Boris Johnson India Visit : ब्रिटिश प्रधानमंत्री के दौरे ने खोली गुजरात मॉडल की पोल, सफेद कपड़ों से ढक दी गईं गरीबों की झोपड़पट्टियां

Boris Johnson India Visit : अहमदाबाद से साबरमती आश्रम के रास्ते में बोरिस जॉनसन को ले जाते समय झोपड़पट्टी को सफेद कपड़े से ढक दिया गया....

Update: 2022-04-21 09:49 GMT

Boris Johnson India Visit : ब्रिटिश प्रधानमंत्री के दौरे ने खोली गुजरात मॉडल की पोल, सफेद कपड़ों से ढक दी गईं गरीबों की झोपड़पट्टियां

सौमित्र राय की त्वरित टिप्पणी

Boris Johnson India Visit : जेब में एक बिलियन पौंड के निवेश का प्रस्ताव लेकर गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर भारत पधारे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) देश के दो सबसे अमीरों में से एक गौतम अडाणी (Gautam Adani) से मिलेंगे, साथ ही वे वडेादरा में उसी जेसीबी फैक्ट्री का भी दौरा करेंगे, जिसके बुलडोजरों ने धर्म के रास्ते पर संविधान और लोकतंत्र को अपने शिंकजे में उठा रखा है।

बोरिस जॉनसन सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के गृह जिले गुजरात के अहमदाबाद  (Ahmedabad) में उतरे हैं। पूंजीवाद और जेसीबी के प्लांट का दौरा करने से पहले उन्होंने महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) का भी दौरा किया और अहिंसा, सत्याग्रह का प्रतीक चरखा भी चलाया। दुनियाभर में जंग और तबाही की बात करने से पहले अमूमन पहले शांति के कपोत उड़ाने का चलन बढ़ गया है। जॉनसन ने भी इसका अनुसरण करने में देरी नहीं की।

दूसरी ओर भारत में भी यह परंपरा रही है कि घर में पधारे मेहमान से कई बातें छिपाई जाती हैं। खासकर तब, जबकि मेहमान विदेशी हो, तो फटे मलमल के नीचे टाट का पैबंद लगाकर 'सब चंगा सी' दिखाने के चलन का दूसरी बार भी बखूबी पालन किया गया। गुजरात में इस साल के आखिर में चुनाव होने वाले हैं और राज्य की बीजेपी सरकार और खुद प्रधानमंत्री मोदी यह कभी नहीं चाहेंगे कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री के सामने गुजरात मॉडल का असली चेहरा सामने आए। मेहमान की जेब खाली करने के साथ व्यापार, हथियारों और वीजा का समझौता भी तो करना है। साथ में अडाणी फैक्टर भी तो है, जिसमें भारत में ब्रिटेन के साथ मिलकर एक स्कॉलरशिप प्रोग्राम चलाने की बात है।

तो हुआ यह कि अहमदाबाद से साबरमती आश्रम के रास्ते में बोरिस जॉनसन को ले जाते समय एक झोपड़पट्टी को सफेद कपड़े से ढक दिया गया। इससे पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अहमदाबाद यात्रा के समय तक गुजरात मॉडल के विकास और असमानता के बीच बाकायद दीवार ही खड़ी कर दी गई थी। भारत में इसीलिए परदों का चलन दिखाने के बजाय छिपाने में ज्यादा होता है। वह तो मोदी गुजरात में जॉनसन के साथ नहीं थे, वरना इस बार मेहमान के रास्ते में आने वाली सभी गरीब बस्तियों पर महीनेभर पहले ही बुलडोजर चल जाता।

सफेद परदे लगाने के बावजूद बस्ती के लोग बीच में परदा उठाकर सड़क पर आते रहे। पता नहीं बॉरिस जॉनसन या उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल और पत्रकारों की नजर पड़ी या नहीं, लेकिन हिलते-डुलते परदे के पीछे की सच्चाई छिपाना नामुमकिन सा है। कश्मीर फाइल्स बनाने वाले फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की भी हिम्मत नहीं है कि वे गुजरात मॉडल के तिलस्मी परदे के पीछे अपना कैमरा ले जा सकें और इसीलिए उनकी नजर दिल्ली फाइल्स पर है।


मोदी का गुजरात मॉडल 3 लाख करोड़ की सार्वजनिक उधारी की सीमा को पार कर गया है और अगले दो साल बाद जब नरेंद्र मोदी अपना तीसरा संसदीय चुनाव लड़ रहे होंगे तो यही कर्ज 4.50 लाख को पार कर जाएगा। गुजरात का सकल घरेलू उत्पाद सालाना 9.19 फीसदी ही रफ्तार से बढ़ रहा है, जबकि कर्ज की वृद्धि दर 11.50 प्रतिशत के आसपास है।

खैर, गुजराती सिर्फ व्यापार की चिंता करते हैं और गुजरात आने वाला हर विदेशी मेहमान 7 करोड़ गुजरातियों की जिजिविषा और हर मुश्किल में संघर्ष का साथ न छोड़ने की कला का दीवाना हो जाता है। जॉनसन से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉ. टेड्रोस घेब्रेयेसस पिछले दिनों गुजरात आकर तुलसी भाई बन गए थे। मोदी ने शी जिनपिंग की तरह उनके पूर्वजों का भी गुजरात कनेक्शन निकाल ही लिया, क्योंकि भारतीय वैक्सीन का सौदा जो करना था।

फिलहाल भारत की नजर जॉनसन की जेब पर है, अडाणी ब्रिटिश सरकार के साथ हाथ मिलाने का बेताब हैं तो जेसीबी चाहती होगी कि भारत के हर गांव-मोहल्ले तक में जेबीसी चले। दूसरी ओर, गुजरात के करीब 32 लाख गरीबों की उम्मीद गुजरात मॉडल के परदे से बाहर निकलने की होगी, जो अब राज्य की बुलडोजर नीति की शक्ल लेती जा रही है।

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