Raju Srivastava : रुला गया दुनिया को हंसाने वाला गजोधर, कौन भूल पाएगा?
Raju Srivastava passes away: मशहूर कॉमेडी किंग यानि गजोधर, राजू श्रीवास्तव व जूनियर अमिताभ हमारे बीच नहीं रहे। अब उनकी कहानी ही हमें गुदगुदाएंगी।
सत्य प्रकाश के गजोधर बनने की कहानी पर धीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट
Raju Srivastava : मशहूर कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव उर्फ गजोधर ( Gajodhar) अब हमारे बीच नहीं रहे। 58 साल की उम्र में हमेशा के लिए सभी को अलविदा कह गए। उनके निधन पर पूरी दुनिया गम में डूब गया है। उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांसें ली। पिछले 42 दिनों से राजू श्रीवास्तव ( Raju Srivastava ) जिंदगी और मैत से जंग लड रहे थे। जिंदगी की जांग आज हार गए। या यूं कहिए कि जिंदगी के अंतिम सत्य के पास पहुंच गए। उनके लिए फैंस दिन-रात दुआ कर रहे थे] लेकिन सबको हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव आखिरकार रुला कर इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनके निधन से लोगों को गहरा झटका लगा है। सभी अपने-अपने अंदाज में उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। किसी का कहना है कि बहुत याद आओगे गजोधर भैया तो किसी का कहना है कि अब हमें कौन हंसाएगा?
दरअसल, 10 अगस्त को हार्ट अटैक आने के बाद राजू श्रीवास्तव को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। करीब 42 दिनों से वो वेंटिलेटर पर थे, लगातार उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। डॉक्टर्स ने काफी कोशिश की लेकिन वो होश में नहीं आ सके और आज हमेशा के लिए दुनिया को छोड़कर चले गए।
जब तक जीए अपने पहले नाम को कॉमेडी मे जीते रहे
25 दिसंबर यानी क्रिसमस त्योहार मनाने के साथ हंसी-मजाक का भी दिन है तो यह तारीख हंसने में माहिर कलाबाज राजू श्रीवास्तव ( Comedy King Raju Srivastava ) का जन्मदिन भी है। जीवन में हमेशा हंसने और हंसने की चाहत रखने वाले राजू से आज हर शख्स परिचित हैं।राजू ने हमेशा अपने चुटकुलों से सबको हंसाया है। जन्म के समय जिसे हम लोग राजू श्रीवास्तव और गजोधर ( Gajodhar ) के नाम से जानता है उनका पहला नाम था सत्य प्रकाश। अब पूरी दुनिया उन्हें गजोधर भैया और राजू श्रीवास्तव के नाम से जानती है। सत्य प्रकाश यानि सच को हमेशा आलोकित करना वाला। राजू ने भी वही किया। अपने नाम का पर्याय बने और कॉमेडी के जरिए लोगों के सामने उनकी तीखी आलोचना बेहिचक और बेलौस अंदाज में करते रहे। कभी इस बात की परवाह नहीं की कि कौन क्या कहेगा? इसके लिए उन्होंने क्या नहीं किया। बचपन में रोडियो सुनकर इंदिरा की मिमिक्री की। झूठ बोला, स्कूल से बंक मारा, रामलीला के नाम पर फिल्में देखी, पकड़े जाने पर मां की पिटाई, घर छोड़ दी, मुंबई में ऑटो चलाया और बन गए कॉमेडी किंग।
