का लाभार्थी मान उसका विरोध कर रहे हैं। कृषि कानून के खिलाफ एक महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों को डर है कि ये कानून उनके लिए लंबी अवधि हानिकारक होगा। अंबानी अभी भले ही सफाई दे रहे हैं लेकिन यह बात साफ है कि वह एक दिन में ही सौ कंपनी बनाकर किसान कानून का फायदा उठा सकते हैं। किसानों के प्रतिरोध ने अंबानी को बिलबिलाने के लिए मजबूर कर दिया है।
तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों का धरना-प्रदर्शन मंगलवार को 41 वें दिन में प्रवेश कर गया। सिंघु के साथ टीकरी और दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर भी बढ़ी संख्या में किसान तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इस बीच शनिवार दोपहर में दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान किसान संगठनों ने एलान किया है कि आगामी 6 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा, इसी के साथ 15 जनवरी तक भाजपा नेताओं का घेराव किया जाएगा। फिर 23 जनवरी को सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन तक राज्यपाल भवन तक मार्च निकाला जाएगा। आखिर में 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर किसान परेड मार्च होगा। यानी प्रतिरोध के लिए किसान अब तक ट्रेक्टर का इस्तेमाल करते रहे हैं और आगे भी ट्रेक्टर मार्च करने की उन्होंने घोषणा की है।
दूरसंचार क्षेत्र में 5जी नेटवर्क के लिए आक्रामक तरीके से अपनी पहुंच सुनिश्चित करते हुए प्रमुख आईटी कंपनी टेक महिंद्रा ने कहा है कि वह रिलायंस जियो के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। जियो ने खुद का 5जी नेटवर्क विकसित किया है और वह उसे वैश्विक स्तर पर बेचने की योजना बना रही है। टेक महिंद्रा ने कहा है कि रिलायंस को वह प्रतिस्पर्धी के रूप में नहीं देख रही है बल्कि उसके साथ साझेदारी के जरिये उद्योग का विस्तार होगा।
कंपनी के अध्यक्ष (संचार, नेटवर्क मीडिया एवं मनोरंजन) और सीईओ (नेटवर्क सर्विसेज) महेश व्यास ने कहा, 'जियो जैसे ऑपरेटर जिस प्रकार की सॉफ्टवेयर दक्षता हासिल कर रहे हैं, उससे लगता है कि वे तीसरे पक्ष की दूरसंचार कंपनियों को उसकी पेशकश करेंगे। इससे हमारे जैसे उने लोगों के लिए आकर्षक संभावनाएं पैदा होंगी जो दुनिया भर में दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ पहले से ही काम कर रहे हैं। इन ऑपरेटरों की दक्षमताओं को हासिल करने और उन्हें एकीकृत करने में हमारे लिए अवसर पैदा होंगे।'
व्यास ने कहा कि टेक महिंद्रा जियो जैसी कंपनी को अपनी पहुंच की पेशकश करेगी क्योंकि वह चीन के बाहर दुनिया भर में लगभग हर दूरसंचार सेवा प्रदाता साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा, 'इससे हमें उन तमाम लोगों के साथ साझेदारी करने में आसानी होगी जिनके पास सॉफ्टवेयर में बेहतरीन बौद्धिक संपदा संबंधी अधिकार हैं। हमारी रणनीति एक निरंतर इंटीग्रेटर बने रहने की है।' अमेरिका में टेक महिंद्रा अल्टियोस्टार के जरिये भारती एयरटेल के साथ सहयोग कर रही है। हाल में टेक महिंद्रा ने अल्टियोस्टार में अपनी हिस्सेदारी जापान की 5जी सेवा प्रदाता राकुटेन को बेच दी है। टेक महिंद्रा अल्टियोस्टार का एक सबसे बड़ा सॉफ्टवेयर इंटीग्रेटर है।
व्यास ने अपनी कंपनी की रणनीति के बारे में बताते हुए कहा कि नई 5जी तकनीक खुली और सॉफ्टवेयर आधारित है। इसकी झलक राकुटेन 5जी नेटवर्क सेवाओं के लॉन्च में भी दिखती है। यह विभिन्न प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर आधारित है। उन्होंने कहा, 'इसका मतलब साफ है कि हमारी जैसी कंपनियां विभिन्न तकनीक को एकीकृत करने की दक्षता प्रदान कर सकती हैं।'
टेक महिंद्रा ने उम्मीद जताई है कि वह अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया प्रशांत क्षेत्र में सॉफ्टवेयर इंटीग्रेटर के रूप में एक उल्लेखनीय भूमिका निभाएगी। वह नेटवर्क प्रबंधन के लिए भी सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है और उसने पेंटेंट के लिए प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है। इसके अलावा कंपनी 4जी, 5जी एवं रेडियो के लिए बुनियादी सॉफ्टवेयर भी तैयार कर रही है ताकि ऑपरेट की जरूरतों को कस्टोमाइज किया जा सके।
कारपोरेट आपस में मुनाफे की डोर से बंधे हुए होते हैं। उनके लिए मुनाफे के सिवा कोई विचारधारा अहमियत नहीं रखती। अंबानी और महिंद्रा की इस यारी का असर आने वाले समय में देखने को मिल सकता है।