योगीजी के रामराज्य में पुलिस और अपराधी एक समान
योगी जी के रामराज्य की परिकल्पना के अनुसार CAA और NRC का शांतिपूर्ण विरोध करने वाले ही सबसे बड़े अपराधी थे क्योंकि उनकी पुलिस ने इन्हीं निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अपनी सारी बहादुरी दिखाई थी....
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण
प्रधानमंत्री जी की पता नहीं क्या मजबूरी है, जिसके कारण उन्हें योगी जी के उत्तर प्रदेश में सब अच्छा ही दिखता है। दूसरी तरफ योगी जी अपने लगभग हरेक भाषण में राज्राज्य का जिक्र कर उसे भी बदनाम करते रहे हैं। हाल में ही 5 अगस्त को अयोध्या के कार्यक्रम में भी रामराज्य पर चर्चा की गई थी। पता नहीं कौन सा ग्रन्थ ऐसा है जो केवल बलात्कार, ह्त्या, सरकारी निरंकुशता और पुलिसिया एनकाउंटर को ही रामराज्य बताता हो।
एक ऐसा रामराज्य जिसमें कफील खान राजद्रोही करार दिए जाते हैं, सुरक्षा के लिए खतरा बनाए जाते हैं और कातिलों और बलात्कारियों को सरकारी संरक्षण दिया जाता है। उत्तर प्रदेश में केवल एक ही काम अपराध की श्रेणी में आता है - योगी जी या मोदी जी के नीतियों की आलोचना - बाकी ह्त्या, बलात्कार, भीड़ द्वारा ह्त्या, निर्दोष लोगों का पुलिसिया एनकाउंटर इत्यादि तो राजनैतिक रसूख बढाने और बिना बारी के प्रमोशन पाने के अचूक नुस्खे हैं।
मनोविज्ञान के विशेषज्ञों के लिए यह एक शोध का विषय हो सकता है कि राज्य में रोज अनेक वीभत्स और इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटनाओं के बाद भी राज्य के मुखिया में इतना साहस कहां से आता है कि चेहरे पर बिना किसी शिकन के और बड़े धैर्य के साथ अपने राज्य के क़ानून व्यवस्था की तारीफ़ करते नहीं थकते। लगातार निर्बाध गति से होते अपराधों के बाद भी यह कहते नहीं थकते कि उनके राज्य में अपराधी नहीं रह गए हैं।
ठोक देंगें जैसी भाषा का बड़े इत्मीनान से और लगातार उपयोग करने वाले मुख्यमंत्री के राज्य में अपराधी अपनी मर्जी से पुलिस के सामने अपने खिलाफ शिकायत करने वाले को बीच सड़क पर ठोक कर इत्मीनान से पुलिस संरक्षण में चले जाते हैं, शायद योगी जी के मस्तिष्क में रामराज्य की ऐसी ही परिकल्पना है और इसी परिकल्पना को वे साकार स्वरुप दे रहे हैं। प्रधानमंत्री जी भी हरेक संभावित मौके पर इस राज्य की क़ानून व्यवस्था की, सामाजिक व्यवस्था की और स्वास्थ्य व्यवस्था की तारीफ़ करते हैं, दूसरे राज्यों से बेहतर बताते हैं तो जाहिर है कि उनके रामराज्य भी आज के दौर के उत्तर प्रदेश जैसा ही है।
योगी जी के रामराज्य की परिकल्पना के अनुसार सीएए और एनआरसी का शांतिपूर्ण विरोध करने वाले ही सबसे बड़े अपराधी थे क्योंकि उनकी पुलिस ने इन्हीं निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अपनी सारी बहादुरी दिखाई थी और अपनी मर्जी से बिना किसी आरोप के किसी को भी पकड़कर बंद किया था। वास्तविक अपराधियों को पनाह देने वाली सरकार ने आन्दोलनकारियों के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए थे और अदालतों के आदेश के बाद भी पोस्टर उतारे नहीं गए थे। सरकार की नज़रों में सभी शांतिपूर्ण आन्दोलनकारी समाज की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है और राजद्रोही भी। सरकार की नज़रों में न तो विकास दुबे कोई अपराधी था और ना ही उस जैसे अन्य जघन्य हत्यारे और अपराधी।
भगवान् राम ने अयोध्या की सीमा बढाने के लिए अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया था, पर आज के उत्तर प्रदेश में तो शातिर अपराधी रोज ही अपनी सीमा बढ़ा रहे हैं और मुख्यमंत्री जी ठोक देंगें का जयकारा लगाते हैं। किसी को भी याद करने का सबसे कारगर तरीका होता है, उसकी नीतियों को आत्मसात करना, लेकिन आज के दौर में भगवान् राम को याद करने का मतलब है, एक महलनुमा मंदिर, एक ऊंची सी प्रतिमा और वक्त-बेवक्त सरयू नदी के किनारे लाखों दीपों का प्रज्वलन और इनका मीडिया में लगातार प्रचार और फिर फोटो। आज के रामराज्य में तो सीता पर आरोप लगाने वाला धोबी कोई मंत्री बनेगा और पहले मन करने के बाद सरयू पार कराने वाला केवट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा।