कोरोना टीके को लेकर भारत में नया तमाशा, विदेशी कंपनियों ने राज्यों को टीका देने से किया इंकार
कोरोना का टीका बनाने वाली अमेरिकी कंपनियां फाइजर और मॉडर्ना सीधे केंद्र सरकार को अपना टीका देंगी। फाइजर ने 23 मई को कहा, देश में टीकाकरण अभियान का संचालन उनका अंदरूनी मामला है....
वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण
जनज्वार। मुस्लिम विद्वेष और फर्जी राष्ट्रवाद को ही शासन की नीति समझने वाली मोदी सरकार कोरोना महामारी का प्रबंधन करने और अपने नागरिकों के जीवन की सुरक्षा करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। आपदा में अवसर की खोज करने वाली सरकार ने इस देश में नरसंहार का मंजर पैदा कर दुनिया भर में भारत की छवि को कलंकित बना दिया है। संकट काल में टीके का इंतजाम करने की जगह वह चुनाव जीतने की रणनीति बनाने में भरोसा करती है। गैर भाजपा शासित राज्यों नें मोदी सरकार से निराश होने के बाद जब सीधे टीके खरीदने का प्रयत्न शुरू किया तो विदेशी कंपनियों ने उनके प्रस्ताव को ठुकराकर मोदी राज में संघीय ढांचे के बढ़ते अंतर्विरोध की पुष्टि कर दी है।
देशभर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या तीन लाख को पार कर गई है। रोज आने वाले कोरोना मामलों की संख्या भले ही थोड़ी कम हुई हो लेकिन मौतें में कमी आती नहीं दिख रही है। ऐसे में एकमात्र कारगर हथियार टीकाकरण है, लेकिन देश में उसको भी लेकर दिक्कतें नजर आ रही हैं, केंद्र से राज्यों की शिकायत पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन को लेकर है।
कोरोना का टीका बनाने वाली अमेरिकी कंपनियां फाइजर और मॉडर्ना सीधे केंद्र सरकार को अपना टीका देंगी। फाइजर ने 23 मई को कहा, देश में टीकाकरण अभियान का संचालन उनका अंदरूनी मामला है। हम इसमें राज्य सरकारों के साथ कोई लेनदेन नहीं करेंगे। फाइजर सीधे केंद्र सरकार को टीका देगी। वहीं तेलंगाना और पंजाब को मना करने के बाद मॉडर्ना ने दिल्ली को भी टीका देने से इनकार कर दिया।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा, हमने मॉडर्ना से टीका खरीदने की पेशकश की थी लेकिन कंपनी ने साफ इनकार कर दिया। कंपनी टीके की खरीदफरोख्त के लिए सीधे केंद्र से बात करने की इच्छुक है। मायापुरी के ऑक्सीजन संयंत्र का दौरा करने पहुंचे केजरीवाल ने कहा, हम केंद्र से अपील करते हैं कि वह विदेश से टीका आयात करे और राज्यों में वितरित करे। हम पहले ही काफी समय गंवा चुके हैं। युद्धस्तर पर लोगों को टीका लगाने के लिए हमें खुराकों की जरूरत है। इससे पहले पंजाब में टीकाकरण के नोडल अधिकारी विकास गर्ग ने 22 मई को बताया था कि मॉडर्ना ने उन्हें टीका देने से इनकार कर दिया है।
केजरीवाल ने कहा, देश में 16 कंपनियां हैं जो कोवाक्सिन बनाना चाहती हैं। भारत बायोटेक ने दो के साथ करार भी किया है। हम केंद्र से अपील करते हैं कि वह सभी 16 कंपनियों से बात करें और टीका बनाने का ऑर्डर दें। ताकि जरूरत के आधार पर खुराकें उपलब्ध हों। अमेरिका और ब्रिटेन से हमें सीखना होगा कि टीकाकरण ही एकमात्र रास्ता है कोरोना से बचने का।
केजरीवाल ने दावा किया कि दिल्ली सरकार के पास ब्लैक फंगस के इलाज के लिए दवाएं और इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं। हमें प्रत्येक मरीज के लिए रोजाना कम से कम चार इंजेक्शन चाहिए। केंद्र की ओर से इंजेक्शन दिए जाने के बावजूद किल्लत है। हमें रोज 2000 वायल की जरूरत है जबकि 400-500 ही मिल रहे हैं।
केजरीवाल ने 22 मई को ट्वीट कर कहा कि वैक्सीन खत्म होने के कारण वैक्सीनेशन सेंटर बंद करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार के मुताबिक मई महीने में दिल्ली को केवल 16 लाख वैक्सीन मिलीं। वहीं, जून के महीने में केंद्र सरकार दिल्ली को इसकी भी आधी यानी केवल 8 लाख वैक्सीन ही देगी।
वैक्सीनेशन को जारी रखने के लिए दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु समेत कई राज्यों ने ग्लोबल टेंडर निकाल दिया। अखबारों में टेंडर छप भी गए लेकिन इस कवायद का भी कोई फायदा होते नहीं दिख रहा है।
इस बीच राज्यों के लिए विदेशी कंपनियों से झटके पर झटके लग रहे हैं। पंजाब की तरफ से कहा गया है कि कोविड-19 वैक्सीन की कमी की वजह से पिछले तीन दिनों से फेज 1 और फेज 2 का वैक्सीनेशन रोका गया है और अब वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने कोविड वैक्सीन की सप्लाई करने से इनकार कर दिया है। कंपनी का कहना है कि वो सिर्फ केंद्र सरकार से ही डील करेगी।
महाराष्ट्र ने पांच करोड़ वैक्सीन डोज के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला है, जिसकी आखिरी तारीख 26 मई है। राज्य की तरफ से स्पुतनिक को लिखे गए मेल का अब तक जवाब नहीं आया है। अब भी मॉडर्ना, फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियों से बातचीत करने की कोशिश की जा रही है। इस बीच बीएमसी को तीन आवेदन जरूर मिले हैं लेकिन किसी भी कंपनी ने वैक्सीन मैन्युफेक्चरर से जुड़े दस्तावेज नहीं दिखाए हैं।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो चार करोड़ डोज के लिए ग्लोबल टेंडर निकाले गए थे। ज्यादा से ज्यादा कंपनियां शामिल हो सकें इसलिए नियमों ढील दी गई, जैसे निविदा राशि को भी घटाकर 16 करोड़ से 8 करोड़ कर दिया गया। किस तापमान पर वैक्सीन स्टोर होनी चाहिए, इसमें भी ढील दी गई हैं। अब टेक्निकल बिड को 31 मई तक बढ़ा दिया गया है।
इसी तरह तमिलनाडु में 3.5 करोड़ वैक्सीन के लिए टेंडर जारी किया गया था। आवेदन की आखिरी तारीख 5 जून है। 18-44 आयुवर्ग के लोगों के वैक्सीनेशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई दूसरे राज्य भी ग्लोबल टेंडर के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन अभी इसके नतीजों के बारे में पुख्ता तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता। इस बीच वैक्सीनेशन कुछ जगहों पर रुकने और वैक्सीनेशन ड्राइव में देरी कोरोना संक्रमण को और भी घातक बना सकती है।