कोविड 19 – भारत में मौत के सरकारी आंकड़े 5 लाख के पार | COVID 19 deaths crossed 5 lakh mark in India
COVID 19 deaths crossed 5 lakh mark in India | 4 फरवरी के दिन भारत में कोविड 19 से मरने वालों के सरकारी आंकड़े 5 लाख को पार कर गए| इस दिन तक मरने वालों की सरकारी संख्या 500087 तक पंहुच गयी और संक्रमितों की संख्या 4.19 करोड़ से अधिक पहुँच गयी |
महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट
COVID 19 deaths crossed 5 lakh mark in India | 4 फरवरी के दिन भारत में कोविड 19 से मरने वालों के सरकारी आंकड़े 5 लाख को पार कर गए| इस दिन तक मरने वालों की सरकारी संख्या 500087 तक पंहुच गयी और संक्रमितों की संख्या 4.19 करोड़ से अधिक पहुँच गयी| अब मरने वालों की संख्या में हमारा देश अमेरिका और ब्राज़ील के बाद तीसरे स्थान पर है, जबकि संक्रमितों की संख्या के सन्दर्भ में हम केवल अमेरिका से पीछे हैं| सरकारी आंकड़ों का जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि दुनियाभर के कोविड विशेषज्ञ भारत के आंकड़ों पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं और भारत में सरकारी तौर पर भी बहुत कुछ ऐसा होता है जिससे विभिन्न संख्याओं पर स्वतः प्रश्न उठने लगते हैं|
पूरी दुनिया ने देखा कि कोविड 19 की दूसरी लहर के दौरान हमारी स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह से चरमरा गईं थीं, जनता अपनों को बचाने के लिए ऑक्सीजन के लिए बदहवास भटक रही थी और लगभग पूरा देश और गंगा समेत अनेक नदियाँ बड़े श्मशान घाट और कब्रगाह में तब्दील हो गए थे| देश के प्रधानमंत्री ने उस दौर में इस विषय पर पूरी चुप्पी साध रखी थी, और डॉ भार्गव के नेतृत्व में आईसीएमआर दुनिया को आंकड़ों की बाजीगरी से गुमराह कर रहा था| उस दौर में बहुत सारी खबरों पर पाबंदियां लगाई गईं और अनेक पत्रकारों को सही आंकड़ों और रिपोर्टिंग के लिए प्रताड़ित किया गया| जब वह दौर चला गया तब सरकार ने बेशर्मी से ऐलान कर दिया कि ऑक्सीजन की कमी से देश में कोई नहीं मरा, नदियों में लाशें नहीं बहीं और स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में थी|
लगातार वेक्सिनेशन (Vaccination) के आंकड़े बता कर सरकार स्वयं ही अपनी पीठ थपथपाती रही| उस भयावह दौर में सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 2 लाख मौतें हुईं, जबकि दुनिया के अनेक विशेषज्ञ और एक अमेरिकी अनुसंधान समूह (US Research Group) ने दूसरे दौर के बाद ही बता दिया था कि मौत के आंकड़े 5 लाख पार कर चुके हैं| इन विशेषज्ञों के अनुसार दूसरे दौर में 3.4 से 4.7 लाख के बीच मौतें हुईं थीं| अपनी आदत से मजबूर सरकार अपने आंकड़ों पर अड़ी रही, पर जब सुप्रीम कोर्ट में कोविड 19 से होने वाली मौतों के सन्दर्भ में मृतक के परिवार को मुवावजा देने की सुनवाई के दौरान मृतकों की वास्तविक संख्या की बात उठी, तब उसके बाद केरल, बिहार, गुजरात और भी अनेक राज्य मृतकों की संख्या में लगातार संशोधन करते रहे|
