Love Hostel Movie Review: ये 'लव हॉस्टल' लव नही बांटती
Love Hostel Movie Review: फिल्म के निर्देशक शंकर रमन को लगभग दो दशक तक बॉलीवुड में काम करने का अनुभव है, उन्होंने फ्रोज़न, हरूद ,पिपली लाइव, रॉकी हैंडसम में छायांकन तो गुड़गांव में निर्देशक का काम किया है।
समीक्षक- हिमांशु जोशी
Love Hostel Movie Review: फिल्म के निर्देशक शंकर रमन को लगभग दो दशक तक बॉलीवुड में काम करने का अनुभव है, उन्होंने फ्रोज़न, हरूद ,पिपली लाइव, रॉकी हैंडसम में छायांकन तो गुड़गांव में निर्देशक का काम किया है। सान्या मल्होत्रा के चेहरे पर खून के छींटे दिखा शंकर ने दर्शकों को फिल्म के डर से जोड़े रखा है ,वहीं वह थार में घूमते बढ़ती उम्र वाले बॉबी देओल से उनका बेस्ट भी निकलवाने में कामयाब हुए हैं। वेब सीरीज़ आश्रम के बाद लगता है कि बॉबी का एक अभिनेता के तौर पर पुनर्जन्म हुआ है।
फिल्म की शुरुआत एक नए तरीके से हुई है। स्क्रिप्ट सही तरह से लिखे होने के साथ-साथ संपादन भी ठीक है। लैंगिक भेदभाव, लव जिहाद, खाप पंचायत, समलैंगिकता जैसे मुद्दे को हल्का सा छू लिया गया है। कहानी में इनमें से किसी एक पर ही फोकस रखा जाता तो अच्छा होता। फ़िल्म में संवेदनशील मुद्दों पर पुलिस के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार पर भी बात करने की कोशिश की गई है।
टेलिविज़न से पक कर आए विक्रांत मैसी बॉलीवुड के लिए लंबी रेस के घोड़े हैं और सारी भाव-भंगिमाओं को बेहतरीन तरीके से निभाते हैं। फ़िल्म मीनाक्षी सुंदरेश्वर से फ़िल्म जगत में ज़ोरदार एंट्री मार चुकी सान्या मल्होत्रा अभिनय के दुसरे पायदान पर सफलतापूर्वक चढ़ी नज़र आती है। नेत्री के किरदार में स्वरूपा घोष अपने मेकअप मात्र से ही खतरनाक लगी हैं। अपने भाई की मौत का भार कंधे में ढोते पुलिस अफ़सर बने राज अर्जुन ने भी अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाबी पाई है।
छायांकन की बात करी जाए तो कैमरा को चेहरे पर नज़दीक से फोकस कर भावों को बेहतरीन तरीके से प्रदर्शित किया गया है। छायांकन बहुत ही नैसर्गिक लगा है, अंत में बर्फबारी वाला दृश्य शानदार है। 'अब पा लिया तुझे बाक़ी सब बेमानी है' संवाद ठीक है और इसके अलावा 'मारे यहां कुंवारियों से पैर न छुआते' जैसे संवादों के साथ फ़िल्म के ज्यादातर संवाद हरियाणवीं में हैं।
इस फ़िल्म के साथ ओटीटी पर आने वाले अन्य कंटेंट में गालियों की भरमार है, घर पर यह नियंत्रित करना कि बच्चे इन सब से दूर रहें अब मुश्किल हो चला है। इन सब पर लगाम कसने के लिए केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड बेअसर साबित होता नज़र आ रहा है। इसके लिए नए तरीके खोजने होंगे जैसे कि ओटीटी एप के लिए अनिवार्य लॉक। क्लिंटन सेरेज़ो का गाया 'बस में नही' सुनने में अच्छा लगता है और मोहित चौहान के 'डूबा डूबा रहता हूं' की याद दिलाता है।
बैकग्राउंड स्कोर और फ़िल्म स्कोर लव हॉस्टल की जान हैं। बैकग्राउंड स्कोर की बात करें तो झींगुर, चिड़ियों, पंखे, गन की आवाज़ खौफ़ सा बनाए रखती हैं। थूकने तक की आवाज़ से भी दिल झटक जाता है। अहम दृश्यों में फ़िल्म स्कोर दर्शकों की धड़कनें बढ़ाने में कामयाब रहा है। एक कोर्ट मैरिज और फिर उसके बाद हिंसक दृश्यों से भरपूर फिल्म को उसके बैकग्राउंड स्कोर और फिल्म स्कोर की वजह से वयस्कों द्वारा एक बार तो देखा ही जा सकता है।
- फ़िल्म- लव हॉस्टल
- निर्देशक- शंकर रमन
- निर्माता- रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट, दृश्यम फिल्म्स
- कलाकार- विक्रांत मैसी, सान्या मल्होत्रा, बॉबी देओल, राज अर्जुन
- ओटीटी- ज़ी5
- स्कोर- क्लिंटन सेरेजो
- छायांकन- विवेक शाही
- समीक्षक- हिमांशु जोशी