अपने कार्यक्रम का वीडियो भी प्रधानमंत्री ही बना कर देंगे तो गोदी मीडिया क्या करेगा
इतने बड़े देश का प्रधानमंत्री यह सोच कर जागे कि आज क्या ट्विट करना है तो आपकी नियति वाक़ई उस झोले पर टिकी है जिसमें ग़रीब होने पर मुफ़्त अनाज मिलने वाला है। तिस पर से दुनिया भर में प्रचार किया जाएगा कि प्रधानमंत्री कितना काम करते है...
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की टिप्पणी
जनज्वार। पिताजी के पूछने पर कि शाम को देर से क्यों लौटे, कहां थे तो बेटों के पास जवाब तैयार रहता है। पिताजी, ट्यूशन के बाद हम लोग अमित के घर पर ग्रुप स्टडी करने लगे थे। वही हाल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। दुनिया खोज रही है कि भारत के प्रधानमंत्री अफगानिस्तान संकट पर क्या कह रहे हैं, अर्थव्यवस्था तबाह है उस पर क्या कहेंगे लेकिन प्रधानमंत्री माइक लगाकर पचास खिलाड़ियों के दल से मिल रहे हैं ताकि वीडियो बन सके और दुनिया को दिखा सके कि वे ट्यूशन से लौट कर ग्रुप स्टडी कर रहे थे। आप इस वीडियो में देखिए। कितने कैमरे लगाए गए हैं।
जब से देश में बेरोज़गारी और महंगाई बढ़ी है, प्रधानमंत्री खेल की ख़बरों पर शिफ्ट हो गए हैं। वे खेल के पन्नों पर ज़्यादा नज़र आते हैं। आप इसमें ग़लती भी नहीं निकाल सकते कि ओलिंपिक खिलाड़ियों से मिल रहे हैं। अपना वादा पूरा कर रहे हैं लेकिन आप देखिए कि उनकी व्यस्तता किन चीज़ों में हैं।
इतने बड़े देश का प्रधानमंत्री यह सोच कर जागे कि आज क्या ट्विट करना है तो आपकी नियति वाक़ई उस झोले पर टिकी है जिसमें ग़रीब होने पर मुफ़्त अनाज मिलने वाला है। तिस पर से दुनिया भर में प्रचार किया जाएगा कि प्रधानमंत्री कितना काम करते है। ऐसा लगता है कि अपने प्रचार के बारे में दिन रात सोचना ही उनका मुख्य काम होकर रह गया है।
इस वीडियो में आप एक अति व्यस्त और बिना छुट्टी के दिन- रात काम करने वाले भारत के प्रधानमंत्री को काम करते हुए देख रहे हैं। जब काम ही छुट्टी का बहाना बन जाए तो छुट्टी की ज़रूरत ही क्या है। जब प्रधानमंत्री फ़ाइलों को पढ़ते होंगे को इनके अफ़सर भी हैरान होते होंगे कि यहाँ कैसे माइक लगाकर वीडियो नहीं बना रहे हैं। इसका वीडियो कब बनेगा। वैसे इसका भी वीडियो आ जाएगा कि प्रधानमंत्री अफ़सरों के साथ कड़े निर्णय ले रहे हैं जिसका रिज़ल्ट सड़क पर ज़ीरो है। जनता बेरोज़गारी और महंगाई से त्रस्त है।
इस तरह का काम आज कल के विधायक करने लगे हैं। हर चीज़ का वीडियो बना कर इंस्टा पर डालने लगे हैं। विपक्ष के नेता भी वीडियो बनाने लगे हैं। राहुल गांधी भी वीडियो बनवाने लगे हैं। उनका समझ आता है क्योंकि मीडिया तो कवर करेगा नहीं और वीडियो बनाने के बाद भी कोई कवर नहीं करता। लेकिन जिस प्रधानमंत्री का इवेंट हर कोई कवर करता है और करना ही पड़ता है, उन्हें भी अब वीडियो बनाना पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि जब प्रधानमंत्री खुद वीडियो बना कर देंगे तो जो खबर चल चुकी है वह फिर से चलेगी।
ओलिंपिक खिलाड़ी से मिलने की खबर चल चुकी थी। छप चुकी है। इतने कैमरे लगे हैं तो ज़ाहिर है दिखाया भी होगा। अब आज ये वीडियो फिर से चलेगा। ज़ाहिर है, जिस वीडियो को ख़ुद प्रधानमंत्री ने ट्विट कर जारी किया हो उसे कौन नहीं चलाएगा। इस तरह आज बाक़ी मुद्दे पीछे रह जाएँगे। यह वीडियो चलने भी लगा होगा। इस पूरी प्रक्रिया में अब सीधे सीधे प्रधानमंत्री तय करेंगे कि उनके इवेंट को कैसे चलाया जाए।
अब कोई इस वीडियो को संपादित भी नहीं कर सकेगा। ईडी के छापे के डर से। पूरा का पूरा चलेगा।सरकार पहले डिबेट का थीम प्रदान कर कंटेंट दे रही थी अब सीधे वीडियो बना कर देगी। इस तरह से भारत के प्रधानमंत्री अब चैनलों के लिए कंटेंट एडिटर भी बन गए हैं। भारत के नए 'कंटेंट प्रधानमंत्री' का स्वागत हो।
भारत के समस्त मीडिया को ध्वस्त कर, गोदी मीडिया बनाने के बाद भी अगर प्रधानमंत्री को अपना वीडियो खुद बनाना पड़े तो भारत सरकार को गोदी मीडिया को विज्ञापन तुरंत बंद कर देना चाहिए। या नहीं तो गोदी मीडिया को अपने स्टाफ कम कर देने चाहिए ताकि उनका मुनाफा और बढ़ सके। जब प्रधानमंत्री के यहां से ही वीडियो बन कर आ जाएगा तो फिर चैनलों में रिपोर्टर, कैमरापर्सन, वीडियो एडिटर क्या करेंगे।