गर्मी की तुलना में सर्दी से मौतें अधिक होती हैं | Extreme cold is more deadly than extreme heat
Extreme cold is more deadly than extreme heat: हमारे देश में लू या फिर अत्यधिक गर्मी से होने वाली मौतें खबर बनती हैं, पर अत्यधिक सर्दी से मरने की खबरें नहीं आतीं| जब से तापमान बृद्धि पर चर्चा की जा रही है, इसके प्रभावों में सबसे पहले अत्यधिक गर्मी से मरने वालों की चर्चा की जाती है|
महेंद्र पाण्डेय की रिपोट
Extreme cold is more deadly than extreme heat: हमारे देश में लू या फिर अत्यधिक गर्मी से होने वाली मौतें खबर बनती हैं, पर अत्यधिक सर्दी से मरने की खबरें नहीं आतीं| जब से तापमान बृद्धि पर चर्चा की जा रही है, इसके प्रभावों में सबसे पहले अत्यधिक गर्मी से मरने वालों की चर्चा की जाती है| तापमान बृद्धि (global warming) के प्रभावों से लोगों को बचाने के लिए भी केवल गर्मी से बचाने की योजनायें बनती हैं| इन सब योजनाओं और आकलनों से परे, वर्ष 2015 से लगातार ऐसे अध्ययन प्रकाशित किये जा रहे हैं, जिनसे पता चलता है कि अत्यधिक गर्मी की तुलना में अत्यधिक सर्दी के कारण असामयिक मृत्यु कई गुना अधिक होती है|
सऊदी अरब स्थित किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में शोधार्थी, विजेंदर इंगोले (Vijendar Ingole, Research Scholar at King Abdullah University of Science & Technology) ने पुणे शहर में होने वाली मौतों का आकलन कर बताया है कि तापमान में अत्यधिक परिवर्तन के कारण पुणे में कुल 6.5 प्रतिशत मौतें होती हैं – इसमें अत्यधिक सर्दी के कारण 5.72 प्रतिशत मौतें और अत्यधिक गर्मी के कारण महज 0.84 प्रतिशत मौतें होती हैं| विजेंदर इंगोले ने इस अध्ययन के लिए पुणे शहर में जनवरी 2004 से दिसम्बर 2012 तक होने वाली दैनिक पंजीकृत मौतों और तापमान का विश्लेषण किया| हमारे देश में यह इस तरह का पहला अध्ययन है|
विजेंदर इंगोले के अनुसार पुणे शहर के तापमान में अत्यधिक परिवर्तन से होने वाली मौतों का यदि पूरी भारत की आबादी पर विस्तार किया जाए, तब कहा जा सकता है कि देश में इस तरह से होने वाली मौतों का आंकड़ा 7.3 प्रतिशत है – इसमें से 6.83 प्रतिशत मौतें अत्यधिक सर्दी के कारण और 0.49 प्रतिशत मौतें अत्यधिक गर्मी के कारण होती हैं| इस अध्ययन के अनुसार तापमान में अत्यधिक परिवर्तन के कारण महिलाओं की तुलना में पुरुषों की मृत्यु अधिक होती है - तापमान में अत्यधिक बदलाव से पुरुषों में 7.37 प्रतिशत और महिलाओं में महज 5.72 प्रतिशत मृत्यु होती है|
पिछले दशक से वैज्ञानिक लगातार आगाह कर रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन और तापमान बृद्धि के कारण तापमान में अत्यधिक बदलाव देखने को मिलेगा और इस कारण इससे सम्बंधित मौत के आंकड़े बढ़ेंगे| ऐसे अध्ययनों का निष्कर्ष यही निकाला जाता है कि पृत्वी गर्म हो रही है इसलिए अत्यधिक गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ेगी| पर, वर्ष 2015 के बाद से ऐसे अनेक अध्ययन प्रकाशित किये जा चुके हैं, जो स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि अत्यधिक सर्दी के कारण होने वाली मौतों के आंकड़े बढ़ाते जा रहे हैं|
