विकसित भारत के नारे में डूबता मानव विकास, मेनस्ट्रीम मीडिया बन चुका सत्ता का दलाल और पूंजीपतियों का है बोलबाला

मोदी सरकार में आर्थिक असमानता अपने चरम पर है। इस दौर में कतार का सबसे अंतिम आदमी सबसे गरीब नहीं बल्कि अडानी-अम्बानी हैं। इस सरकार ने बार-बार स्पष्ट किया है कि केवल पूंजीपति और राजनीतिक दल ही आर्थिक तौर पर विकास कर रहे हैं, समृद्ध हो रहे हैं.....

Update: 2024-03-20 17:00 GMT

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Despite tall claims of VIKASIT BHARAT and fifth largest economy in the world, India is one of the worst countries in respect of human development : गलियों पर, चौराहों पर, सड़कों पर, खम्भों पर – हरेक जगह मोदी जी की गारंटियों के पोस्टर आड़े-तिरछे लटके नजर आते हैं और हरेक पोस्टर पर मोदी जी की मुस्कराती तस्वीर के साथ लिखा है – हमारा संकल्प, विकसित भारत। मोदी जी के भाषणों से जितना विकसित भारत नजर आता है, वह है – बड़ी अर्थव्यवस्था, इतिहास के तोड़े-मोड़े गए तथ्य और कांग्रेस पर अनर्गल प्रलाप।

हरेक भाषण से आम आदमी गायब रहता है, सामाजिक विकास गायब रहता है। टीवी पर समाचार चैनलों में 5 खरब वाली अर्थव्यवस्था, पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर चर्चाएँ चल रही हैं और एंकर से लेकर हरेक पैनालिस्ट मोदी जी के अंतिम आदमी तक पहुचने की जिद का आकलन कर रहा है। कुल मिलाकर हालत यह है कि सत्ता और मीडिया यह बताने पर तुला है कि देश में कहीं कोई समस्या नहीं है, कोई बेरोजगार नहीं है और अब तो समाज गरीब शब्द भी भूल गया है।

इन सबके बीच हाल में ही संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने मानव विकास इंडेक्स 2023-2024 प्रकाशित किया है, जिसमें मानव विकास के सन्दर्भ में कुल 193 देशों में हमारा तथाकथित विश्वगुरु देश 134वें स्थान पर है। केवल यही नहीं, बल्कि रिपोर्ट के अनुसार मानव विकास के सन्दर्भ में मनमोहन सिंह सरकार के समय मोदी सरकार की तुलना में तेजी से तरक्की हुई थी।

मानव विकास इंडेक्स में वर्ष 2000 में भारत के 0.4 अंक थे, वर्ष 2015 में 0.619 अंक और वर्ष 2022 में यह बढ़कर 0.644 अंक तक पहुँच गया। वर्ष 2000 से 2010 के बीच अधिकतर समय मनमोहन सिंह की सरकार रही, इस दौरान मानव विकास अंक में प्रति वर्ष औसतन 1.56 अंकों की वृद्धि होती रही। वर्ष 2010 से 2022 के बीच अधिकतर समय नरेंद्र मोदी की सरकार रही है और इस बीच मानव विकास अंकों की वृद्धि घटकर 0.99 अंक प्रतिवर्ष रह गई।

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मोदी जी की सरकार की तुलना में मानव विकास दर में वृद्धि तब भी थी, जब नरसिम्हा राव, अटल बिहारी बाजपेई, देवेगौडा, इंद्रा कुमार गुजराल की सरकार 1990 से 2000 के बीच रही – इस दौरान अंकों में वृद्धि की दर 1.22 प्रति वर्ष रही थी। इन अंकों से जाहिर है कि वर्ष 1990 के बाद से जितनी भी सरकारें केंद्र में रहीं, उन सबमें मानव विकास या सामाजिक विकास का सबसे बुरा दौर मोदी जी की सरकार के दौर में रहा है।

मानव विकास इंडेक्स 2023-2024 के अनुसार मानव विकास के सन्दर्भ में सबसे आगे के देश हैं – स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, होन्गकोंग, डेनमार्क, स्वीडन, जर्मनी, आयरलैंड, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड। कुल 193 देशों की सूचि में मानव विकास के सन्दर्भ में अंतिम स्थान पर सोमालिया है, इससे ठीक पहले के देश हैं – साउथ सूडान, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, नाइजर, चाड, माली, बुरुंडी, यमन, बुर्किना फासो और सिएरा लियॉन। सबसे अंतिम स्थान पर स्थित सोमालिया के मानव विकास इंडेक्स में 0.380 अंक हैं, जबकि पहले स्थान पर स्विट्ज़रलैंड के 0.967 अंक हैं।

