नया संसद भवन तो अयोध्या में स्थापित किया जाना चाहिए
मोदी सरकार यदि अयोध्या में ही संसद भवन बना देती तो तथाकथित न्यू इंडिया को एक नई राजधानी भी मिल जाती, मोदी जी में कुछ नया और विशालकाय करने का उत्साह भी है। जिस तरह पुराने स्थल को जमींदोज कर भव्य राम मंदिर बनाया जा रहा है, उसी तरह इंडिया को ध्वस्त कर न्यू इंडिया भी बनाया जा सकता है।
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
मोदी सरकार शुरू से ही राम मंदिर निर्माण और नए संसद भवन के निर्माण में अपनी ताकत झोंक चुकी थी। और, बाद में इस काम में देश की न्यायालयों ने भी सरकार का खूब साथ दिया। बहरहाल, अब इन दोनों महात्वाकांक्षी परियोजनाओं पर काम शुरू हो गया है, हाल में ही संसद भवन के निर्माण का कार्य टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को सौंपा गया है। इस बीच में हमारे प्रधानमंत्री अपने शासन को रामराज्य बता चुके हैं। ऐसे में जब नया संसद भवन बनाना ही है तो अच्छा रहता कि इसे भी अयोध्या में ही राम मंदिर के साथ बनाया जाता। इससे नई दिल्ली स्थित रायसीना हिल्स वाले इलाके का बोझ कम होता और दिल्ली की गन्दगी भी दूर होती। पूरे देश की जनता को भी अयोध्या में संसद से उठाती आवाज से रामराज्य का अहसास होता।
मोदी सरकार यदि अयोध्या में ही संसद भवन बना देती तो तथाकथित न्यू इंडिया को एक नई राजधानी भी मिल जाती, मोदी जी में कुछ नया और विशालकाय करने का उत्साह भी है। जिस तरह पुराने स्थल को जमींदोज कर भव्य राम मंदिर बनाया जा रहा है, उसी तरह इंडिया को ध्वस्त कर न्यू इंडिया भी बनाया जा सकता है। जिस जगह पर सरकार और हिन्दू संगठन राम जन्मभूमि बता रहे हैं, उसी स्थान पर पुरातत्व विभाग के अति-उत्साही अधिकारी कुछ पुराने खम्भे और अवशेष भी खोज चुके हैं। आश्चर्य यह है कि जब उस स्थान पर किसी पुराने भवन या मंदिर के भग्नावशेष मौजूद थे। जैसा लोग बताते हैं तो फिर उसे ही क्यों नहीं मंदिर बनाया गया। यदि, वहां पहले के कोई भवन का अवशेष बचा था, तो जाहिर है हिन्दू उसे बहुत पवित्र मानते और उसी को मंदिर के तौर पर स्वीकार कर लेते।
पर मंदिर तो नया बनाया जा रहा है, उस पवित्र जगह पर जेसीबी से प्रहार करने के बाद, वहां की मिट्टी और पुराने अवशेषों को जमींदोज करने के बाद। अब एक ऐसा मंदिर बनाया जा रहा है, जिसमें सबकुछ नया होगा। भव्य इतना होगा कि नक़्शे बनते-बनते ही दो-तीन बार पहले से अधिक भव्य बनाया जा चुका है। वास्तुकला भी उस दौर की नहीं होगी जिस दौर का बताकर मंदिर बनाया जा रहा है और ना ही उस निर्माण सामग्री का उपयोग किया जा रहा है जिसका उस दौर में उपयोग किया जाता था।
पुराना सबकुछ ध्वस्त कर जिस तरह अयोध्या में बिलकुल नया आधुनिक मंदिर राम.जन्मभूमि के नाम पर बनाया जा रहा है, ठीक उसी तरह इंडिया को पूरी तरह से ध्वस्त कर न्यू इंडिया बनाया जा रहा है। बीजेपी सरकार को सबकुछ न्यू चाहिए, तभी नए संसद भवन की जरूरत भी पड़ीं। आज के दौर में कोई भी ऐसी योजना नहीं है, जिससे पूरा देश प्रभावित होता हो और इस पर संसद में बहस की जाती हो। यदि बहस होती भी है, तब भी सरकार हरेक बिल को पास कर ही लेती है। किसानों से जुड़े तीन बिलों पर यही तो किया जा रहा है, पूरा विपक्ष, यहाँ तक की सरकार के अनेक घटक दल और देश का हरेक किसान इन बिलों का विरोध कर रहा है। पर आत्ममुग्ध सरकार इसे संसद में पास कर रही है। नोटबंदी जैसी अभूतपूर्व त्रासदी पर तो संसद में चर्चा भी नहीं की गई थी। सीएए के विरोध में भी विपक्ष था, पर नतीजा वही रहा जो सरकार चाहती थी। यदि ध्यान से देखें तो स्पष्ट है कि आज के दौर में संसद की उपयोगिता ही नगण्य रह गयी है, तमाम बिलों और चर्चा को दरकिनार कर भी दें तब भी आज के दौर में तो सरकार संसद में भी आंकड़े नहीं बताती है और विपक्ष को गुमराह करती है। आज का दौर भी रामराज्य जैसा राजसी दौर है, जिसमें राजा ही क़ानून होता है। राजा ने चीन के बारे में सभी विपक्षी दलों के नेताओं से कहा था कि मैं भरोसा दिलाना चाहता हूँ कि हमारी सीमा में न तो कोई घुसपैठ हुई और ना ही हमारी सीमा में कोई आया। इसके बाद रक्षा मंत्री ने बताया कि चीन ने कामारी हजारों वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्ज़ा किया हुआ है, इसके बाद भी राजा ने अपना वक्तव्य नहीं बदला।
जाहिर है, तथाकथित न्यू इंडिया में लोकतंत्र मर चुका है और शासक निरंकुश हो चुका है। पुरानी सारी मान्यताएं बदली जा रही हैं या बदली जा चुकी हैं। ऐसे में रामराज्य की परिभाषा भी बदल चुकी है। अब रामराज्य वैसा नहीं है जैसा राम का राज्य था, बल्कि अब वैसा है जैसा मोदी सरकार या योगी सरकार देश या राज्य चला रही है। आशंका है कि अमेरिका में ट्रम्प यदि चुनाव हार जाते हैं तब भी व्हाइट हाउस खाली नहीं करेंगे और तिकड़म लगाकर आजीवन राष्ट्रपति पद पर काबिज रहेंगे। यदि, ऐसा हुआ तो यकीन मानिए कि हमारा देश भी अपना अंतिम लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में देख चुका है और फिर संसद भवन एक खाली आलीशान इमारत के तौर पर इतिहास में दर्ज की जायेगी और सरकार इसे ही रामराज्य कहेगी।