Gun Culture In Punjab: अमेरिका से लेकर पंजाब तक में क्यों बढ़ रहा है गन कल्चर और इसका खूनी खेल? ये है इतिहास

Gun Culture In Punjab: भारत में गन कल्चर एक बार फिर से चर्चा में है। ये चर्चा पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या को लेकर है। इसकी वजह है पंजाबी गानों में गन कल्चर का तड़का होना। गले में सोने की मोटी चेन।

Update: 2022-06-04 15:45 GMT

Gun Culture In Punjab: अमेरिका से लेकर पंजाब तक में क्यों बढ़ रहा है गन कल्चर और इसका खूनी खेल? ये है इतिहास

मोना सिंह की रिपोर्ट

Gun Culture In Punjab: भारत में गन कल्चर एक बार फिर से चर्चा में है। ये चर्चा पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या को लेकर है। इसकी वजह है पंजाबी गानों में गन कल्चर का तड़का होना। गले में सोने की मोटी चेन। हाथ में बंदूक। महंगी लग्जरी गाड़ियां। ऐसी तड़क-भड़क में खासकर युवा इसी कल्चर को अपना रहे हैं। यही वजह है कि पंजाब में गन कल्चर तेजी से बढ़ा है। और पंजाब के युवाओं में गैंगस्टर कल्चर भी उसी तेजी से बढ़ा है। एक रिपोर्ट बताती है कि पंजाब में 70 से ज्यादा एक्टिव गैंग्स हैं। 500 से ज्यादा गैंगस्टर सक्रिय हैं। एक दर्जन से ज्यादा गैंग लीडर जेल में हैं लेकिन वो वहीं से अपना नेटवर्क चला रहे हैं। बढ़ते गन कल्चर का प्रभाव अभी अमेरिका में भी देखने को मिला। हाल में एक लड़के ने स्कूल में ताबड़तोड़ हमले किए। तो भारत की राजधानी दिल्ली में 24 फरवरी साल 2020 की वो तस्वीर तो अभी जेहन में ताजा होगी। जिसमें दिल्ली दंगे में जाफराबाद में एक युवक शाहरुख हाथ में पिस्टल ताने था और सामने एक पुलिसकर्मी खड़ा था। ये फोटो खूब वायरल हुई थी। ये तो सिर्फ एक बानगी है। पंजाब में सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें अक्सर देखी जा सकती हैं। आखिर क्यों बढ़ा पंजाब में गन कल्चर, जानिए इस रिपोर्ट में...

पंजाब में सिद्दू मूसेवाला की हत्या और गन कल्चर

पंजाब भारत के खाद्यान्न के अच्छे उत्पादक राज्य के रूप में जाना जाता है। लेकिन कुछ समय से यहां गैंगस्टर और गन कल्चर को भी काफी बढ़ावा मिला है। हाल ही में पंजाबी सिंगर सिद्दू मूसेवाला की हत्या के बाद पंजाब में गन कल्चर पर सवाल उठ रहे हैं। सिद्धू मूसेवाला की हत्या के पीछे गैंगवार और गन कल्चर ही है। सिद्दू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई और कनाडा के गोल्डी बरार ने ली है। लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने यह बात कबूली है कि उन्होंने सिद्दू मूसेवाला की हत्या बिश्नोई गैंग के करीबी विक्की मिद्दूखेड़ा उर्फ विक्रम सिंह की हत्या का बदला लेने के लिए की है। विक्की मिद्दुखेड़ा यूथ अकाली दल के नेता थे। इनकी हत्या पिछले साल 8 अगस्त 2021 को मोहाली में की गई थी।

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हत्या के पीछे सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर शगनप्रीत सिंह का हाथ था। फिलहाल सोशल मीडिया पर दविंदर बंबीहा ग्रुप ने सिद्दू मूसेवाला की हत्या का बदला लेने की बात कही है। पंजाब में पिछले कुछ समय में ही गैंगवार और बदले की भावना में 8 से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं। पंजाब में 70 से ज्यादा एक्टिव गैंग हैं. 500 से ज्यादा सक्रिय गैंगस्टर हैं. जिनमें से एक दर्जन गैंग ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर भी एक्टिव हैं। ऐसे में इनके सनसनीखेज बयानों से प्रभावित होकर काफी संख्या में युवा वर्ग खास तौर पर कॉलेज का युवा छात्र वर्ग इन्हें फॉलो करने लगे हैं। इसके अलावा कुछ गैंग्स का हस्तक्षेप छात्र राजनीति में भी बढ़ा है। जिससे हिंसा की घटनाएं और युवाओं में हिंसक प्रवृत्ति और गन कल्चर को बढ़ावा मिला है।