मई 2015 में मेडिकल जर्नल लांसेट (The Lancet) में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार अत्यधिक गर्मी की तुलना में अत्यधिक सर्दी से होने वाली मौतों के आंकड़े 20 गुना अधिक होते हैं| यह अध्ययन लन्दन स्कूल ऑफ़ हाईजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के वैज्ञानिक डॉ अंतोनियो गस्पर्रिनी (Dr Antonio Gasparrini of London School of Hygiene & Tropical Medicine) के नेतृत्व में किया गया था और इसके लिए 13 देशों में वर्ष 1985 से वर्ष 2012 के बीच होने वाली 7.4 करोड़ मौतों का विस्तृत अध्ययन किया गया था| इस अध्ययन के अनुसार विश्व में होने वाली कुल मौतों में से 7.71 प्रतिशत मौतें तापमान में अत्यधिक बदलाव के कारण होती हैं – इसमें 7.29 प्रतिशत मौतें अत्यधिक सर्दी के कारण और महज 0.42 प्रतिशत मौतें अत्यधिक गर्मी के कारण होती हैं|
लांसेट प्लेनेटरी हेल्थ (The Lancet Planetary Health) नामक जर्नल के जुलाई 2021 अंक में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार दुनियाभर में प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख अतिरिक्त मौत केवल तापमान संबंधी कारणों से होती है| हालां कि दुनियाभर में अत्यधिक गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या हरेक क्षेत्र में बढ़ रहे है, पर अत्यधिक सर्दी के कारण अधिक मौत होती है| इस अध्ययन को 43 देशों से वर्ष 2000 से 2019 के दौरान के प्राप्त आंकड़ों के आधार पर किया गया है| इस दौरान पृथ्वी का तापमान औसतन 0.26 डिग्री सेल्सियस प्रति वर्ष दशक बढ़ा और दुनिया में होने वाली कुल मौतों में से 9.43 प्रतिशत का कारण तापमान था| हरेक एक लाख आबादी में से 74 अतिरिक्त मृत्यु तापमान में बदलाव के कारण होती है, इसमें से अधिकतर का कारण अत्यधिक सर्दी है| इस पूरी अवधि के दौरान अत्यधिक सर्दी से होने वाली मौतों में 0.51 प्रतिशत की बृद्धि हुई जबकि अत्यधिक गर्मी के लिए यह आंकड़ा 0.21 प्रतिशत है| तापमान के कारण होने वाली आधी मौतें एशिया, विशेष तौर पर पूर्वी और दक्षिणी एशिया, में होती हैं| अत्यधिक गर्मी के कारण प्रति लाख आबादी में होने वाली मौतों के सन्दर्भ में यूरोप सबसे आगे है, जबकि अत्यधिक सर्दी से होने वाली मौतों के मामले में सहारा रेगिस्तान के दायरे में फैले अफ्रीकी देश हैं| इस अध्ययन को ऑस्ट्रेलिया स्थित मोनाश यूनिवर्सिटी (Monash University) के वैज्ञानिकों ने किया है|
लांसेट के अगस्त 2021 अंक में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार दुनिया में वर्ष 2019 के दौरान लगभग 17 लाख मौतें केवल तापमान सम्बंधित कारणों से हुईं - अत्यधिक गर्मी की तुलना में अत्यधिक सर्दी से होने वाली मौतों की संख्या अधिक है| ऐसे कारणों से दुनिया के सन्दर्भ में प्रति एक लाख आबादी पर 7.98 से 35.1 के बीच मृत्यु आंकी गयी है| इस अध्ययन को यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन के वैज्ञानिक कैट्रिन जी बुर्कार्ट (Katrin G Burkart of University of Washington) के नेतृत्व में किया गया है|
भारत समेत अन्य जगहों पर किये गए अध्ययनों से इतना तो स्पष्ट है कि अत्यधिक सर्दी के कारण दुनिया में अत्यधिक मौतें हो रही हैं, पर दुनियाभर की सरकारें अत्यधिक गर्मी से लोगों को बचाकर तापमान बृद्धि का मुकाबला करने में जुटी है|