यहां से जानिए, कॉमेडी किंग की कहानी और समझिए, सरताज बनने के लिए एक ही जिदंगी में किस-किस दौर से गुजरना पड़ता है।
इंदिरा गांधी की नकल ने राजू में बो दिया मिमिक्री का बीज
25 दिसंबर 1963 को कानपुर में बलई काका के घर राजू श्रीवास्तव ( Comedy King Raju Srivastava ) का जन्म हुआ था। बलई काका पेशे से कोर्ट में पेशकार थे, लेकिन अवध क्षेत्र में मशहूर हास्य कवि माने जाते हैं। राजू पर उनका असर हुआ। राजू हास्य कवि तो नहीं बने पर वो हास्य किंग जरूर बन गए। बचपन में गजोधर अपने पापा को स्टेज पर देखकर सोचते थे कभी मैं ऐसे ही स्टेज पर परफॉर्म करूंगा। उन्हें बचपन से ही तालियां और अटेन्शन चाहिए होता। इसलिए दिन में जब पिता कचहरी चले जाते, राजू उनके झोले से डायरी निकालते, छत पर धूप में उसके पन्ने पलटते। उनके आने से पहले जल्दी-जल्दी कुछ लाइनें याद कर उसी तरह रख देते। स्कूल में अलग-अलग मौकों पर उन कविता की लाइनों को सभी को सुनाते। लोग तारीफ़ करते। राजू को मजा आता। इसी क्रम में रेडियो पर वो इंदिरा गांधी की आवज सुनते और उसकी नकल करते। घर में कोई आता तो पिता कहते थे - बेटा सुनाओ जरा इंदिरा जी कैसे बोलती हैं। राजू सुनाते और बदले में तारीफ पाते। बलई काका को उस समय पता नहीं था उनका यही मामूली बढ़ावा राजू के अंदर कौन-सा बीज बो रहा है। राजू की मिमिक्री का और हाजिर जवाबी का एक दफा पिता ने कहा तुम लोग बिजली होने के बावजूद भी पढ़ाई नहीं कर पा रहे। हम लालटेन और स्ट्रीटलाइट में बैठकर पढ़ते थे। राजू तपाक से बोल उठे - क्यों आप दिन में पढ़ाई नहीं करते थे? पिता थोड़ा नारज हुए, फिर हंसकर चले गए।
अमिताभ बच्चन रोटी नाई देत हैं
एक दिन की बात है जब वो स्कूल गए तो उनका क्लासमेट संतोष कक्षा में गब्बर बना फिर रहा था। महफिल जमी हुई थीं। संतोष बेल्ट जमीन में घसीटता हुआ पूछ रहा था, कितने आदमी थे। लड़के-लड़कियां ठहाका मारकर हंस रहे थे। राजू को लगा ये क्या बवाल चीज है बे! उन्होंने संतोष को पकड़ा और पूछा ये सब कहां से सीखा, संतोष ने बताया शोले फिल्म से। उन्होंने संतोष से पूछा फिल्म कैसे देखते हैं। पता चला टिकट खरीदकर कोई भी फिल्म देख सकता है। टिकट खरीदने के लिए चाहिए थे 1 रुपए 90 पैसे। किसी तरह 4.4 आने बचाकर पैसे जुटाएण़्। एक दिन घर से निकले स्कूल के लिए पहुंच गए सिनेमा हॉल। शोलेष्देखकर अमिताभ बच्चन का भयंकर असर हुआ। अमिताभ की मिमिक्री करने लगे। धीरे-धीरे ये बात आस-पड़ोस में फैल गई। जानने वाले लोग उनको अपने यहां पार्टीज में अमिताभ की मिमिक्री करने के लिए बुलाने लगे। राजू को जूनियर अमिताभ कहा जाने लगा। पर राजू की मां को ये सब पसंद नहीं था। माता जी कहतीं अम्ताब बच्चन रोटी नाई देत हैं। सनीमा हाल जाए से दाल, चावल, रोटी नाई मिलत है।
जब पहली बार मिले मिमिक्री के लिए 50 रुपए