पंजाब में बढ़ता गन कल्चर

देश की कुल आबादी का केवल 2% हिस्सा ही पंजाब में रहता है। जबकि देश की 10 प्रतिशत लाइसेंसी बंदूके पंजाब में हैं। गृह मंत्रालय के जनवरी 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में प्रति 1000 व्यक्तियों पर 13 लाइसेंसी बंदूक हैं। पंजाब में 3,90,275 लाइसेंसी फायर आर्म्स हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में पिछले 5 सालों में 350 से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं। सिर्फ 2021 में ही 724 हत्याएं हुई थीं। 2020 में 830 गैर कानूनी हथियार जब्त किए गए थे।

पंजाबी सिंगर बढ़ावा दे रहे हैं गन कल्चर को

सिद्धू मूसेवाला के अलावा कई पंजाबी सिंगर अपने एल्बम में महंगे कपड़ों, मोटी सोने की चेन, महंगी घड़ियों और बंदूकों के साथ नजर आते हैं। 2019 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सिंगर्स को गन कल्चर को बढ़ावा देने के लिए फटकार भी लगाई थी। सिद्दू मूसेवाला के एल्बम और वीडियो ज्यादातर गन कल्चर से ही संबंधित होते थे। कोरोना काल के दौरान सिद्दू मूसेवाला की एके-47 के साथ कई तस्वीरें वायरल हुई थीं।

उन पर पंजाब पुलिस ने 2020 में गन कल्चर को बढ़ावा देने के लिए आर्म्स एक्ट के तहत मामला भी दर्ज किया था। यह कार्रवाई उनके गाने "पंज गोलियां" के लिए की गई थी। सिद्धू मूसेवाला किसान आंदोलन के भी समर्थक थे। जुलाई 2020 में उनका संजय दत्त पर आधारित गाना "संजू" भी विवादों के घेरे में था। सोशल मीडिया पर उनका फायरिंग रेंज पर शूटिंग करते हुए वीडियो भी वायरल हुआ था।

अमेरिका में भी गन कल्चर से बढ़ रहा है खूनी खेल

कहते हैं हथियार हाथ में हो तो वो जान लेता ही है। मतलब, ये हथियार भले ही खुद को सुरक्षित रखने के लिए लेने का दावा किया जाए। मगर इन हथियारों की फितरत खून से लिखी होती है। और फिर ये हथियार चाहे जहां भी रहे अपनी खुराक तो खून का ही लेता है। हाल में हथियारों को खेल समझने वाला देश अमेरिका इसी गन कल्चर की वजह से दहल उठा। यानी गन कल्चर ने कैसे अमेरिका को खून के आंसू रुलाया उसे भी समझते हैं।

ऐसे शुरू हुआ अमेरिका में गन कल्चर

अमेरिका में गन कल्चर की शुरुआत ब्रिटिश साम्राज्य के समय से हुई थी। उस समय आम लोगों के सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार नहीं उठाती थी। इसलिए अमेरिकी लोगों को अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा खुद करनी पड़ती थी। अमेरिका की आजादी के बाद भी लोगों को फायर आर्म्स रखने की अनुमति दे दी गई थी। 1791 में अमेरिका के संविधान में दूसरे संशोधन के समय अमेरिकी लोगों को फायर आर्म्स रखने के मूल अधिकार प्रदान कर दिए गए थे। अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन के मुताबिक, अमेरिकी नागरिकों को आत्मरक्षा और सरकार के उत्पीड़न से बचने के लिए बंदूक जरूरी है। जॉर्ज वॉशिंगटन ने यह भी कहा था कि अगर सरकार आप पर अत्याचार करें तो आप बंदूक उठा लें और लोकतंत्र की रक्षा करें। अमेरिका में गन खरीदने के लिए केवल तीन शर्ते हैं।

