जैसे डाकू जय भवानी कहकर लूटते थे, संघी गिरोह धमकाता है जय श्री राम कहकर

संघी गिरोह के लिए 'जय श्री राम' का नारा विरोधियों को आतंकित और अपमानित करने का साधन मात्र है, इसके जरिये वे भगवान राम के प्रति आदर व्यक्त करने की जगह अपने विरोधियों के प्रति नफरत का इजहार करते हैं...

Update: 2021-01-24 06:40 GMT

आरएसएस और भाजपा को शिक्षा, स्वास्थ्य और जनसुविधाओं का राष्ट्रीयकरण और दलित-पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण नहीं आता पसंद (file photo)

वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण

जनज्वार। भारतीय जनमानस में जो राम बसे हुए हैं वे प्रेम,करुणा,दया,सद्भाव और भाईचारे का संदेश देते हैं। 'जय सियाराम' का जो परंपरागत नारा है उसमें भी यही भाव है। गांधीजी के भजन की पंक्तियां हैं, 'रघुपति राघव राजा राम,पतित पावन सीताराम।'

भारत में हिटलर-मुसोलिनी को आदर्श मानकर घृणा पर आधारित एक बर्बर समाज की स्थापना करने में जी-जान से जुटा हुआ संघी गिरोह ऐसे प्रेममय राम को कैसे पचा सकता है। उसने जय सियाराम के नारे को बदल कर जय श्री राम बना दिया है, जिसका उपयोग वह मुसलमानों पर हमला करने, दंगा फैलाने और विरोधियों का तिरस्कार करने के लिए करता है।

जिस तरह चंबल के डाकू डाका डालते वक़्त जय भवानी का नारा लगाते थे, उसी तरह संघी गिरोह ने राम के नाम को हिंसक नारे मेँ तब्दील कर दिया है। उसने इस नारे से सीता को गायब कर दिया है, चूंकि संघी गिरोह नारी को बराबरी का अधिकार देने में बिलकुल विश्वास नहीं करता। इसी हिंसक नारे का इस्तेमाल शनिवार को ममता बनर्जी को अपमानित करने के लिए किया गया।

कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में शनिवार शाम को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'जय श्री राम' की नारेबाजी को सुनने के बाद भीड़ पर गुस्सा निकाला। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "मुझे लगता है कि सरकार के कार्यक्रम में गरिमा होनी चाहिए। यह राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। किसी को आमंत्रित करने के बाद अपमान करना आपको शोभा नहीं देता है। विरोध के रूप में, मैं कुछ भी नहीं बोलूंगी।" उन्होने सिर्फ 'जय हिंद, जय बांग्ला' कहा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बगल में अपनी सीट पर बैठ गईं। हालांकि, उन्होंने कोलकाता में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पीएम मोदी और संस्कृति मंत्रालय को धन्यवाद दिया।

विक्टोरिया मेमोरियल इवेंट में ममता की प्रतिक्रिया के बाद एक बयान जारी करते हुए उनकी पार्टी ने कहा, "नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर भारत सरकार के कार्यक्रम के दौरान, 'जय श्री राम' के नारे लगाए गए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समारोह की गरिमा का उल्लंघन करने के लिए की गई नारेबाजी का विरोध किया। एक सरकारी कार्यक्रम को एक राजनीतिक कार्यक्रम में बदल दिया गया। इसके विरोध मेँ मुख्यमंत्री ने अपना वक्तव्य नहीं दिया "

राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच चल रही खींचतान के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक साथ देखा गया। पीएम मोदी ने इस आयोजन से पहले विक्टोरिया मेमोरियल का दौरा किया।

राज्य में कुछ स्थानों पर 'जय श्री राम' की नारेबाजी सुनकर मुख्यमंत्री पहले दो बार प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुकी हैं, जब उनकी रैली वहां से गुजर रही थी। उत्तर 24 परगना में जगदल पुलिस ने आठ लोगों को 'जय श्री राम' के नारे लगाने के लिए 2019 में गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि उनकी रैली उत्तर 24 परगना जिले के भाटपारा इलाके से गुजरी थी।

पिछले साल जून में, ममता बनर्जी ने कहा कि हालांकि वह भगवान राम का आह्वान करने वाले नारों का सम्मान करती हैं, लेकिन "राजनीति के साथ धर्म को मिलाकर" गलत तरीके से उनका इस्तेमाल करने की जो कोशिश भाजपा कर रही है, उसका विरोध करती है।

इस विरोध से शर्मिंदा होने की जगह भाजपा ने ममता के बयान को हथियार बनाकर उनकी आलोचना शुरू कर दी है। उनके विरोध पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने एक ट्वीट में दावा किया, "जय श्री राम का नारा ममता बनर्जी के लिए एक सांड के सामने लाल कपड़े की तरह है, इसीलिए उन्होने आज विक्टोरिया मेमोरियल में अपना भाषण रोक दिया।"

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा, "ममता बनर्जी का यह विरोध वैध था। भाजपा के लोगों ने जानबूझकर उन्हें उकसाने, उनका अपमान करने के लिए नारा लगाया। हम बंगाल के सीएम का अपमान करने के लिए इस तरह के कृत्यों की निंदा करते हैं।"

इस घटना का एक वीडियो ट्वीट करते हुए, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, "गरिमा (संज्ञा) सम्मान या सम्मान के योग्य होने की स्थिति या गुणवत्ता। आप 'गरिमा' नहीं सिखा सकते। न ही आप लंपटों को गरिमापूर्ण होना सिखा सकते हैं।"

संघी गिरोह का बचाव करते हुए पश्चिम बंगाल में भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा," ममता बनर्जी ने विश्व भारती के शताब्दी समारोह में जाने से इनकार करके रबींद्रनाथ टैगोर की विरासत का अपमान किया। नेताजी की जयंती समारोह के अवसर पर अपना भाषण न देकर उन्होंने ऐसा ही किया है। "

टीएमसी की सांसद नुसरत जहां रूह ने एक ट्वीट में कहा, "स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती समारोह की विरासत को मनाने के लिए सरकारी समारोह में राजनीतिक और धार्मिक नारे लगाने की मैं कड़ी निंदा करती हूं।"

कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने एक ट्वीट में घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "यह आश्चर्यजनक है कि मोदी जी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कैसे याद करते हैं। बंगाल में हर बार चुनाव जब खत्म हो जाता है तो उनके बारे में सब भूल जाते हैं।"

असल में संघी गिरोह के लिए 'जय श्री राम' का नारा विरोधियों को आतंकित और अपमानित करने का साधन मात्र है। इस नारे के जरिये वे भगवान राम के प्रति आदर व्यक्त करने की जगह अपने विरोधियों के प्रति नफरत का इजहार करते हैं।

नेताजी के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में इस नारे के जरिये उन्होने केवल ममता बनर्जी का ही अपमान नहीं किया,बल्कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विरासत का भी अपमान किया,जिन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष भारत का सपना देखा था और हमेशा उग्र हिन्दुत्व की राजनीति का विरोध किया था।

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