मायावी नगरी मुंबई पहुंचने से पहले राजू ( Comedy King Raju Srivastava ) ने कानपुर में सिर्फ एक शो ही किया था। एक दिन उन्हें एक शो करने बुलाया गया। राजू ने अमिताभ की मिमिक्री की, पर इस बार सिर्फ तालियां नहीं मिलीं। ऑर्गेनाइजर ने उनकी जेब में 50 का नोट रख दिया। राजू नोट लेकर घर चले आए। दूसरे दिन वो 50 रुपए ऑर्गेनाइजर को वापस लौटाने पहुंच गए। राजू को लगा था कि ये रुपए उन्हें बस रखने के लिए दिए गए थे। फिर उन्हें पता चला ये उनका मेहनताना है। ये पहली बार था। जब राजू ने जाना कॉमेडी और मिमिक्री से पैसे भी कमाए जा सकते हैं।
ऐसे फूटा था रामलीला के बहाने सिनेमा देखने का भांडा
ये तो सब बहुत बाद की बाते हैं। एक दिन राजू की मां को कहीं से पता चल गया कि ये स्कूल से बंक करके सिनेमा देखने जाता है। वो उन्हें सिनेमा हॉल ढूंढ़ने पहुंच गईं। उस दिन उन्हें बहुत डांट पड़ी। राजू ठहरे गजोधर भैया, उन्होंने एक युक्ति निकाली। मां धार्मिक थीं। इसलिए रामलीला जाने देती थीं। वो रामलीला का पूछकर जाते, वहां से मूवी देखने निकल जाते। एक दिन इसमें भी पकड़े गए। मूवी से लौटकर आये। अम्मा ने पूछा - आज रामलीला में क्या हुआ। बोले - हुआ क्या धनुष भंग हुआ, मां शुरू हो गईं। एक बार लताड़ना शुरू किया तो रुकी ही नहीं। दरअसल उस दिन बारिश होने की वजह से रामलीला कैंसल हो गई थी और राजू का भांडा फूट गया।
काम न होने पर मुंबई चलाया में ऑटो
मिमिक्री में उनकी रुचि को देखकर सभी को इस बात का अंदेशा था के वो एक दिन मुंबई न चला जाए। अंदेशा सही भी साबित हुआ। एक दिन राजू मुंबई के लिए घर से बिना बताए निकल लिए, उनके किसी दोस्त ने मां को बता दिया कि अभी-अभी राजू निकले हैं। उनको स्टेशन की तरफ से जाते देखा है। माता जी घर से उनके कुछ दोस्तों के साथ निकली। कानपुर सेंट्रल के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर ट्रेन लगी थी। हर डिब्बे में राजू को खोजा जाने लगां। बड़ी मशक्कत के बाद एस थ्री में वो मिले। उन्हें घर लाया गया, फिर वही डांटने का कार्यक्रम हुआ और मामला शांत हो गया। 1981-82 के आसपास मुंबई आ गए। आ तो गए थें, पर उनके पास काम नहीं था। राजू के मुंबई पहुंचने पर जॉनी लीवर सरीखे लोगों ने उनकी खूब मदद की। कहा जाता है राजू ने ऑटो रिक्शा भी चलाया। छोटे-मोटे कॉमेडी शोज जारी रखे। उसी दौरान उन्हें एक कॉमेडी शो टी टाइम मनोरंजन का पता चला। ऑडीशन दिया तो सेलेक्ट हो गए। इस शो में उनके साथ स्मृति ईरानी और सुरेश मेनन समेत उस दौर के कई नए चेहरे शामिल हुए थे।
एक बार राजू श्रीवास्तव अनुराधा पौडवाल के शो में स्टैन्ड अप के लिए गए थे। वहां गुलशन कुमार भी आए हुए थे। उन्हें राजू का काम खूब पसंद आया। टी-सीरीज़ के बैनर तले उन्होंने कॉमेडी स्केचेज की ऑडियो कैसेट निकालने का फैसला किया। हंसना मना है। नाम से एक कैसेट आई। इसमें उनके साथ जॉनी लीवर, सुदेश भोसले और सुरेन्द्र शर्मा जैसे कॉमेडियन्स का काम भी था। इस कैसेट के आने के बाद राजू काफी मशहूर हो गए। उनको लोग चेहरे नहीं, पर आवाज से जानते थे।