खरीददार की उम्र 21 साल या ज्यादा होनी चाहिए। उसकी कोई क्रिमिनल हिस्ट्री नहीं होनी चाहिए। और वह मानसिक रोगों से ग्रसित नहीं होना चाहिए। इन सब वजहों से अमेरिका में बंदूक खरीदना सामान्य खरीदारी जितना आसान है। ठीक वैसे ही जैसे भारत में हम आसानी से मार्केट जाकर कोई कपड़े या दूसरे सामान खरीद लेते हैं। कोई भी गन स्टोर जाकर बंदूक खरीद सकता है। लेकिन यही गन कल्चर अब दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिका के लिए खतरा बनता जा रहा है। स्मॉल आर्म्स सर्वे स्विट्जरलैंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में हर 100 लोगों पर 121 बंदूकें हैं। अमेरिकी आर्मी से ज्यादा हथियार आम लोगों के पास हैं। इसकी वजह से अमेरिका में हर साल हजारों लोग अपनी जान गवां रहे हैं।

गन कल्चर के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है भारत

जब बात हथियारों की आती है तो सबसे ज्यादा फायर आर्म्स यानी रिवाल्वर और बंदूक रखने वाले देशों में अमेरिका का नाम सबसे पहले आता है। फायर आर्म्स पर रिसर्च करने वाली वेबसाइट गन पॉलिसी.कॉम के एक सर्वे के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा फायरआर्म्स रखने वाले देशों में पहला नंबर अमेरिका का है। जबकि दूसरे स्थान पर भारत, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर चीन, जर्मनी और फ्रांस हैं। दुनिया में केवल 4 देश ऐसे हैं जहां हथियार रखना नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। ये देश हैं अमेरिका, मेक्सिको, हैती और ग्वाटेमाला। भारत में कानूनी और गैर कानूनी फायर आर्म्स की संख्या लगभग चार करोड़ है। एक सर्वे के मुताबिक, भारत के पास केवल 35 लाख बंदूक के लाइसेंस हैं। अगर हम लाइसेंस वाली बंदूक रखने वाले प्रदेशों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में 13लाख, जम्मू कश्मीर में 3.7 लाख लोगों के पास बंदूक और पिस्तौल रखने के लाइसेंस हैं। पंजाब के पास 3.6 लाख सक्रिय बंदूकों के लाइसेंस हैं। जिनमें से ज्यादातर 80 से 90 के दशक के बीच जारी किए गए थे। सरकार ने जनवरी 2022 में बंदूक पिस्टल और गोला बारूद के उत्पादन को बढ़ाने की अनुमति दी है। इसका मुख्य कारण देश के 35 लाख निजी बंदूक धारकों की मांगों को पूरा करना है।

हिंसा के मामले में अमेरिका से पीछे है भारत

भारत में बंदूक रिवाल्वर की बढ़ रही संख्या यहां गन कल्चर को बढ़ावा दे रही है। आत्मरक्षा के लिए देश में बंदूक और रिवाल्वर के लाइसेंस दिए जाते हैं। जबकि हमारे देश में ज्यादातर हत्याएं गैर लाइसेंसी हथियारों से होती हैं। अगर फायर आर्म्स से हुई हत्याओं की बात करें तो भारत के नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2010 में 3064 हत्याएं फायर आर्म्स से हुईं थीं। इनमें से केवल 340 मामलों में हत्याएं लाइसेंसी फायर आर्म्स से हुई थी। जबकि 2723 हत्याएं गैरकानूनी फायर आर्म्स से की गईं थीं। बीते दिनों लॉस एंजिल्स टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 14% मामलों में हत्याएं फायर आर्म्स हुई थी। बाकी की हत्या के लिए दूसरे हथियार चाकू, कुल्हाड़ी इस्तेमाल में लाए गए थे। वहीं, अमेरिका में 2009 में कुल हत्या 12,286 हुईं थीं। और इनमें से 75% यानी कि 9146 हत्या के मामलों में बंदूक या रिवॉल्वर इस्तेमाल में लाए गए थे।

भारत में प्रति लाख लोगों में केवल 2.78 लोगों की हत्या होती है। जबकि अमेरिका में प्रति लाख लोगों में 4.96 हत्याएं होती हैं। इससे ये स्पष्ट है कि फायर आर्म्स रखने के मामले में भारत अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर जरूर आता है, लेकिन अमेरिका की तुलना में भारत कम हिंसक देश है।

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