पिछले महीने फिर से कोविड 19 से संक्रमण के मामले बढे पर सरकारी आंकड़ों के अनुसार मौतें कम होती रहीं और अब जब संक्रमितों की संख्या तेजी से कम हो रही है तब मौत के आंकड़े लगातार बढ़ाते जा रहे हैं| पिछले 24 घंटों के दौरान देश में 1072 मौतें कोविड 19 के कारण हुई हैं| दूसरी तरफ देश में टीकाकरण की रफ़्तार को लेकर सरकार रोज नए दावे करती है और प्रधानमंत्री अपने हरेक भाषण या चुनावी रैलियों में टीकाकरण दर को लेकर अपनी पीठ थपथपाते हैं| दूसरी तरफ देश में कोविड 19 के सेल्फ टेस्टिंग किट का कारोबार कई गुना बढ़ गया है|
2 फरवरी को लन्दन के प्रतिष्ठित समाचारपत्र "द गार्डियन" ने देश के फ्रंटलाइन कोविड 19 वर्केर्स के हवाले से एक समाचार प्रकाशित किया है, जिसका शीर्षक है – Indian Health Workers allege widespread Vaccine Certificate fraud| इसके अनुसार बहुत सारे स्वास्थ्यकर्मी, जो कोविड 19 से सम्बंधित काम कर रहे हैं, ने बताया है कि कोविड 19 के टीकाकरण दर को बढाने के लिए उनपर अप्रत्याशित दबाव डाला जाता है और नौकरी से बाहर करने की धमकी भी डी जाती है| इन स्वास्थ्यकर्मियों के अनुसार देश में एक बड़ी वयस्क आबादी है जिन्होंने टीके को दूसरी बार नहीं लिया है, पर उनके नाम पूरे टीकाकरण का सर्टिफिकेट जारी किया जा चुका है| सरकार बताती है कि टीके का रिकॉर्ड रखने वाला ऐप, कोविन, पूरी तरह से सुरक्षित है पर इन स्वास्थ्य कर्मियों के अनुसार इसमें फेरबदल करना बहुत आसान है|
पहले टीके के समय कोविन पर किसी भी व्यक्ति की सारी जानकारी डाली जाती है, जिसका उपयोग दूसरे टीके के समय किया जाता है और इसके बाद जिसे टीका दिया जाना है उसके मोबाइल पर एक कोड आता है जिसे दिखाकर ही दूसरा टीका दिया जाता है| पर, इन स्वास्थ्यकर्मियों के अनुसार इस कोड को बहुत आसानी से बाईपास कर दूसरे टीके का सर्टिफिकेट तैयार किया जा सकता है| सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश के 75 प्रतिशत वयस्क नागरिकों को टीके की दोनों डोज़ दी जा चुकी है, पर स्वास्थ्यकर्मी इसे पूरी तरह से गलत मानते हैं| इनके अनुसार देश के शहरी क्षेत्रों में टीके की वास्तविक संख्या सरकारी संख्या की तुलना में 20 से 35 प्रतिशत तक कम है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 40 से 60 प्रतिशत तक कम है| अनेक मामले ऐसे हैं जब लोगों ने स्वयं शिकायत की है कि उन्हें टीके की दूसरी डोज़ नहीं मिली है पर उनके पास कोविन का प्रधानमंत्री की फोटो वाला सर्टिफिकेट है| अनेक मामलों में तो मृतकों के नाम पर भी टीके लगाए गए हैं|
एक सत्तालोभी शासक अपनी अकड़ से और महान बनने की चाह के क्रम में केवल अपनी जनता का ही नरसंहार नहीं करता बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा बनता है – इसका उदाहरण इस समय सबके सामने है| जनवरी 2021 में वर्ल्ड इकनोमिक फोरम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने बड़े गर्व से दुनिया को अपने विजयी अभियान की जानकारी दी थी| उनके अनुसार, सब कहते थे भारत सबसे अधिक प्रभावित होगा, कोविड 19 की सुनामी आयेगी, कोई कहता था 60 से 70 करोड़ लोग प्रभावित होंगें कोई कहता था 20 लाख से ज्यादा लोग मरेंगें – पर हमने इस महामारी पर काबू करके दुनिया को बचा लिया| दूसरे देश की विफलताओं से भारत के हालात की तुलना नहीं करनी चाहिए, हम जीवट वाले हैं और हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता अलग है और हम पूरी दुनिया से अलग हैं| याद कीजिये, हिटलर भी नाजियों को पूरी दुनिया से अलग और श्रेष्ठ बताता था|