तो ऐसे बन गए गजोधर भैया
इस बीच राजू श्रीवास्तव ( Comedy King Raju Srivastava ) फिल्मों में भी छोटे-मोटे रोल करने लगे। उनकी पहली फिल्म थी 1988 में आई अनिल कपूर की तेजाब। फिर मैंने प्यार किया, बाजीगर, आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया, बिग ब्रदर और बॉम्बे टू गोवा जैसी तमाम फिल्मों में काम किया। वो काम तो कर रहे थे पर जैसी प्रसिद्धि उन्हें चाहिए थी, मिल नहीं रही थी। हम आज जिन राजू श्रीवास्तव को जानते हैं वो पहचान उन्हें फिल्मों से नहीं टीवी से मिली। पहले तो उन्होंने शक्तिमान में धुरंधर सिंह का रोल किया। इसने भारत के घर-घर में उन्हें पहचान दिलाई। 2005 में द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज में राजू सेकंड रनर अप रहे। पहले वो इस शो में जाना नहीं चाहते थे। दरअसल, जब राजू को द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज के लिए कॉल आई तो उनको लगा एक जज के तौर पर उन्हें बुलाया जा रहा है। तब तक वो कॉमेडियन के तौर पर काफी मशहूर हो चुके थे। जब राजू पहुंचे तो उन्हें पता चला ऑडीशन देना है और एक पार्टीसिपेंट के तौर पर उन्हें बुलाया गया है। वो वहां से लौट आये। फिर उसके डायरेक्टर पंकज सारस्वत ने उन्हें फोन किया कि एक एपिसोड कर लो, सही लगे तो आगे करना। राजू फिर पहुंचे। अब वहां जितने पार्टीसिपेंट थे, सब राजू को पहले से ही जानते थे। उसमें सुनील पॉल, एहसान कुरैशी, भगवंत मान और दूसरे लोग थे। वो राजू के पास आये, बोले आप तो जज बनकर आए होंगे। किसी ने कैमरा निकाला कि यहां जीते या हारें, राजू के साथ फोटो खिंचा लें। तो मुंबई आना सफल हो जाए। कई कॉमेडियन्स तो राजू को अपना आदर्श मानते थे। इस बार पंकज सारस्वत उनके घर आ गए। उन्हें समझाया और अमिताभ बच्चन के शो केबीसी का हवाला दिया। उस समय अमिताभ की काफी आलोचना हुई थी। इतना बड़ा स्टार टीवी कर रहा है। तब जाकर राजू माने और एक एपिसोड शूट किया। उसका जब प्रोमो आया तो कई बड़े ऑर्गेनाइजर्स ने उनको फोन करके कहा कि एक शो का प्रोमो आया है। उसमें तुम्हारे जैसा एक लड़का है। तुम तो नहीं हों। राजू कुछ बोल पाते उससे पहले ही उनसे कहा गया कि उसमें सब नए लड़के हैं। वहां तुम नहीं जाना। फिर राजू का मन ठिठक गया। मगर जब पहला एपिसोड हिट हो गया तो उन्होंने शो करने की ठानी। इसी ने उनको गजोधर बना दिया। इंडियन लाफ्टर चैलेंज में गजोधर का किरदार निभाया था। इस किरदार को उन्होंने अपने ननिहाल से उठाया था। वहां एक गजोधर नाम के बाल काटने वाले थे। वो बाल काटते हुए मस्त एक से एक किस्से सुनाते। जब राजू को मुंबई में ऐसे किसी किरदार की ज़रूरत पड़ी तो उन्होंने उसी को चुना। राजू ने तो चुना सो चुना। उस किरदार ने राजू को ऐसा चुना कि वो पूरी दुनिया के लिए गजोधर भैया हो गए।