6 साल के बच्चे ने गुस्से में स्कूल टीचर के पेट में मारी गोली, अमेरिका के हिंसक होते बच्चों ने 4 साल में 145 वारदातों को दिया अंजाम

बच्चों की कम उम्र से ही हथियारों की पहुँच और इसका उपयोग पूरे समाज के लिए एक चिंता का विषय है, पर दुखद यह है कि समाज इस समस्या के निदान के लिए कुछ नहीं कर रहा है और अब केवल स्कूलों में ही नहीं बल्कि घरों और सार्वजनिक स्थलों पर भी बच्चों द्वारा की जाने वाली ऐसी हिंसक वारदातों की संख्या बढ़ती जा रही है....

Update: 2023-01-09 04:44 GMT

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

6 year old intentionally shot at her teacher after altercation in America. अमेरिका में स्कूली बच्चों द्वारा हथियारों का उपयोग कर साथियों या स्वयं को गोली मार देना एक आम घटना है। पर वर्ष 2023 में अमेरिका में होने वाली ऐसी पहली घटना ने छात्रों द्वारा बंदूकों के उपयोग पर व्यापक बहस छेड़ दी है और लगातार ऐसी वारदातों के अभ्यस्त समाज को भी शर्मसार कर दिया है।

यह घटना अमेरिका के वर्जिनिया प्रांत की है, जहाँ के रिचनैक एलीमेंट्री स्कूल के पहली कक्षा के 6 वर्षीय छात्र ने अपनी शिक्षिका से बहस के बाद उन्हें हैण्डगन से पेट में गोली मार दी। 25 वर्षीय शिक्षिका अब्बी ज्वेर्नेर को गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जहां अभी तक उनकी स्थिति नाजुक है। गोली लगने के बाद भी खून से लतफत शिक्षिका ने जमीन पर गिरते हुए भी कक्षा के अन्य सभी छात्रों को तुरंत कक्षा से बाहर निकलने के निर्देश दिया।

न्यूपोर्ट के मेयर फिलिप जोंस ने इस घटना को पूरे अमेरिका के लिए एक चेतावनी और समाज के लिए खतरे की घंटी बताया है। उनके अनुसार बच्चों तक हथियारों की पहुँच के बारे में हमें गंभीरता से सोचना पड़ेगा, इससे केवल शिक्षा व्यवस्था को ही खतरा नहीं है, बल्कि पूरी समाज को एक बड़ा खतरा है। अमेरिका में विद्यालय परिसर में विद्यार्थियों द्वारा गोलीबारी की घटनाएं लगातार होती रहती हैं, पर अधिकतर मामलों में छात्र दूसरे छात्रों पर गोली चलाते हैं।

एजुकेशन वीक नामक पत्रिका के अनुसार वर्ष 2018 के बाद से अमेरिका के स्कूलों में छात्रों द्वारा गोलीबारी की 145 ऐसी वारदातें सामने आईं हैं जिनमें कोई घायल हुआ है या फिर किसी की मृत्यु हो गयी है। वर्ष 2022 में ऐसी 52 घटनाएँ, वर्ष 2021 में 35, वर्ष 2020 में 10, वर्ष 2019 में 24 और वर्ष 2018 में भी 24 घटनाएं दर्ज की गईं।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि हिंसक छात्रों की संख्या साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। अमेरिका में हथियारों द्वारा की जाने वाली हिंसा के विशेषज्ञ डेनियल वेबस्टर के अनुसार बच्चों की कम उम्र से ही हथियारों की पहुँच और इसका उपयोग पूरे समाज के लिए एक चिंता का विषय है। पर दुखद यह है कि समाज इस समस्या के निदान के लिए कुछ नहीं कर रहा है और अब केवल स्कूलों में ही नहीं बल्कि घरों और सार्वजनिक स्थलों पर भी बच्चों द्वारा की जाने वाली ऐसी हिंसक वारदातों की संख्या बढ़ती जा रही है।

वर्जिनिया के रिचनैक एलीमेंट्री स्कूल की घटना इस मामले में अनोखी लग सकती है कि एक 6 वर्षीय बच्चे ने घर से अपने स्कूल बैग में हैण्डगन को रखा और शिक्षिका के कुछ कहने पर उनपर गोली चला दी। पर, अमेरिका के लिए इस उम्र के बच्चे द्वारा गोली चलाने की घटना पहली नहीं है। वर्ष 1970 से अब तक दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा स्कूल में गोली चलाने की 16 घटनाएं सामने आई हैं और वर्जिनिया की घटना से पहले तीन ऐसे मामले सामने आ चुके थे जब गोली चलाने वाले छात्र के उम्र 6 वर्ष थी।

न्यूपोर्ट के मेयर फिलिप्स जोंस के अनुसार बच्चे को पुलिस ने हिरासत में रखा है और उससे पूछताछ के बाद इतना स्पष्ट है कि हैण्डगन का उपयोग दुर्घटनावश नहीं था बल्कि उसका उपयोग जानबूझ कर किया गया था। समस्या यह है कि वर्जिनिया के स्थानीय क़ानून के अनुसार इस उम्र के बच्चे को कोई सजा नहीं दी जा सकती और ना ही उसे परिवार से दूर रखा जा सकता है।

एक तात्पर्य यह भी है कि इसी स्कूल में पिछले 17 महीनों के भीतर छात्रों द्वारा गोलीबारी की यह तीसरी घटना है। वर्ष 2021 के सितम्बर में एक 16 वर्षीय छात्र ने अंधाधुंध गोली चलाकर 2 छात्रों को घायल कर दिया था। नवम्बर 2021 में एक 18 वर्षीय छात्र ने गोली से 1 छात्र को मार डाला था।

अमेरिका की घटनाएं इतना तो जरूर बताती हैं कि हम जिस आर्थिक विकास के रास्ते पर बढ़ाते जा रहे हैं, उसके कारण समाज विकास के क्रम में तेजी से पीछे जाने लगा है। जिस उम्र में बच्चे पहले अपने जूतों के फीते भी नहीं बाँध पाते थे, अब उसी उम्र में हैंडगन थामे अपनी कक्षाओं में जाने लगे हैं। ऐसे हिंसक समाज की कल्पना तो किसी भी विद्वान ने नहीं की होगी।

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