इंडेक्स में 0.967 अंक से 0.801 अंक तक के देशों को सर्वश्रेष्ठ मानव विकास की श्रेणी में रखा गया है और भारत को छोड़कर सभी प्रजातांत्रिक बड़ी अर्थव्यवस्था इसी श्रेणी में है। यूनाइटेड अरब अमीरात, क़तर, सऊदी अरबिया और बेलारूस जैसे मानवाधिकार कुचलने वाली निरंकुश सत्ता वाले देश भी इसी श्रेणी में हैं। यूनाइटेड किंगडम 15वें, यूएई 17वें, कनाडा 18वें, अमेरिका 20वें, जापान 24वें, इजराइल 25वें, फ्रांस 28वें, क़तर 40वें, सऊदी अरब 41वें, और बेलारूस 69वें स्थान पर है।

इंडेक्स में 0.799 से 0.700 अंकों के बीच वाले देश उत्तम मानव विकास वाले देश हैं। इस श्रेणी में चीन 75वें स्थान पर, ईरान 78वें, श्रीलंका 79वें, यूक्रेन 100वें, साउथ अफ्रीका 110वें, फिलिस्तीन 111वें स्थान पर है। जाहिर है, मानवाधिकार हनन के सन्दर्भ में अग्रणी चीन और ईरान के साथ ही अराजकता से त्रस्त फिलिस्तीन भी मानव विकास के सन्दर्भ में तथाकथित विश्वगुरु भारत से बहुत आगे है। भारत मध्यम मानव विकास के श्रेणी में है, जिसकी सीमा 0.699 से 0.550 अंकों के बीच है। इस श्रेणी में भूटान 125वें स्थान पर, इराक 128वें, बंगलादेश 129वें, भारत 134वें, म्यांमार 144वें और नेपाल 146वें स्थान पर है।

इंडेक्स में 0.548 से 0.380 अंकों के बीच के देश सबसे नीचे, न्यूनतम मानव विकास की श्रेणी में हैं। इसमें 160वें स्थान पर नाइजीरिया, 164वें स्थान पर पाकिस्तान, 170वें पर सूडान, 182वें पर अफ़ग़ानिस्तान, 186वें स्थान पर यमन और 193वें स्थान पर सोमालिया है।

मानव विकास इंडेक्स 2023-2024 के अनुसार मानव विकास के सन्दर्भ में भारत वैश्विक औसत और विकासशील देशों के औसत के साथ ही कुछ मामलों में दक्षिण एशिया के औसत भी पीछे है। मानव विकास अंकों के सन्दर्भ में वैश्विक औसत और विकासशील देशों का औसत क्रम से 0.739 और 0.694 है, जबकि भारत के अंक 0.644 हैं। जन्म के समय अनुमानित आयु का वैश्विक औसत, विकासशील देशों का औसत और दक्षिण एशियाई देशों की औसत आयु क्रम से 72 वर्ष, 70.5 वर्ष और 68.4 वर्ष है, जबकि भारत में यह आयु 67.7 वर्ष ही है।

21 वर्ष की आयु तक वैश्विक स्तर पर शिक्षा में औसत आबादी 8.7 वर्ष व्यतीत करती है, विकासशील देशों में यह अवधि 7.6 वर्ष है, जबकि भारत में महज 6.6 वर्ष है। प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आमदनी वैश्विक स्तर पर औसतन 17254 डॉलर है, विकासशील देशों का औसत 11125 डॉलर है, दक्षिण एशिया में 6972 डॉलर है, पर भारत में यह आंकड़ा महज 6951 डॉलर है।

देश के अर्थव्यवस्था की बढ़ती दर और मानव या सामाजिक विकास में पिछड़ते हम से इतना तो स्पष्ट है कि मोदी सरकार में आर्थिक असमानता अपने चरम पर है। इस दौर में कतार का सबसे अंतिम आदमी सबसे गरीब नहीं बल्कि अडानी-अम्बानी हैं। इस सरकार ने बार-बार स्पष्ट किया है कि केवल पूंजीपति और राजनीतिक दल ही आर्थिक तौर पर विकास कर रहे हैं, समृद्ध हो रहे हैं। मनोवैज्ञानिक जानते हैं कि झूठ तेजी से फैलता है, आज के दौर में देश में यह स्पष्ट तौर पर दिख रहा है। इलेक्टोरल बांड के खुलासे के बाद भी इस देश की जनता मोदी जी से अपने सुनहरे भविष्य की आस लगाये बैठी है। जिस देश की मेनस्ट्रीम मीडिया सत्ता की दलाल हो जाए, उस देश के हश्र पर भारत से बेहतर अध्ययन कहीं नहीं हो सकता है।

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